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हरियाणा में पंजाब-राजस्थान से सटी विधानसभा सीटों पर ड्रग्स बना बड़ा चुनावी मुद्दा

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Published : Oct 17, 2019, 2:06 PM IST

Updated : Oct 17, 2019, 10:07 PM IST

Drugs Political Issue in Haryana

हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले पिछले दस महीनों की रिपोर्ट यदि देखें तो सिरसा में दस महीने में करोड़ों रुपये के मादक पदार्थ बरामद हुए हैं. पुलिस ने नशे से संबंधित 464 मामले दर्ज किए हैं, जबकि 773 लोगों को गिरफ्तार किया गया.

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार नशा मुक्ति एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. पंजाब और राजस्थान से सटे हुए हरियाणा के जिलों में नशे की समस्या बढ़ती जा रही है. विपक्षी दल के उम्मीदवार अपने-अपने इलाकों में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर बीजेपी को घेरने में जुटे हैं.

वहीं, विपक्ष के इस वार का जवाब बीजेपी प्रत्याशी भी अपनी सरकार के कार्यकाल में नशे के विरूद्ध चलाए गए अभियानों की कामयाबी से विरेाधियों को जवाब देने में जुटे हैं.

10 महीने में करोड़ों की ड्रग्स बरामद
बता दें कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले पिछले दस महीनों की रिपोर्ट यदि देखें तो सिरसा में दस महीने में करोड़ों रुपये के मादक पदार्थ बरामद हुए हैं. पुलिस ने नशे से संबंधित 464 मामले दर्ज किए हैं, जबकि 773 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इसे विपक्ष दल बीजेपी के खिलाफ बड़े हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं.

इस विधानसभा चुनाव में विरोधी दलों ने नशे के मुद्दे को राजनीतिक रंग देते हुए इसे बीजेपी के खिलाफ घेराबंदी का हथियार बनाया हुआ है. ऐलनाबाद विधानसभा सीट से इनेलो उम्मीदवार अभय चौटाला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को नशे के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

अभय चौटाला ने खट्टर सरकार को ठहराया जिम्मेदार
सिरसा जिले की डबवाली सीट पर प्रचार करते हुए इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ड्रग के मुद्दे को लेकर बीजेपी पर हमला किया. वो इन इलाकों में लगातार नशे की समस्या को उठा रहे हैं. सिख बहुल गांव में ड्रग के खतरे को बढ़ाने के लिए मनोहर लाल सरकार को दोषी ठहराया रहे हैं. वहीं, विरोधियों की इस घेराबंदी को कैसे तोड़ना है, बीजेपी ने भी इसका होमवर्क किया हुआ है.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

बीजेपी नेता जनता को ये बताने का प्रयास में जुटे हैं कि प्रदेश में नशे के खिलाफ जितनी कार्रवाई मनोहर सरकार के कार्यकाल में हुई है, उतनी कार्रवाई पहले नहीं हुई है. इतना ही नहीं भाजपाई प्रदेश में पहली बार बनाई गई यूथ पॉलिसी का हवाला देकर लोगों का विश्वास जीतना चाहते हैं.

बीजेपी नेता गिना रहे अपना काम
बीजेपी नेता कह रहे हैं कि हरियाणा में बनाई गई इस यूथ पॉलिसी का मकसद ही यही है कि किस तरह युवाओं को नशे व अन्य सामाजिक बुराइयों से दूर रखते हुए उन्हें खेलों व अन्य सामाजिक कार्यों की ओर मोड़ा जाए. प्रदेश में पहली बार गठित किए गए यूथ कमीशन की जानकारी भी लोगों को दी जा रही है.

नशे पर सरकार का रूख
बीजेपी नेता ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि नशे की समस्या सिर्फ हरियाणा प्रदेश की ही नहीं, बल्कि इसका नेटवर्क कई अन्य राज्यों से जुड़ा है. लिहाजा पहली बार सरकार ने हरियाणा में उतरी राज्यों का एक ऐसा सचिवालय स्थापित किया गया है, जो सिर्फ नशे तस्करी के खिलाफ ही काम करेगा. हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, दिल्ली व राजस्थान सभी राज्यों की पुलिस इस सचिवालय से जुड़कर नशा का नेटवर्क तोड़ने में काम करेगी.

नार्कोटिक्स ब्यूरो की रिपोर्ट
गौरतलब है कि भौगोलिक लिहाज से छोटे ये दो राज्य हरियाणा और पंजाब हेरोइन, अफीम और चूरापोस्त तस्करी का हब बन गए हैं. नार्कोटिक्स ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में पुलिस ने हरियाणा में 657.85 किलोग्राम हैरोइन बरामद कर 669 लोगों को काबू किया. इससे पहले 2015 में पंजाब में 601.88 किलोग्राम जबकि हरियाणा में 155.92 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी गई. अकेले हरियाणा में मादक पदार्थ अधिनियम के अंतर्गत पुलिस की ओर से साल 2017 में 2406 केस दर्ज कर 2383 लोगों को काबू किया गया.

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bhupinder singh hooda and randeep surjewala asked no questions proceedings in haryana legislative assembly


Conclusion:
Last Updated :Oct 17, 2019, 10:07 PM IST
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