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हिसार उपायुक्त ने फसल अवशेष प्रबंधन की मुख्य सचिव को दी जानकारी

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Published : Oct 8, 2020, 9:02 AM IST

hisar stubble burning management planning
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फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर मुख्य सचिव ने अधिकारियों की बैठक ली. बैठक में हिसार उपायुक्त ने कहा कि हिसार में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर व्यापक प्रबंध किए गए हैं. पराली या अन्य फसली अवशेष जलाने की घटनाओं पर निगरानी के लिए जिला, उपमंडल, खंड तथा गांव स्तर की चार कमेटियां गठित की गई हैं.

हिसार: हरियाणा के मुख्य सचिव विजय वर्धन ने सभी जिला उपायुक्तों, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, प्रदुषण नियंत्रण विभाग व अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ गुरुवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक ली. हिसार उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया.

मुख्य सचिव को हिसार उपायुक्त ने दी जानकारी

हिसार उपायुक्त ने बैठक में कहा कि हिसार में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर व्यापक प्रबंध किए गए हैं. पराली या अन्य फसली अवशेष जलाने की घटनाओं पर निगरानी के लिए जिला, उपमंडल, खंड तथा गांव स्तर की चार कमेटियां गठित की गई हैं. लोगों मेें जागरूकता के लिए अभी तक एक जिला स्तरीय सैमिनार आयोजित करने के साथ-साथ खंड स्तर पर छह जागरूकता शिविर तथा गांव स्तर पर 141 जागरूकता शिविर लगाए गए हैं.

इसी प्रकार से जिले के 298 स्थानों पर वॉल पेंटिंग इत्यादि के माध्यमों से लोगों को फसल अवशेष जलाने के खतरों से अवगत करवाया जा रहा है. पूर्व में पराली जलाए जाने की घटनाओं के मद्देनजर कुछ गांवों को रेड जोन यानि अति संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में चिन्हित किया गया है. पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए इन गावों के 280 किसानों को प्रशिक्षण भी दिया गया है.

हिसार में 141 गांवों में होती है धान

उन्होंने कहा कि हिसार जिले में अभी तक कुल 143 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं. इसके अतिरिक्त 2236 किसानों को व्यक्तिगत तौर पर फसल अवशेष प्रबंधन की मशीनें अनुदान पर दी गई हैं. उपायुक्त ने अवगत करवाया कि हिसार में लगभग 141 गांवों में धान की फसल होती है. इनमें से 7 गांवों को रेड जोन तथा 16 गांवों को आरेंज जोन में रखा गया है. इन गावों की विशेष रूप से निगरानी करवाई जा रही है.

मुख्य सचिव ने दिए ये निर्देश

बैठक में मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने तथा व्यक्तिगत तौर पर दी जाने वाली मशीनों के लक्ष्यों को प्राप्त करते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में किसान इन मशीनों का लाभ उठाएं. इसके अतिरिक्त किसानों को पराली से बनी गाठें इत्यादि रखने के लिए पंचायतों की जगह चिन्हित करने की दिशा में जरूरी कदम उठाए जाएं. इसी प्रकार से गौशााओं तथा फैक्टरी इत्यादि में भी पराली को भेजा जा सकता है.

उन्होंने कहा कि बहुत सी पंचायतें ऐसी हैं, जिन्हें फसल अवशेष प्रबंधन की मशीनें नि:शुल्क दी गई थी अत: ये भी सुनिश्चित किया जाए कि इन मशीनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो. पराली प्रबंधन की दिशा में बेहतरीन कार्य करने वाली पंचायतों को सरकार की और से सम्मानित किया जाएगा. उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर ज्यादा से ज्यादा ग्राम सभाओं की बैठकें करने के निर्देश भी दिए.

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