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हरियाणा के चुनावी 'रण' में दिग्गजों के बीच सीधी टक्कर

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Published : Apr 28, 2019, 12:29 PM IST

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पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस बार खुद सोनीपत से ताल ठोंक रहे हैं. वहीं उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा रोहतक से चुनाव लड़ रहे हैं. हुड्डा के सामने बीजेपी के मौजूदा सांसद रमेश कौशिक और जेजेपी के दिग्विजय सिंह चौटाला हैं.

चंडीगढ़: हरियाणा में मतदान छठे चरण में 12 मई को होगा. इस चुनाव में राज्‍य के कई बड़े राजनीतिक घरानों और दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

दिग्गज नेता मैदान में

पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी कांग्रेस विधायक दल की नेता हैं. उनकी बेटी श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ से चुनाव लड़ रही हैं. उन्हें बीजेपी के मौजूदा सांसद धर्मबीर सिंह और जननायक जनता पार्टी की स्वाति यादव से टक्कर मिल रही है.

कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई ने हिसार संसदीय क्षेत्र से अपने बेटे भव्य बिश्नोई को चुनावी समर में उतारा है. यहां उन्हें जेजेपी के दुष्यंत चौटाला और केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह से चुनौती मिल रही है.

पूर्व सीएम राव बिरेंद्र सिंह के बेटे राव इंद्रजीत गुरुग्राम में ताल ठोंक रहे हैं. उनके सामने कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदार कैप्टन अजय यादव चुनाव लड़ रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस बार खुद सोनीपत से ताल ठोंक रहे हैं. वहीं उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा रोहतक से चुनाव लड़ रहे हैं. हुड्डा के सामने बीजेपी के मौजूदा सांसद रमेश कौशिक और जेजेपी के दिग्विजय सिंह चौटाला हैं.

वहीं केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह दीनबंधु सर छोटू राम के नाती हैं. उनकी प्रतिष्ठा भी इस चुनाव से जुड़ी हुई है. उन्होंने अपने बेटे बृजेंद्र की इस बार राजनीति में लॉन्चिंग की है. वो हिसार के बीजेपी के उम्मीदवार हैं. यहां उन्हें जेजेपी के दुष्यंत चौटाला और कांग्रेस के भव्य बिश्नोई से टक्कर मिल रही है.

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इस बार हरियाणा में लोकसभा चुनाव बेहद रोचक हो गया है। राज्‍य के चुनावी रण में राजनीति के कई बड़े धुरंधर आमने सामने हैं। ऐसे में राेज समीकरण बनते और बिगड़ते दिख रहे हैं। राज्य की 10 लोकसभा सीटों में से कोई भी ऐसी नहीं है, जहां किसी एक पार्टी अथवा उम्मीदवार के हक में माहौल बनता दिखाई दे रहा हो। अधिकतर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर है तो कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां त्रिकोणीय मुकाबलों में बराबर का पेंच फंसा हुआ है।



-कहीं भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला तो कहीं त्रिकोणीय मुकाबलों में फंसी सीट



हरियाणा में मतदान छठे चरण में 12 मई को होेगा। इस चुनाव में राज्‍य के कई बड़े राजनीतिक घरानों और दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के अधिकतर उम्मीदवार खुद अथवा अपने परिवार के सदस्यों को चुनाव लड़वा रहे तो ताऊ देवीलाल की तीसरी व चौथी पीढ़ी में विरासत हासिल करने की जंग छिड़ी हुई है। भाजपा इस चुनाव में अपने पिछली बार के प्रदर्शन को सुधारकर मिशन 10 का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। गुटों में बंटी कांग्रेस इस बार भाजपा के लिए चुनौती पैदा कर रही। ताऊ देवीलाल के परिवार के सदस्यों में आए बिखराव का फायदा भाजपा को मिलता दिखाई दे रहा है।





चुनाव में हरियाणा के छह पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवारों की प्रतिष्ठा दांव पर



हरियाणा का यह चुनावी रण छह पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार की प्रतिष्ठा तय करेगा। ताऊ देवीलाल के पारिवारिक सदस्यों में हुआ बिखराव किसी से छिपा नहीं है। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला और पोते दुष्यंत चौटाला जननायक जनता पार्टी की राजनीति कर रहे तो छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला इनेलो की कमान संभाले हैं।



अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला हिसार से और छोटे बेटे दिग्विजय सिंह चौटाला सोनीपत से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि अभय सिंह चौटाला ने अपने बेटे अर्जुन चौटाला को कुरुक्षेत्र के रण में पहली बार उतारा है। यहां से खुद अभय चौटाला भी चुनाव लड़ रहे हैं। ताऊ देवीलाल के पारिवारिक सदस्य भले ही आपस में उलझ रहे, लेकिन उनकी राजनीतिक विरासत को हासिल करने की जंग दोनों खेमों में साफ दिखाई दे रही है।





कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के अधिकतर दावेदार खुद लड़ रहे लोकसभा चुनाव



पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल का परिवार भी इस चुनाव में ताल ठोंक रहा है। बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी कांग्रेस विधायक दल की नेता हैं। उनकी बेटी श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ से चुनाव लड़ रही हैं। उन्हें भाजपा के मौजूदा सांसद धर्मवीर और जननायक जनता पार्टी की स्वाति यादव से टक्कर मिल रही है।







भव्‍य बिश्‍नोई और कुलदीप बिश्‍नोई।



पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के परिवार की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव में दांव पर लगी हुई है। भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई खुद चुनाव नहीं लड़ रहे। कुलदीप कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। उन्होंने हिसार संसदीय क्षेत्र से अपने बेटे भव्य बिश्नोई को चुनावी समर में उतारा है। यहां उन्हें जेजेपी के दुष्यंत चौटाला और केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह से चुनौती मिल रही है।



पूर्व सीएम राव बिरेंद्र सिंह के बेटे राव इंद्रजीत गुरुग्राम में ताल ठोंक रहे हैं। उनके सामने कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदार कैप्टन अजय यादव चुनाव लड़ रहे हैं। राव इंद्रजीत केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। इस राजनीतिक घराने की प्रतिष्ठा भी चुनाव में दांव पर लगी है।





सूबे के दस साल तक मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस बार खुद सोनीपत से ताल ठोंक रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान ने उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को रोहतक से टिकट दिया है। हुड्डा के सामने भाजपा के मौजूदा सांसद रमेश कौशिक और जेजेपी के दिग्विजय सिंह चौटाला तथा दीपेंद्र हुड्डा के सामने भाजपा के अरविंद शर्मा डटे हुए हैं। इस चुनाव में हुड्डा परिवार की राजनीतिक प्रतिष्ठा पूरी तरह से दांव पर है।







बीरेंद्र सिंह अपने बेटे बृजेंद्र सिंह के साथ।



हुड्डा इस बार भी मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के अन्य दावेदारों में शामिल कुमारी सैलजा अंबाला से तथा डाॅ. अशोक तंवर सिरसा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह दीनबंधु सर छोटू राम के नाती हैं। उनकी प्रतिष्ठा भी इस चुनाव से जुड़ी हुई है। बीरेंद्र सिंह की सीएम बनने की इच्छा आज तक पूरी नहीं हो पाई, लेकिन वह चाहते हैं कि एक बार राज्य की कमान जरूर संभालें। उन्होंने अपने बेटे बृजेंद्र की इस बार राजनीति में लांचिंग की है। इस बार के लोकसभा चुनाव के नतीजे मुख्यमंत्री पद के दावेदारों का भविष्य भी तय करने वाले साबित होंगे।



इन योद्धाओं की पढ़ाई हुई विदेश में, जंग लड़ रहे हिसार में



हिसार का चुनावी रण ऐसा है, जहां ताल ठोंक रहे अधिकतर प्रमुख उम्मीदवार विदेश में पढ़ लिखे हैं। जननायक जनता पार्टी के सांसद दुष्यंत चौटाला हालांकि खेती बाड़ी से जुड़े हैं, लेकिन उनकी पढ़ाई विदेश में हुई है। इनेलो विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला ने परिवार की आपसी लड़ाई सार्वजनिक होने के बाद मंच से यहां तक कहा था कि दुष्यंत की फीस का खर्चा वह ही देते थे। इसी तरह कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई की पढ़ाई भी विदेश में हुई है। बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह भी विदेश में रहे हैं।



दिग्गजों ने जीत के लिए बदली अपनी परंपरारगत सीटें  

हरियाणा की राजनीति में कई दिग्गज ऐसे हैं, जिन्होंने जीत हासिल करने के लिए अपनी परंपरागत लोकसभा सीटें तक बदली हैं। कई योद्धा अपने पुराने संसदीय क्षेत्रों से बाहर निकलकर चुनाव लड़ रहे हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहली बार रोहतक से बाहर आकर सोनीपत में ताल ठोंक रहे हैं, जबकि अवतार सिंह भड़ाना ने भी इस बार फरीदाबाद में अपना संसदीय क्षेत्र बदला है।





कुरुक्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी नायब सिंह सैनी मूल रूप से अंबाला जिले के नारायणगढ़ के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने इस जिले से बाहर आकर कुरुक्षेत्र में दस्तक दी है। इनेलो विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन सिंह चौटाला के लिए कुरुक्षेत्र नया है। हालांकि उनके पिता यहां से चुनाव लड़ चुके हैं।



कुरुक्षेत्र में ही ताल ठोंक रहे कांग्रेस उम्मीदवार चौ. निर्मल सिंह अंबाला जिले के रहने वाले हैं। आम आदमी पार्टी की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष नवीन जयहिंद रोहतक से बाहर निकलकर पहली बार फरीदाबाद में चुनाव लड़ रहे हैं। दिग्विजय सिंह चौटाला भी सिरसा से बाहर आकर पहली बार सोनीपत में चुनाव लड़ रहे हैं।


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