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किसी भी उम्र में हो सकती है अर्थराइटिस

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Published : Oct 12, 2020, 5:54 PM IST

अर्थराइटिस को आमतौर पर बुढ़ापे की बीमारी कहा जाता है, लेकिन यह सही नहीं है. यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है. आर्थराइटिस ना सिर्फ हमारे चलने फिरने, बल्कि रोजमर्रा की सामान्य गतिविधियों को करने में भी बाधा उत्पन्न करती है. अर्थराइटिस को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से पूरी दुनिया में 12 अक्टूबर को 'विश्व आर्थराइटिस दिवस' मनाया जाता है.

World Arthritis day
विश्व आर्थराइटिस दिवस

उम्र के बढ़ने के साथ सबसे सामान्य समस्या जो लोगों के सामने आती है, वह है जोड़ों का दर्द या हड्डी से संबंधित परेशानियां, जिनमें से ज्यादातर अर्थराइटिस कारण होता है. ऐसा नहीं है कि अर्थराइटिस सिर्फ बढ़ती उम्र की बीमारी है, यह बीमारी उम्र के किसी भी पड़ाव में रोगी को अपना शिकार बना सकती है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन विभाग (सीडीसी) की माने तो हड्डी तथा टिश्यू की समस्या सहित लगभग 100 से अधिक विभिन्न प्रकार की समस्याएं हमारे जोड़ों को प्रभावित करती हैं. अर्थराइटिस के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से पूरी दुनिया में 12 अक्टूबर को 'विश्व आर्थराइटिस दिवस' मनाया जाता है.

आर्थराइटिस के प्रकार

चिकित्सकों की मानें तो लक्षणों और कारणों के आधार पर अर्थराइटिस के 100 से ज्यादा प्रकार लोगों को प्रभावित करते हैं. इसी आधार पर सीडीसी ने अर्थराइटिस को 6 वर्गों में बांटा है;

⦁ ओस्टियोआर्थराइटिस

ओस्टियोआर्थराइटिस अर्थराइटिस का सबसे सामान्य प्रकार है. इसे अपक्षीय गठिया के नाम से भी जाना जाता हैं. यह सबसे ज्यादा हाथ, कमर और घुटनों के जोड़ों को प्रभावित करती है.

⦁ फाइब्रोमाल्जिया

महिलाओं में फाइब्रोमाल्जिया बहुत आम है, इसके कारण मांसपेशियों और हड्डियों सहित पूरे शरीर में जबरदस्त दर्द रहता है. व्यक्ति पूरे दिन सामान्य थकान का अनुभव करता है. फाइब्रोमाल्जिया के परिणामस्वरूप शारीरिक और मानसिक रूप से रोगियों को गंभीर नुकसान होता है. यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है. फाइब्रोमाल्जिया के कुछ सामान्य लक्षण अत्यधिक थकान, सोने में परेशानी, सिरदर्द, अवसाद, एकाग्रता में कमी आदि हैं.

⦁ रूमेटाइड अर्थराइटिस

यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज जिंदगीभर चल सकता है. इसमें शरीर के जोड़ों में दर्द, सूजन होने के साथ ही उनका आकार बदल जाता है. रूमेटाइड अर्थराइटिस एक सूजन संबंधित विकार है, जिसमें ना सिर्फ जोड़ों पर असर पड़ता है, बल्कि शरीर के तंत्र, त्वचा, आंखों, फेफड़े, दिल और खून की धमनियों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.

⦁ गाउट

गाउट अर्थराइटिस का वह प्रकार है, जिसमें पीड़ित को काफी ज्यादा दर्द का सामना करना पड़ता है. इस बीमारी में मरीजों के शरीर के अधिकांश सभी बड़े-छोटे जोड़ों में दर्द व सूजन रहती है, जिसे पॉलीआर्टीकुलर गाउट कहते हैं. ऐसे में पैरों में अधिक दर्द व अंगूठे में सूजन होने से व्यक्ति चल नहीं पाता है. यहां तक कि वह थोड़ा भी वजन-दबाव भी सहन नहीं कर पाता.

⦁ जुवेनाइल आर्थराइटिस

यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें 16 या उससे कम उम्र के बच्चों में सिनोवियम की सूजन होती है. सिनोवियम जोड़ों के भीतर मौजूद एक टिश्‍यू है, जो उन्‍हें सही तरह से काम करने में मदद करता है. जुवेनाइल आर्थराइटिस एक ऑटोम्यून्यून बीमारी है, अर्थात शरीर के भीतर मौजूद वह प्रतिरक्षा प्रणाली, जो बाहरी बैक्‍टीरिया के आक्रमण से बचाती है. इसके होने के कारण और उपचार की संभावना भी शरीर के भीतर मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करती है. लेकिन अर्थराइटिस के अन्य प्रकारों की भांति इस बीमारी में भी पीड़ित को काफी दर्द का सामना करना पड़ता है. यही नहीं इसके चलते रोगी को चलने तथा अपने रोजमर्रा के सामान्य कार्य करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

⦁ लुपस

यह एक लंबे समय तक रहने वाला सूजन और जलन संबंधी रोग होता है, यह तब होता है, जब आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली आपके ऊतकों और अंगों को नुकसान पहुंचाने लगती है. लुपस की वजह से हुई सूजन व जलन शरीर की कई अलग-अलग प्रणालियों को प्रभावित कर सकती है. इसमें जोड़ों, त्वचा, गुर्दे, रक्त कोशिकाएं, मस्तिष्क, हृदय और फेफड़े आदि शामिल हैं.

इसके अलावा सेप्टिक अर्थराइटिस, मेटाबॉलिक अर्थराइटिस तथा स्पोंडिलोसिस अर्थराइटिस भी इस बीमारी के मुख्य प्रकारों में से एक है.

अर्थराइटिस के कारण

ज्यादातर मामलों में, अर्थराइटिस का मुख्य कारण उपास्थि, एक ऊतक जो हड्डियों को एक-दूसरे से जोड़े रखता है, का टूटना-फूटना है. यह हमारे कंकाल तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह मांसपेशियों के सरलता से काम करने में मदद करता है, जिससे हमारी शारीरिक गतिविधियां सुचारू रूप से काम करती है. (कॉर्टेज) उपास्थि की कमी होने के कारण विभिन्न प्रकार की गठिया हो सकती हैं.

इसके अलावा चोट लगने, प्रतिरक्षा प्रणाली के सही तरीके से कार्य ना करने, वंशानुगत अर्थराइटिस, संक्रमण तथा सर्जरी के कारण भी अर्थराइटिस की समस्या शरीर में उत्पन्न हो सकती है.

अर्थराइटिस के लक्षण

अर्थराइटिस के प्रमुख लक्षणों में जोड़ों तथा शरीर में दर्द, सूजन, मांसपेशियों में कड़ापन या तनाव, हाथ और पांव के जोड़ों के मुड़ने में दर्द या परेशानी महसूस होना, बुखार तथा थकान शामिल है. इसके अतिरिक्त अर्थराइटिस के प्रकार के अनुसार लक्षण भी बदलते रहते हैं.

आर्थराइटिस के बावजूद कैसे रहे सक्रिय

अर्थराइटिस से पीड़ित लोगों के लिए बहुत जरूरी है कि वह नियमित तौर पर सरल व्यायाम करते रहें. अपने चिकित्सक से नियमित परामर्श लेते रहें और उनके दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार अपनी दिनचर्या का पालन करें. अर्थराइटिस एक दर्द दायक बीमारी है, लेकिन सही सलाह, नियमित व्यायाम तथा सही खानपान की मदद से स्थितियों को बेहतर किया जा सकता है. कोरोना के इस दौर में बहुत जरूरी है कि अर्थराइटिस के रोगी अपना विशेष ध्यान रखें.

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