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रोहतक: बीजेपी के लिए हुड्डा के किले में सेंध लगाना आसान नहीं, दिलचस्प होगा मुकाबला

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Published : Mar 28, 2019, 3:30 PM IST

Updated : Mar 28, 2019, 5:14 PM IST

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आगामी लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से सबकी नजर रोहतक सीट पर टिकी हुई है. यहां ये किस पार्टी का कौन उम्मीदवार होगा और आखिर में कौन बाजी मारेगा. 12 मई 2019 को यहां लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. उससे पहले आपको बताते हैं रोहतक लोकसभा सीट के बारे में.

रोहतक में जीत के लिए बेकरार बीजेपी

बीजेपी के गठन के बाद पार्टी आज तक भी रोहतक में जीत नहीं पाई है. जब तब जीत भी मिली तो वो भी गठबंधन के उम्मीदवार को. बीजेपी को अब भी रोहतक में अपना खाता खोलना है. लेकिन हुड्डा के गढ़ में जीत का परचम लहराना बीजेपी के लिए कितना मुश्किल है पार्टी बखूबी जानती है.

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फाइल फोटो.

कुछ ऐसा है रोहतक लोकसभा का चुनावी इतिहास

लोकसभा चुनाव के इतिहास के अनुसार इस सीट से हरियाणा का गठन होने के बाद वर्ष 1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता चौ.रणधीर सिंह ने खाता खोला था. वर्ष 1971 के चुनाव में जनसंघ के उम्मीदवार चौ.मुखत्यार सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी पूर्व सांसद चौ.रणधीर सिंह को पराजित किया था. वर्ष 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार प्रो.शेर सिंह ने जीत दर्ज की थी. वर्ष 1980 के चुनाव में जनता पार्टी व भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार स्वामी इंद्रवेश ने रोहतक फतह किया था.

वर्ष 1984 के चुनाव में कांग्रेस के संत हरद्वारी लाल ने लोकदल के सरूप सिंह को 30 हजार 931 मतों से पराजित किया था. वर्ष 1989 के चुनाव में जनता दल-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार चौ.देवी लाल ने कांग्रेस के संत हरद्वारी लाल को हराया था. उसके बाद कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ताऊ देवीलाल को लगतार तीन बार हराया. वर्ष 1991, वर्ष 1996 व वर्ष 1998 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जीत दर्ज की. 1999 के चुनाव में इनेलो-भाजपा गठबंधन के कैप्टन इंद्र सिंह ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिकस्त दी थी.

वर्ष 2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा चौथी बार सांसद चुने गए. फिर उन्होंने अपने बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को वर्ष 2005 के उप चुनाव में मैदान में उतारा. दीपेंद्र ने 2005, 2009 और फिर 2014 में भी यहां से जीत का परचम लहराया. बीजेपी इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए तरस रही है. अब देखना ये होगा कि क्या इस बार बीजेपी यहां से जीत का स्वाद चख पाएगी या नहीं.

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फाइल फोटो.

मोदी लहर में भी नहीं हिला हुड्डा का किला

2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद रोहतक लोकसभा सीट से दीपेंद्र हुड्डा ने बीजेपी उम्मीदवार को 1,70,436 वोटों से हरा दिया. दीपेंद्र को कुल 4,90,063 वोट मिल थे, जबकि बीजेपी के उम्मीदवार ओम प्रकाश धनकड़ को कुल 3,19,436 वोट पड़े थे. तीसरे नंबर 1,51,120 वोट के साथ इनेलो के उम्मीदवार शमशेर सिंह खरकडा रहे थे. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार नवीन जयहिंद को 46,759 वोट पड़े थे.

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फाइल फोटो.

रोहतक में होगा दिग्गजों का मुकाबला!

लोकसभा चुनाव-2019 की घोषणा होते ही प्रदेश की रोहतक लोकसभा सीट के प्रत्याशियों को लेकर चिंतन मंथन शुरू हो गया. सभी पार्टीं हैवी वेट नेता उतारने के लिए तैयारियां कर रही हैं. इस बार भाजपा भी कुछ नया करना चाह रही है. भाजपा यहां से किसी क्रिकेटर या एक्टर को भी उतार सकती है. कांग्रेस से सांसद दीपेन्द्र हुड्डा का लड़ना तय है और वे पिछले दो माह से चुनाव प्रचार में जुटे हैं. बात इनेलो की करे तो सतीश नांदल के नाम पर विचार विमर्श चल रहा है. रही बात नवगठित जजपा की तो वो यहां से बड़ा चेहरा उतार सकती है, दुष्यंत चौटाला और प्रदीप देसवाल का नाम इस कड़ी में सबसे आगे है. वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से नवीन जयहिंद का ही दावा मजबूत लग रहा है.

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डिजाइन फोटो.

रोहतक का इतिहास

पहले रोहतासगढ़ (रोहतास का दुर्ग) कहलाने वाले रोहतक की स्थापना एक पंवार राजपूत राजा रोहतास द्वारा की गई थी. यहां 1140 में निर्मित दीनी मस्जिद है, रोहतक के खोकरा कोट टीले की खुदाई में बौद्ध मूर्तियों के अवशेष मिले थे. रोहतक अनाज और कपास का प्रमुख बाजार है. यहां की औद्योगिक गतिविधियों में खाद्य उत्पाद, कपास की ओटाई, चीनी और बिजली के करघे पर बुनाई का काम होता है. रोहतक में कई शिक्षण संस्थाने हैं जिसमें महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय काफी अहम है.

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फाइल फोटो.

हुड्डा से 3 बार हारे दिग्गज नेता देवीलाल

ताऊ देवीलाल 1989 में राजस्थान की सीकर, हरियाणा की रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव लड़े. वे सीकर और रोहतक दोनों सीटों से सांसद चुने गये. इसके बाद ताऊ देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री बने. चौधरी देवीलाल को दो सीटों में से एक सीट छोड़नी थी और उन्होंने रोहतक की सीट छोड़ने का फैसला किया. इससे बाद ताऊ को लगातार तीन बार रोहतक से चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. फिर रोहतक लगातार तीन बार चौधरी देवीलाल को शिकस्त देने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ बन गया.

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डिजाइन फोटो.

रोहतक में जाट समुदाय का दबदबा

रोहतक लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 2014 तक 17 बार चुनाव हुए हैं, यहां से ज्यादातर जाट समुदाय के नेता सांसद बने हैं. क्योंकि रोहतक में जाट वोटर्स की आबादी काफी ज्यादा है. यहां से 11 बार कांग्रेस ने बाजी मारी है. केवल 1962, 1971, 1977, 1980, 1989 और 1999 में गैर-कांग्रेसी प्रत्याशी को जीत हासिल हुई.

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फाइल फोटो.

रोहतक में कितने मतदाता?

बता दें कि वर्ष 2014 के चुनाव में रोहतक लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 15 लाख 67 हजार 508 थे, जो अब 2019 के चुनाव में बढ़कर 16 लाख 37 हजार 334 हो चुके हैं. 69 हजार 914 मतदाताओं का इजाफा लोकसभा क्षेत्र में हो चुका है. रोहतक लोकसभा क्षेत्र में जिला रोहतक और झज्जर के चार-चार विधानसभा क्षेत्र तथा एक विधानसभा क्षेत्र रेवाड़ी जिला से आता है. कोसली विधानसभा में सबसे ज्यादा 222569 मतदाता हैं वहीं झज्जर में सबसे कम 160293 वोटर हैं.

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फाइल फोटो.

रोहतक लोकसभा क्षेत्र में 9 विधानसभा सीटें

रोहतक लोकसभा क्षेत्र के दायरे में 9 विधानसभा सीटें हैं. जिनके नाम- गढ़ी-सांपला-किलोई, महम, रोहतक, कलानौर, बहादुरगढ़, बादली, झज्जर, बेरी और कोसली है. इन 9 सीटों में से 5 पर कांग्रेस को जीत मिली है और 4 पर बीजेपी का कब्जा है.

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मैप.

दादा, पिता के बाद दीपेंद्र हुड्डा ने लहराया परचम

दीपेंद्र हुड्डा इंजीनियर हैं. उन्होंने एम.बी.ए बिरला इंस्टीट्यूट से पास की है. उन्होंने बिजनस की पढ़ाई कैली स्कूल ऑफ बिजनस इंडियाना यूनिवर्सिटी ब्लूमिंगटन यू.एस.ए से प्राप्त की है. उनकी माता का नाम श्रीमती आशा हुड्डा है. उनकी पत्नी का नाम श्वेता हुड्डा है. 1952 और 1957 में सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के दादा रणबीर सिंह हुड्डा रोहतक से सांसद चुने गएथे. 1991, 1996, 1998 और 2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सांसद चुने गए, जबकि 2005, 2009 और 2014 में दीपेंद्र हुड्डा सांसद बने थे.

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दीपेंद्र हुड्डा.
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रोहतक: बीजेपी के लिए हुड्डा के किले में सेंध लगाना आसान नहीं, दिलचस्प है यहां का मुकाबला



रोहतक में जीते के लिए बेकररा बीजेपी

बीजेपी के गठन के बाद पार्टी आज तक भी रोहतक में जीत नहीं पाई है. जब तब जीत भी मिली तो वो भी गठबंधन के उम्मीदवार को. बीजेपी को अब भी रोहतक में अपना खाता खोलना है. वेकिन हुड्डा के गढ़ में जीत का परचम लहराना बीजेपी के लिए कितना मुश्किल है पार्टी बखूबी जानती है.



कुछ ऐसा है रोहतक लोकसभा का चुनावी इतिहास

लोकसभा चुनाव के इतिहास के अनुसार इस सीट से हरियाणा का गठन होने के बाद वर्ष 1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता चौ.रणधीर सिंह ने खाता खोला था. वर्ष 1971 के चुनाव में जनसंघ के उम्मीदवार चौ.मुखत्यार सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी पूर्व सांसद चौ.रणधीर सिंह को पराजित किया था. वर्ष 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार प्रो.शेर सिंह ने जीत दर्ज की थी. वर्ष 1980 के चुनाव में जनता पार्टी व भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार स्वामी इंद्रवेश ने रोहतक फतह किया था.

वर्ष 1984 के चुनाव में कांग्रेस के संत हरद्वारी लाल ने लोकदल के सरूप सिंह को 30 हजार 931 मतों से पराजित किया था. वर्ष 1989 के चुनाव में जनता दल-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार चौ.देवी लाल ने कांग्रेस के संत हरद्वारी लाल को हराया था. उसके बाद कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ताऊ देवीलाल को लगतार तीन बार हराया. वर्ष 1991, वर्ष 1996 व वर्ष 1998 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जीत दर्ज की. 1999 के चुनाव में इनेलो-भाजपा गठबंधन के कैप्टन इंद्र सिंह ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिकस्त दी थी. 

वर्ष 2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा चौथी बार सांसद चुने गए. फिर उन्होंने अपने बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को वर्ष 2005 के उप चुनाव में मैदान में उतारा. दीपेंद्र ने 2005, 2009 और फिर 2014 में भी यहां से जीत परचम लहराया. बीजेपी इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए तरस रही है. अब देखना ये होगा कि क्या इस बार बीजेपी यहां से जीत का स्वाद चख पाएगी या नहीं.



मोदी लहर में भी नहीं हिला हुड्डा का किला

2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद रोहतक लोकसभा सीट से दीपेंद्र हुड्डा ने बीजेपी उम्मीदवार को 1,70,436 वोटों से हरा दिया. दीपेंद्र को कुल 4,90,063 वोट मिल थे, जबकि बीजेपी के उम्मीदवार ओम प्रकाश धनकड़ को कुल 3,19,436 वोट पड़े थे. तीसरे नंबर 1,51,120 वोट के साथ इनेलो के उम्मीदवार शमशेर सिंह खरकडा रहे थे. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार नवीन जयहिंद को 46,759 वोट पड़े थे. 



रोहतक में होगा दिग्गजों का मुकाबला!

लोकसभा चुनाव-2019 की घोषणा होते ही प्रदेश की रोहतक लोकसभा सीट के प्रत्याशियों को लेकर चिंतन मंथन शुरू हो गया. सभी पार्टीं हैवी वेट नेता उतारने के लिए तैयारियां कर रही हैं. इस बार भाजपा भी कुछ नया करना चाह रही है. भाजपा यहां से किसी क्रिकेटर या एक्टर को भी उतार सकती है. कांग्रेस से सांसद दीपेन्द्र हुड्डा का लड़ना तय है और वे पिछले दो माह से चुनाव प्रचार में जुटे हैं. बात इनेलो की करे तो सतीश नांदल के नाम पर विचार विमर्श चल रहा है. रही बात नवगठित जजपा की तो वो यहां से बड़ा चेहरा उतार सकती है, दुष्यंत चौटाला का नाम इस कड़ी में सबसे आगे है. वहीं आम आदमी पार्टी की और से नवीन जयहिंद का ही दावा मजबूत लग रहा है. 



रोहतक का इतिहास

पहले रोहतासगढ़(रोहतास का दुर्ग) कहलाने वाले रोहतक की स्थापना एक पंवार राजपूत राजा रोहतास द्वारा की गई थी. यहां 1140 में निर्मित दीनी मस्जिद है, रोहतक के खोकरा कोट टीले की खुदाई में बौद्ध मूर्तियों के अवशेष मिले थे. रोहतक अनाज और कपास का प्रमुख बाजार है. यहां की औद्योगिक गतिविधियों में खाद्य उत्पाद, कपास की ओटाई, चीनी और बिजली के करघे पर बुनाई का काम होता है. रोहतक में कई शिक्षण संस्थाने हैं जिसमें महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय काफी अहम है.



हुड्डा से 3 बार हारे दिग्गज नेता देवीलाल

ताऊ देवीलाल 1989 में राजस्थान की सीकर, हरियाणा की रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव लड़े. वे सीकर और रोहतक दोनों सीटों से सांसद चुने गये. इसके बाद ताऊ देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री बने. चौधरी देवीलाल को दो सीटों में से एक सीट छोड़नी थी और उन्होंने रोहतक की सीट छोड़ने का फैसला किया. इससे बाद ताऊ को लगातार तीन बार रोहतक से चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. फिर रोहतक लगातार तीन बार चौधरी देवीलाल को शिकस्त देने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ बन गया. 



रोहतक में जाट समुदाय का दबदबा

रोहतक लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 2014 तक 17 बार चुनाव हुए हैं, यहां से ज्यादातर जाट समुदाय के नेता सांसद बने हैं. क्योंकि रोहतक में जाट वोटर्स की आबादी काफी ज्यादा है. यहां से 11 बार कांग्रेस ने बाजी मारी है. केवल 1962, 1971, 1977, 1980, 1989 और 1999 में गैर-कांग्रेसी प्रत्याशी को जीत हासिल हुई. 



रोहतक में कितने मतदाता?

बता दें कि वर्ष 2014 के चुनाव में रोहतक लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 15 लाख 67 हजार 508 थे, जो अब 2019 के चुनाव में बढ़कर 16 लाख 37 हजार 334 हो चुके हैं. 69 हजार 914 मतदाताओं का इजाफा लोकसभा क्षेत्र में हो चुका है. रोहतक लोकसभा क्षेत्र में जिला रोहतक और झज्जर के चार-चार विधानसभा क्षेत्र तथा एक विधानसभा क्षेत्र रेवाड़ी जिला से आता है. कोसली विधानसभा में सबसे ज्यादा 222569 मतदाता हैं वहीं झज्जर में सबसे कम 160293 वोटर हैं.



रोहतक लोकसभा क्षेत्र में 9 विधानसभा सीटें 

रोहतक लोकसभा क्षेत्र के दायरे में 9 विधानसभा सीटें हैं. जिनके नाम- गढ़ी-सांपला-किलोई, महम, रोहतक, कलानौर, बहादुरगढ़, बादली, झज्जर, बेरी और कोसली है. इन 9 सीटों में से 5 पर कांग्रेस को जीत मिली है और 4 पर बीजेपी का कब्जा है.



दादा, पिता के बाद दीपेंद्र हुड्डा ने लहराया परचम

दीपेंद्र हुड्डा इंजीनियर हैं. उन्होंने एम.बी.ए बिरला इंस्टीट्यूट से पास की है. उन्होंने बिजनस की पढ़ाई कैली स्कूल ऑफ बिजनस इंडियाना यूनिवर्सिटी ब्लूमिंगटन यू.एस.ए से प्राप्त की है. उनकी माता का नाम श्रीमती आशा हुड्डा है. उनकी पत्नी का नाम श्रीमती श्वेता हुड्डा है. 1952 और 1957 में सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के दादा रणबीर सिंह हुड्डा रोहतक से सांसद चुने गे थे. 1991, 1996, 1998 और 2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सांसद चुने गए, जबकि 2005, 2009 और 2014 में दीपेंद्र हुड्डा सांसद बने.





 


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Last Updated :Mar 28, 2019, 5:14 PM IST
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