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हिसार: 2 साल में महज 2599 किसानों ने पराली प्रबंधन के लिए सीएचसी सेंटरों का किया रुख

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Published : Nov 5, 2019, 8:35 PM IST

pollution in haryana

सरकार द्वारा सीएचसी को लेकर बेशक कितने बड़े दावे किए जा रहे हों लेकिन वास्तविकता ये है कि महज कुछ फीसदी किसान ही पराली प्रबंधन के लिए सीएचसी सेंटरों से मशीनों को किराये पर ले रहे हैं.

हिसार: धान की पराली जलाने की समस्या पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा खोले हुए कस्टमर हायरिंग सेंटर किसानों को आकृषित करने में फेल साबित हुए हैं. सरकार द्वारा सीएचसी को लेकर बेशक कितने बड़े दावे किए जा रहे हो लेकिन वास्तविकता ये है कि महज कुछ फीसदी किसान ही पराली प्रबंधन के लिए सीएचसी सेंटरों से मशीनों को किराये पर ले रहे हैं.

2 साल में महज 2599 किसानों ने सीएचसी सेंटरों का किया रुख

वहीं ज्यादतर किसान पराली को आग लगाकर नष्ट कर रहे हैं जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है. हिसार जिले में बीते 2 सालों में महज 2599 किसानों ने ही धान की पराली काटने के लिए सीएचसी सेंटरों का रुख किया.

2 साल में महज 2599 किसानों ने सीएचसी सेंटरों का किया रुख, देखें वीडियो

हिसार में खोले गए 82 कस्टमर हायरिंग सेंटर

बता दें कि सरकार द्वारा हिसार जिले में 82 कस्टमर हायरिंग सेंटर खोले गए हैं. इन सेंटरों से किसान पराली प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक मशीनों को 400 रुपये से लेकर 2000 तक प्रति घंटे के रेट पर किराये पर ले सकते हैं.

2 साल में सिर्फ 2599 किसानों ने उठाया लाभ

हिसार जिले में बीते दो सालों में मात्र 2599 किसानों ने ही पराली प्रबंधन के लिए मशीनों को किराये पर लिया है और करीब 6700 हेक्टियर जमीन में ही आग लगाने के बजाए किसानों ने आधुनिक तरीके से पराली प्रबंधन किया है. जबकि हिसार में किसानों की संख्या 261079 है और करीब 70 हजार हेक्टियर जमीन पर प्रति वर्ष धान की खेती की जाती है. आंकड़े सरकार की इस योजना की सच्चाई को बयान कर रहे हैं. सीएचसी सेंटरों पर उपलब्ध मशीनों का इस्तेमाल करने के बजाए किसान पराली को आग के हवाले कर रहे हैं.

मंगलवार को हिसार का एक्यूआई लगभग 238 रहा

वहीं हिसार में स्मॉग की समस्या से लोगों को राहत मिली है. मंगलवार को हिसार का एक्यूआई लगभग 238 रहा. जिला उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने वातावरण के एक्यूआई लेवल को कम करने के लिए विभागों को दिशा निर्देश दिए.

पराली जलाने पर किसानों पर एफआईआर

हिसार में अभी तक 7 किसानों के खिलाफ पराली जलाने को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है. वहीं कई मामले अभी विचाराधीन चल रहे हैं. उपायुक्त ने कर्मचारियों और अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पराली के साथ-साथ किसी भी प्रकार के कूड़े में भी आग लगाए जाने पर कार्रवाई करें. उपायुक्त ने निर्देश दिए हैं कि किसी भी प्रकार की कंबाइन मशीन बिना एसएमएस (सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम) के काम नहीं करेगी, यदि ऐसा पाया जाता है तो वायु प्रदूषण अधिनियम 31a के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें- भूपेंद्र सिंह हुड्डा का सुझाव- सरकार किसानों से खरीदे पराली और बनाये बिजली

Intro:एंकर - धान की पराली जलाने की समस्या पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा खोले हुए कस्टमर हायरिंग सेंटर किसानों को आकृषित करने में फेल साबित हुए हैं। सरकार द्वारा सीएचसी को लेकर बेशक कितने बड़े दावे किए जा रहे हो लेकिन वास्तविकता ये है कि महज कुछ फीसद किसान ही पराली प्रबंधन के लिए सीएचसी सेंटरों से मशीनों को किराये पर ले रहे हैं व ज्यादतर किसान पराली को आग लगाकर नष्ट कर रहे हैं जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है। हिसार जिले में बीते 2 सालों में महज 2599 किसानों ने ही धान की पराली काटने के लिए सीएचसी सेंटरों का रुख किया।

बता दें कि सरकार द्वारा हिसार जिले में 82 कस्टमर हायरिंग सेंटर खोले गए हैं। इन सेंटरों से किसान पराली प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक मशीनों को 400 रुपये से लेकर 2000 तक प्रति घंटे के रेट पर किराये पर ले सकते हैं। हिसार जिले में बीते दो सालों में मात्र 2599 किसानों ने ही पराली प्रबंधन के लिए मशीनों को किराये पर लिया है व करीब 6700 हेक्टियर जमीन में ही आग लगाने के बजाए किसानों ने आधुनिक तरीके से पराली प्रबंधन किया है। जबकि हिसार में किसानों की संख्या 261079 है व करीब 70 हजार हेक्टियर जमीन पर प्रति वर्ष धान की खेती की जाती है। आंकड़े सरकार की इस योजना की सच्चाई को बयान कर रहे हैं। सीएचसी सेंटरों पर उपलब्ध मसीनों का इस्तेमाल करने के बजाए किसान पराली को आग के हवाले कर रहे हैं

हिसार में स्मॉग की समस्या से लोगों को राहत मिली है। मंगलवार को हिसार का एक्यूआई लगभग 238 रहा। जिला उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने वातावरण के एक्यूआई लेवल को कम करने के लिए विभागों को दिशा निर्देश दिए। हिसार में अभी तक 7 किसानों के खिलाफ पराली जलाने को लेकर एफ आई आर दर्ज की गई है। वही कई मामले अभी विचाराधीन चल रहे हैं। उपायुक्त ने कर्मचारियों और अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पराली के साथ-साथ किसी भी प्रकार के कूड़े में भी आग लगाए जाने पर कार्यवाही करें। उपायुक्त ने निर्देश दिए हैं कि किसी भी प्रकार की कंबाइन मशीन बिना एसएमएस (सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम ) के काम नहीं करेगी, यदि ऐसा पाया जाता है तो वायु प्रदूषण अधिनियम 31 a के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।

वीओ - जिला उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने बताया कि हिसार जिले में अभीतक लगभग 7 किसानों पर पराली जलाए जाने को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है जबकि अन्य मामले विचाराधीन है। उन्होंने बताया कि पराली जलाने, कचरे में आग लगाने और बिना एसएमएस के कम्पैन मशीन का प्रयोग किये जाने पर भी किसान और मशीन मालिक पर कार्यवाही के निर्देश अधिकारियों को दिए गए है।

उपायुक्त ने कहा कि सभी सरपंचों को निर्देश जारी किए जा रहे हैं कि नम्बरदारों की सहायता से लोगो को पराली ना जलाए जाने को लेकर जागरूक करें। इससे लोगों के अधिकारों का भी हनन हो रहा है। सरपंच के स्तर पर भी खामियां पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

कॉमन हायरिंग सेंटर की तरफ से किसानों को किराए पर पराली प्रबंधन के लिए उपकरण मुहैया करवाए जाने की योजना कारगर साबित ना होने को लेकर उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने कहा कि उनकी तरफ से सभी डीडीए और एडीओ के माध्यम से जांच करवाई जाए जाएगी ताकि उपकरण निरंतर प्रयोग में रहे और प्रदूषण के स्तर में कमी आए। आयुक्त ने कहा कि कॉमन हायरिंग सेंटर और अधिकारियों की भी कमियां रही हैं जिससे मशीनों का प्रयोग पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है। इसके लिए अधिकारियों और कॉमन हायरिंग सेंटर को निर्देश जारी किए जाएंगे ताकि सरकार की तरफ से चलाई गई योजना का लाभ अधिक से अधिक किसानों को मिले और मशीनें बेकार ना पड़ी रहे।

Body:ढंडूर गांव के नजदीक शहर के डंपिंग ग्राउंड में कचरे में आग लगाए जाने और उससे उठने वाले धुएं को लेकर उपायुक्त ने कहा कि इसके लिए पहले ही निगम को निर्देश जारी किए जा चुके हैं कि ढंडूर गांव के नजदीक डंपिंग ग्राउंड में कचरा प्रबंधन के लिए आग ना लगाई जाए।

भविष्य में स्मॉग की समस्या के विकराल रूप लेने से पहले ही उसे रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को लेकर उपायुक्त ने कहा कि अधिकारियों के माध्यम से कैंप लगाकर किसानों को इस बारे में जागरूक किया जाएगा कि पराली जलाना एक अपराध है और इसके साथ साथ लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। वहीं किसानों को इस बारे में भी जागरूक किया जाएगा कि पराली को जलाने की बजाए उसका उपयोग गत्ते बनाने, चारा बनाने ने किया जाए ताकि किसानों की आमदनी बढ़ने के साथ-साथ प्रदूषण का स्तर भी कम हो सके।

बाइट - अशोक कुमार मीणा, उपयुक्त हिसार।Conclusion:
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