भिवानी: दुनिया में मुक्केबाजी के लिए क्यूबा अपनी अलग पहचना रखता है. भिवानी शहर को मिनी क्यूबा यू ही नहीं कहा जाता, इसके पीछे जिले के गांव कालुवास की बड़ी भूमिका है. भिवानी शहर से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर बसा कालुवास गांव मुक्केबाजों का गांव कहलाता है. इस गांव के लगभग हर घर में आपको मुक्केबाज मिल जाएंगे. साल 2008 में जब बीजिंग ओलंपिक में इसी गांव के मुक्केबाज बिजेंद्र सिंह ने ओलंपिक मेडल जीता तो एकाएक गांव के युवाओं का रूझान मुक्केबाजी की तरफ बढ़ा. अब गांव के 8 साल से लेकर बड़ी उम्र के युवा मुक्केबाजी में अपना कैरियर बनाने में जुटे हैं.
गांव कालूवास के लोगों में बॉक्सिंग का पैशन
गांव कालूवास के बोर्ड पर देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार विजेता ओलंपियन बिजेंद्र का नाम देखकर इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह गांव कालुवास मुक्केबाजी में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. इस बोर्ड को देखकर गांव के युवा मुक्केबाजी को अपना पैशन बनाकर बिजेंद्र की तर्ज पर देश के लिए मेडल लाने के लिए मेहनत कर रहे हैं.
हर घर में मिल जाएंगे बॉक्सर
बिजेंद्र के ओलंपिक मेडल के बाद वो अब भी लगाातार प्रोफेशनल बॉक्सिंग में नाम कमा रहे है. जिसके चलते उन्हे खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन अवॉर्ड, पदमश्री पुरस्कार मिल चुके है. इसी से प्रेरित होकर कालुवास गांव में हर घर में मुक्केबाजी की प्रैक्टिस करने वाले युवा मिल जाएंगे.
बिजेंद्र सिंह की सफलता से प्रेरित हैं युवा
इसी गांव के अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सर सचिन, अमन व साहिल ने बताया कि उनके गांव के लगभग हर घर में मुक्केबाज है. किसी घर में एक मुक्केबाज तो किसी घर में दो से तीन मुक्केबाज इस खेल को अपनाए हुए है. जिसके कारण उनका गांव मुक्केबाजों का गांव कहलाता है. इसकी शुरूआत बिजेंद्र की सफलता के बाद हुई, जब गांव के युवाओं ने देखा कि एक आम घर से निकला मुक्केबाज आज अपने खेल के दम पर अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाए हुए है.
बॉक्सिंग की दुनिया में गांव को मिली अलग पहचान
गांव के बुजुर्ग रणधीर सिंह बताते है कि 2008 में जब गांव के ओलंपियन मुक्केबाज को पहचान मिली तो इससे प्रेरित होकर गांव में बहुत से खिलाड़ियों ने मुक्केबाजी को अपना कैरियर बनाना शुरू कर दिया. इसी के दम पर आज गांव के बहुत से युवा खेल कोटे में आर्मी, पुलिस और विभिन्न विभागों में नौकरियां कर रहे हैं. कालुवास गांव के युवाओं का रूझान अब खेलों की तरफ बढ़ने से गांव को अलग पहचान मिली है.