ETV Bharat / city

जानें भिवानी के मिनी क्यूबा बनने की कहानी, रोजाना 1200 मुक्केबाज करते हैं प्रैक्टिस

author img

By

Published : Aug 12, 2022, 9:11 PM IST

Sports City Bhiwani
भिवानी को क्यों कहा जाता है खेल नगरी

देश में मिनी क्यूबा के नाम से मशहूर भिवानी को मुक्केबाजी के गढ़ के नाम से भी जाना जाता है. मुक्केबाजी का हब कहे जाने वाले भिवानी में 22 मुक्केबाजी अकादमी हैं. जिनमें करीब 1200 मुक्केबाज रोजाना प्रैक्टिस करते हैं.

भिवानी: भिवानी देश का वह जिला है, जिसे मुक्केबाजों की फैक्ट्री कहा जाता है. यहां एक समय में लगभग 1200 मुक्केबाज अंतर्राष्ट्रीय पदकों के लिए प्रैक्टिस करते हैं. भिवानी जिले को खेल नगरी व मिनी क्यूबा के उपनामों (Mini Cuba Bhiwani) से भी जाना जाता है. अब वह पूरे विश्व में मुक्केबाजी का गढ़ बन गया हैं. ये भी कहा जाता है कि हरियाणा की मिट्टी मेडल उगलती है. यह बात हाल ही में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स और इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में साबित हो चुकी है. मुक्केबाजी का जिक्र करें तो सबसे अधिक उपलब्धि भिवानी की ही रही है. वर्ष 2008 में हुए बीजिंग ओलंपिक में जब बिजेंद्र सिंह ने देश के लिए बॉक्सिंग में पहला मेडल जीता था, उसके बाद से ही लगातार भिवानी में मुक्केबाजी का क्रेज बढ़ा है.

भिवानी को खेल नगरी की उपाधि: भिवानी के बिजेंद्र सिंह को देश का सबसे बड़ा राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार व पदमश्री पुरस्कार मिल चुका है. इसके अलावा भिवानी जिले के खिलाड़ी अब अर्जुन अवॉर्ड, हरियाणा सरकार द्वारा दिए जाने वाले भीम अवॉर्ड भी प्राप्त कर चुके हैं. खेल प्रशिक्षण के क्षेत्र में चार द्रोणाचार्य अवॉर्ड भी भिवानी जिले के नाम दर्ज हैं. भिवानी में अब तक 3 हजार के लगभग राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी विभिन्न खेलों में अपनी पहचान बना चुके हैं. यही कारण है कि भिवानी को खेल नगरी की उपाधि (Sports City Bhiwani) मिली हुई है.

भिवानी को क्यों कहा जाता है खेल नगरी

जिले में हैं 22 मुक्केबाजी अकादमी: भिवानी के द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच जगदीश सिंह का कहना है कि भिवानी ना केवल भारत बल्कि दुनिया का वह शहर है, जहां एक समय में 1200 के लगभग मुक्केबाज एक्शन में होते हैं. भिवानी शहर में 12 मुक्केबाजी के अकादमी हैं और ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 10 अकादमी हैं. इस प्रकार कुल 22 मुक्केबाजी अकादमी जिले में हैं. द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच जगदीश सिंह ने बताया कि भिवानी में मुक्केबाजी की शुरुआत कैप्टन हवासिंह व आरएस यादव ने की थी. भिवानी से पहले ओलंपियन मुक्केबाज खिलाड़ी संदीप गोलन ने 1992 में हुए बर्सिलोना ओलंपिक में भागीदारी की थी. उसके बाद मुक्केबाज राजकुमार सांगवान ने एशियन चैंपियनशिप में देश को गोल्ड मेडल दिलाया था.

2008 में बिजेंद्र सिंह का दौर शुरु हुआ: जकुमार सांगवान के बाद जितेंद्र सिंह ने दो बार ओलंपिक में हिस्सा लिया और कॉमनवेल्थ में देश के लिए मेडल प्राप्त किया. वर्ष 2008 में बिजेंद्र सिंह के बॉक्सर का दौर शुरु हुआ. जिसने ओलंपिक में मुक्केबाजी में देश का पहला ब्रांज मेडल हासिल किया. उनके समकालीन दिनेश, अखिल, विकास कृष्णनन, पूजा बोहरा, जितेंद्र जूनियर ने देश के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनेक मेडल बटोरे और मुक्केबाजी में भारत का नाम ऊंचा किया. इनके बाद दिलबाग, सुनील, नीतू घणघस, कविता चहल, साक्षी, सचिन, जैस्मिन, सोनिका जैसे खिलाड़ी अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं. हाल ही में भिवानी की नीतू घणघस व जैस्मिन ने कॉमनवेल्थ खेल 2022 में एक बार फिर से देश को मेडल दिलाने का काम किया है.

ओमप्रकाश चौटाला ने की थी खेल नीति की शुरुआत: देश के लिए मेडल प्राप्त करने के पीछे हरियाणा की खेल नीति को भी इसका श्रेय जाता है. मुक्केबाजी कोच जगदीश सिंह बताते हैं कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने हरियाणा में खेल नीति की शुरुआत की थी, जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस खेल नीति को आगे बढ़ाया और खिलाड़ियों को पदक जीतने पर डीएसपी स्तर तक की नौकरी व बेहतरीन नकद पुरस्कार की शुरुआत की, जिससे खिलाड़ियों में खेल के प्रति काफी क्रेज पैदा हुआ. वर्तमान सरकार ने भी कैश अवॉर्ड के नाम पर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया. हालांकि खिलाड़ियों को नौकरी के मामले में वर्तमान सरकार की खेल नीति में तकनीकी खामियों की बात भी द्रोणाचार्य अवॉर्डी जगदीश सिंह ने कही.

गूगल में दिखा मुक्केबाजी का गढ़ भिवानी: भिवानी के मुक्केबाजों की बात करें तो अन्य राज्यों व जिलों के मुक्केबाज भी मुक्केबाजी का हब होने के चलते यहां अभ्यास करने के लिए स्थायी तौर पर अपना निवास बनाए हुए हैं. भिवानी में मुक्केबाजी की प्रैक्टिस कर रहे मधुबनी बिहार के मुक्केबाज कृष्णा, हिसार से मुक्केबाज अक्षत बेनिवाल ने खेल के प्रति अपनी राय रखी. गुरुग्राम की मुक्केबाज रेणुका ने बताया कि उन्होंने गूगल से जब सर्च किया तो मुक्केबाजी का गढ़ भिवानी दिखाया गया था. इसीलिए उन्होंने हरियाणा के भिवानी की तरफ अपना रुख किया और यहां स्थायी तौर पर हॉस्टल में रहकर अपनी प्रैक्टिस शुरू की.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.