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नोएडा में विदेश भेजने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले गैंग का पर्दाफाश, दो गिरफ्तार

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Published : Oct 14, 2022, 7:20 PM IST

बेरोजगार मध्यम वर्गीय लोगों से खाड़ी के देशों में नौकरी लगवाने के नाम पर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गैंग का नोएडा के सेक्टर- 20 (Sector 20 of Noida) थानाे की पुलिस ने पर्दाफाश करते हुए गैंग के दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार जालसाजों में गैंग का मास्टर माइंड सुधीर सिंह है. साथ में गिरफ्तार दूसरे का नाम हमीद है.

पुलिस ने जब्त किए पासपोर्ट.
पुलिस ने जब्त किए पासपोर्ट.

नई दिल्ली/ नोएडा : नोएडा के सेक्टर- 20 (Sector 20 of Noida) थाना की पुलिस ने भोले-भाले मध्यम वर्गीय लोगों को खाड़ी के देशों में नौकरी लगवाने के नाम पर (in name of sending abroad) फर्जी पासपोर्ट, वीजा, एयर टिकट बनाकर धोखाधडी कर रुपये हड़पने वाले अंतरराज्यीय गैंग का भांडाफोड़ करते हुए गैंग के मास्टर माइंड सुधीर सिंह और हमीद को गिरफ्तार किया (arrested for cheating) है.

सुधीर सिवान जिले के महाराजगंज थाना अंतर्गत देवरिया का रहने वाला है. दोनों की गिरफ्तारी सेक्टर- 27 स्थित श्रीजी पैलेस के पहले तल पर अवैध रूप से संचालित दफ्तर से हुई है. इनके कब्जे से 80 पासपोर्ट, 22 फर्जी आधार कार्ड, 1 प्रिंटर, 3 मोबाइल फोन, 1 डेस्कटप, 1 सीपीयू, 1 लैपटॉप, 1 की-बोर्ड और 4 लाख 24 हजार रुपये बरामद हुए हैं.

बता दें, 9 अक्टूबर 2022 को उत्तर प्रदेश के देवरिया निवासी अंकुर कुमार सिंह समेत 15 लोगों ने अपने साथ इराक में नौकरी लगवाने के नाम पर धोखाधडी करके की शिकायत थाने में दर्ज कराई थी. इसमें कहा गया था कि फर्जी वीजा व एयर लाइन्स टिकट तैयार कर सबसे 65 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक आरोपियों ने हड़प लिए. इसके आधार पर विभिन्न धाराओं के तहत थाने में केस दर्ज किया गया था.

पुलिस ने जब्त किए पासपोर्ट.
पुलिस ने जब्त किए पासपोर्ट.

तीन साल से कर रहे थे ठगी : सुधीर ग्रेजुएट एवं हमीद इंटर पास है. सुधीर पहले प्लंबर की नौकरी के लिए दुबई गया था लेकिन कोविड के दौरान लॉकडाउन की वजह से लौट आया और इसके बाद इसने कुछ समय इसने हल्दीराम कम्पनी में नौकरी की. इसके बाद यह इस धोखाधडी के काम में संलिप्त हो गया.सुधीर व हमीद ये धोखाधडी का काम करीब 3 साल से कर रहा था. सेक्टर 27 में ये करीब 4 माह से एवं इससे पहले दिल्ली व गाजियाबद क्षेत्र में ऑफिस खोलकर ये काम रहे थे. अब तक पूछताछ में करीब 600-700 लोगों के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया है.


नोएडा सेक्टर 27 में भी था दफ्तर : सुधीर व हमीद पहले भारत सरकार की रजिस्टर्ड कमपनी आर.के. इन्टरनेशनल एवं डायनेमिक में नौकरी लगवाने के लिए आवेदनकर्ताओं को लेकर जाते थे. जहां ये आवेदनकर्ताओं से कमीशन लेते थे. इसी अनुभव को इन अपराधियों ने आवेदनकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी करने लिए इस्तेमाल किया.

नोएडा में विदेश भेजने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले गैंग का पर्दाफाश.

इस गैंग के अपराधियों ने 4 माह पूर्व सेक्टर 27 में खोले गए ऑफिस के जरिए अब तक करीब 75-80 लोगों के साथ विदेश में नौकरी लगवाने के नाम पर रुपये हड़पे हैं. इन अपराधियों ने अपनी फर्जी कम्पनी का नाम अम्बा इन्टरप्राजेज रखा क्योंकि महाराष्ट्र में अम्बे इन्टरप्राइजेज नाम की एक बड़ी रजिस्टर्ड कम्पनी है. अपराधियों ने अपनी फर्जी कम्पनी का रजिस्ट्रेशन नम्बर भी महाराष्ट्र वाली कम्पनी का ही लिखा है.


महेन्द्र मुखिया के बैंक खाते का इस्तेमाल : ये आवेदनकर्ताओं को फर्जी आधार कार्ड दिखाकर यकीन दिलाते थे कि इतने लोगों को हम नौकरी पर भेज चुके हैं. ये फर्जी आधार कार्ड अपने कार्यालय में तैयार करते थे. ये रुपये लेने के लिए 12 बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करते थे.

ये महेन्द्र मुखिया के नाम के बैंक अकाउंट्स को धोखाधड़ी की धनराशि लेने के लिए इस्तेमाल करते थे जबकि महेन्द्र मुखिया की मौत हो चुकी है. धोखाधडी कर बैंक अकाउंट्स में जमा कराए गये रूपयों में से 5 माह में 3 अकाउटंस से करीब 60 लाख रूपयों का डेबिट किया जा चुका है.


"अभियुक्त पहचान छुपाकर किराये पर कार्यालय लेते थे और अम्बा इन्टरप्राइजेस नाम से फर्जी कम्पनी चलाते थे. इसके बाद GULF COURSE नाम से फेसबुक पर फर्जी अकाउंट बनाकर खाड़ी के देशों में, जिनमें मुख्य रूप से इराक, दुबई, बहरीन आदि होते थे, उनमें नौकरी लगवाने का विज्ञापन जारी करते थे. इस विज्ञापन को देखकर मध्यम वर्गीय गरीब परिवार के लोग नौकरी के लिए विज्ञापन में दर्ज मोबाइल नम्बरों से गैंग के सदस्यों से संपर्क करते थे. इसके बाद गैंग लोगों को कार्यालय में बुलाकर गल्फ देशों में नौकरी लगवाने की फर्जी प्रक्रिया समझाते थे. ये अपराधी आवेदनकर्ताओं से उनका पासपोर्ट ले लेते थे और फर्जी वीजा एवं एयरलाइन्स के फर्जी टिकट तैयार करते थे. ये अपराधी आवेदनकर्ताओं से करीब 65 हजार से एक लाख रुपये प्रति व्यक्ति अपने अकाउंट में ट्रांन्सफर कराते थे या नकद वसूल लेते थे. जब आवेदनकर्ताओं की संख्या बहुत अधिक हो जाती थी तो ये सभी अपराधी अपना कार्यालय एवं मोबाइल फोन बन्द करके फरार हो जाते थे. इसके बाद कहीं और दफ्तर खोल लेते थे."

- आशुतोष द्विवेदी, एडीसीपी, नोएडा

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