ETV Bharat / city

कोरोना से ठीक होने वालों पर अब ब्लैक फंगस का खतरा, चंडीगढ़ PGI के डॉक्टर से जानिए इसके लक्षण और बचाव का तरीका

author img

By

Published : May 11, 2021, 8:25 AM IST

Updated : May 18, 2021, 3:34 PM IST

black-fungus-disease-caused-by-giving-steroids-in-corona-treatment-know-its-symptoms
कोरोना इलाज में स्टेरॉयड देने की वजह से हो रही ब्लैक फंगस बीमारी, डॉक्टर से जानिए इसके लक्षण

देश में इस वक्त कोरोना से ठीक हो रहे लोगों में ब्लैक फंगस नाम की बीमारी देखने को मिल रही है. माना जा रहा है कि यह बीमारी कोरोना से भी ज्यादा घातक है. इस बीमारी को लेकर हमने चंडीगढ़ पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. अरुणालोक चक्रवर्ती से बात की.

चंडीगढ़: देश इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है. कोरोना देश में लाखों लोगों की जान ले चुका है. लेकिन जो लोग कोरोना से ठीक हो रहे हैं, उन्हें ब्लैक फंगस नाम की बीमारी अपनी चपेट में ले रही है और यह बीमारी कोरोना से भी ज्यादा घातक है. इस बीमारी को लेकर हमने चंडीगढ़ पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. अरुणालोक चक्रवर्ती से बात की.

ब्लैक फंगस क्या है और यह कोरोना मरीजों को अपनी चपेट में क्यों ले रहा है?
डॉक्टर चक्रवर्ती ने बताया कि इस बीमारी का नाम ब्लैक फंगस नहीं है. ब्लैक फंगस एक अलग ग्रुप है. इस बीमारी का सही नाम मयूकरमाइकोसिस है. यह बीमारी कोरोना के मरीजों को अपनी चपेट में ले रही है, लेकिन ऐसा नहीं है कि ये बीमारी पहली बार भारत में आई है. पहले भी इस बीमारी के मरीज सामने आते रहे हैं. यह बीमारी ज्यादातर उन मरीजों को होती है. जो डायबिटीज से पीड़ित हैं. कोरोना भी उन लोगों को आसानी से चपेट में ले लेता है, जिन लोगों को डायबिटीज है.

इसके अलावा जब कोरोना के मरीजों का इलाज किया जा रहा होता है तो डॉक्टर उन्हें स्टेरॉयड देते हैं क्योंकि स्टेरॉयड कोरोना के इलाज में काफी कारगर साबित हो रहे हैं. लेकिन ज्यादा स्टेरॉयड लेने से मरीज के ब्लड में ग्लूकोज़ की मात्रा अनियंत्रित हो जाती है. जिससे ये बीमारी पैदा होती है. अगर किसी मरीज को चेहरे में एक तरफ दर्द महसूस हो, दांत में दर्द हो, आंखों से धुंधला दिखाई देना शुरू हो, या दो चीजें दिखाई दे रही हो, या नाक बार-बार बंद हो रही हो तो व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.

कोरोना इलाज में स्टेरॉयड देने की वजह से हो रही ब्लैक फंगस बीमारी, डॉक्टर से जानिए इसके लक्षण

ये भी पढ़ें- कोरोना मरीजों को जकड़ रही है ब्लैक फंगस बीमारी, हरियाणा में मिले 2 दर्जन मामले

क्या ऑक्सीजन से फैलता है म्यूकरमायइकोसिस?
डॉक्टर चक्रवर्ती ने बताया कि लोगों में यह भ्रम भी फैल रहा है कि यह बीमारी ऑक्सीजन लेने से भी फैलती है. जबकि यह सही नहीं है क्योंकि म्यूकर पर्यावरण में भी मौजूद है और सांस के माध्यम से हमारे शरीर में जाता है. लेकिन इससे यह बीमारी नहीं फैलती. यह बीमारी मुख्यत स्टेरॉयड की वजह से फैलती है.

क्या स्टेरॉयड को लेकर कोई गाइडलाइन जारी की गई है?
डॉ. चक्रवर्ती के मुताबिक स्टेरॉयड के इस्तेमाल को लेकर आईसीएमआर की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है. इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय भी जल्द इसको लेकर गाइडलाइन जारी करने वाला है, ताकि मरीजों को स्टेरॉयड सही मात्रा में दी जाए और उन्हें इस बीमारी से बचाया जा सके.

ये भी पढ़ें- कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी अहम, डॉक्टर से जानिए वैक्सीन लगवाने के कितने दिनों बाद करें प्लाज्मा डोनेट

क्या होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को भी हो सकता है म्यूकरमायइकोसिस?
इस समय कोरोना का इलाज करवा रहे काफी लोग होम आइसोलेशन में हैं. उन्हें भी एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड दिए जा रहे हैं जबकि इसकी जरूरत नहीं है. अगर मरीज को बुखार होता है तो वह पेरासिटामोल ले सकता है. अगर खांसी-जुकाम होता है तो वह ऐसी अन्य दवा ले सकता है.

होम आइसोलेशन में स्टेरॉयड नहीं दिया जाना चाहिए. अगर डायबिटीज का मरीज स्टेरॉयड लेगा तो उसे इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाएगी. जो लोग डायबिटिक नहीं भी हैं, अगर वह भी ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड लेते हैं तो उन्हें भी यह बीमारी हो सकती है.

ये भी पढ़ें- कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक, डॉक्टर से जानिए कैसे करें बचाव

मरीज को कैसे पता चलेगा कि उसे किस डॉक्टर के पास जाना है?
अगर किसी मरीज को म्यूकरमायइकोसिस के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे पता नहीं चलेगा कि उसे यह बीमारी हो चुकी है. इसके लिए अस्पतालों में एक मैनेजमेंट टीम तैयार करनी पड़ेगी. जिसमें माइक्रोबायोलॉजिस्ट, ईएनटी स्पेशलिस्ट, आई स्पेशलिस्ट आदि कई डॉक्टर्स को जोड़ना पड़ेगा. अगर उनके पास ऐसा कोई मरीज आता है, तब आसानी से इस बीमारी को डायग्नोज किया जा सकता है. ऐसे मरीज का इलाज जल्दी करना जरूरी होता है.

क्या इस बीमारी का इलाज संभव है?
डॉक्टर चक्रवर्ती के मुताबिक इस बीमारी का इलाज संभव है. इसके लिए एक दवा आती है, लेकिन इस वक्त ज्यादातर राज्यों में वह दवा नहीं मिल रही है. इसलिए हमें यह भी डर है कि अगर यह बीमारी फैलती है तो इसके लिए दी जाने वाली दवा की कालाबाजारी शुरू ना हो जाए. अगर ऐसा हुआ तो स्थितियां बदतर हो जाएंगी. इसके लिए सरकार को गंभीर होना पड़ेगा ताकि दवा की कालाबाजारी ना हो और दवा समय पर मरीजों को मिल सके.

ये भी पढ़ें- कोरोना काल में रक्तदान करने से नहीं घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता, PGI डॉक्टर बोले- दो बातों का ध्यान रखना जरूरी

Last Updated :May 18, 2021, 3:34 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.