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अयोध्या भूमि विवाद : संक्षेप में समझें फैसले के अहम  बिंदु

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Published : Nov 9, 2019, 10:38 AM IST

Updated : Nov 9, 2019, 5:39 PM IST

अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. पांचों जजों ने एकमत से निर्णय दिया. इसके अनुसार विवादास्पद जमीन ट्रस्ट को सौंपी जाएगी. केन्द्र सरकार ट्रस्ट को बनाएगी. मुस्लिम पक्षों को अलग से पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया है. जानें, इस फैसले के क्या हैं महत्वपूर्ण बिंदु.

फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज

नई दिल्ली : अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. पांचों जजों ने एकमत से फैसला सुनाया. ईटीवी भारत ने इस मामले को करीब से देखने वाले वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा से बात की. उन्होंने बताया कि शीर्ष अदालत ने संतुलित फैसला सुनाया है. उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष की ओर से उन्होंने अदालत में अपना पक्ष रखा था.

पीएन मिश्रा ने कहा कि 2.77 एकड़ का विवादित भूखंड हिंदुओं को दिया गया है, क्योंकि जन्मस्थान बदला नहीं जा सकता. बकौल पीएन मिश्रा 67 एकड़ भूमि के पास दूसरा धर्मस्थान बनाने से विवाद भी हो सकता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का प्रयोग कर सुप्रीम कोर्ट ने किसी और स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने की बात कही है.

1993 के ऑब्जेक्ट में उसी स्थान पर मस्जिद निर्माण का जिक्र करते हुए पीएन मिश्रा ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार से परामर्श कर केंद्र सरकार अयोध्या में ही किसी अन्य स्थान पर मस्जिद के लिए भूमि दे सकती है. ये बहुत अच्छा फैसला है.' उन्होंने कहा कि हिंदुओं और मुसलमानों की आस्था और धर्मग्रंथों का आकलन और निर्वचन कर ये फैसला दिया गया है.

ये हैं महत्वपूर्ण बिंदु

  • SC ने केंद्र से ट्रस्ट की स्थापना में निर्मोही अखाड़े को किसी तरह का प्रतिनिधित्व देने पर विचार करने के लिए कहा.
  • केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकारें अधिकारियों द्वारा भविष्य की कार्रवाई की निगरानी कर सकते हैं.
  • 2.77 एकड़ विवादित भूमि का कब्ज़ा केंद्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगा.
  • निर्मोही अखाड़े की याचिका में पूरे विवादित जमीन पर नियंत्रण देने की मांग. SC ने खारिज की अपील.
  • SC ने केंद्र सरकार से 3 महीने के भीतर योजना बनाने और मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने को कहा.
  • SC ने मुसलमानों को नई मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक भूमि के आवंटन का निर्देश दिया.
  • बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाया जाना कानून का उल्लंघन था.
  • यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड अयोध्या विवाद में अपना मामला स्थापित करने में विफल रहा है. इसके विपरीत, हिंदुओं ने अपना मामला स्थापित किया कि वे बाहरी आंगन (outer courtyard) के कब्जे में थे.
  • विवादित जमीन के बाहरी प्रांगण (outer courtyard) पर मुस्लिम पक्ष का कब्जा नहीं था. मुस्लिम पक्षों ने ऐसा सबूत नहीं दिया है कि विवादित जमीन पर सिर्फ उनका (exclusive) कब्जा था.
  • आस्था (faith), विश्वास (belief) के आधार पर टाइटल तय नहीं किया जा सकता है; वे विवाद सुलझाने के लिए एक तरह के संकेतक हैं.
  • सीता रसोई, राम चबूतरा और भंडार गृह का अस्तित्व, इस जगह के धार्मिक तथ्य की गवाही हैं.
  • हिंदुओं की आस्था है कि विवादित ढांचे के नीचे भगवान राम का जन्म हुआ था, ये निर्विवाद है.
  • विवादित स्थान के संबंध में हिंदुओं का मानना है कि ये भगवान राम की जन्मभूमि है. इस संबंध में मुस्लिम भी ऐसा कहते हैं.
  • ASI की रिपोर्ट से यह स्थापित नहीं हुआ था कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को ध्वस्त किया गया था. जमीन के नीचे की संरचना (underlying structure) एक इस्लामी संरचना नहीं थी.
  • ASI ने ये तथ्य साबित किया है कि ध्वस्त किए गए विवादित ढांचे के नीचे एक मंदिर था. बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी.
  • सुनवाई के दौरान पुरातात्विक रिपोर्ट (ASI Report) पर तर्क दिए गए थे. भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) संदेह से परे है और इसके निष्कर्षों की उपेक्षा नहीं की जा सकती.
  • निर्मोही अखाड़ा का दावा केवल प्रबंधन का है. निर्मोही अखाड़ा 'शबैत' नहीं है.
  • सीजेआई गोगोई ने कहा, इस न्यायालय को आस्था और विश्वास (faith and belief) को स्वीकार करना चाहिए. CJI ने कहा कि उपासकों के विश्वास (belief of worshippers) को स्वीकार करना चाहिए. कोर्ट को संतुलन बनाए रखना चाहिए.
  • SC का कहना है कि विवादित जमीन राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी जमीन थी.
  • शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज हो गई है. शिया वक्फ बोर्ड का दावा विवादित ढांचे को लेकर था जिसे SC ने खारिज कर दिया है.

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मुख्य सार

  • संविधान पीठ ने अपने 1045 पन्नों के फैसले में कहा कि नई मस्जिद का निर्माण 'प्रमुख स्थल' पर किया जाना चाहिए. मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित किया जाना चाहिए, जिसके प्रति हिन्दुओं की यह आस्था है कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था.
  • पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला विराजमान को सौंप दिया जाये, जो इस मामले में एक वादकारी हैं. हालांकि यह भूमि केन्द्र सरकार के रिसीवर के कब्जे में ही रहेगी.
  • न्यायालय ने कहा कि हिन्दू यह साबित करने में सफल रहे हैं कि विवादित ढांचे के बाहरी बरामदे पर उनका कब्जा था और उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड अध्योध्या विवाद में अपना मामला साबित करने में विफल रहा है.
  • संविधान पीठ ने यह माना कि विवादित स्थल के बाहरी बरामदे में हिन्दुओं द्वारा व्यापक रूप से पूजा अर्चना की जाती रही है और साक्ष्यों से पता चलता है कि मस्जिद में शुक्रवार को मुस्लिम नमाज पढ़ते थे जो इस बात का सूचक है कि उन्होंने इस स्थान पर कब्जा छोड़ा नहीं था.
  • शीर्ष अदालत ने कहा कि मस्जिद में नमाज पढ़ने में बाधा डाले जाने के बावजूद साक्ष्य इस बात के सूचक है कि वहां नमाज पढ़ना बंद नहीं हुआ था.
  • संविधान पीठ ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल के नीचे मिली संरचना इस्लामिक नहीं थी, लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यह साबित नहीं किया कि क्या मस्जिद निर्माण के लिये मंदिर गिराया गया था.
  • न्यायालय ने कहा कि पुरातत्व सर्वेक्षण के साक्ष्यों को महज राय बताना, इस संस्था के साथ अन्याय होगा.
  • न्यायालय ने कहा कि हिन्दू विवादित स्थल को ही भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं और मुस्लिम भी इस स्थान के बारे में यही कहते हैं.
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Last Updated :Nov 9, 2019, 5:39 PM IST
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