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Sexual and reproductive Health Day: सम्पूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

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Published : Feb 12, 2023, 12:03 AM IST

Sexual and reproductive Health Day
सम्पूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

Sexual and Reproductive Health Awareness Day: दुनिया भर में आमजन में यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं व उनके इलाज तथा यौन स्वास्थ्य तथा प्रजनन से जुड़ी अन्य समस्याओं व मुद्दों को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 12 फरवरी को यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है.

नई दिल्ली: हमारे देश में पुरुषों तथा महिलाओं में अभी भी यौन स्वास्थ्य को लेकर जरूरी जागरूकता की काफी कमी देखी जाती है. जिसका नतीजा आमतौर पर यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी समस्या के रूप में देखने में आता है. विशेषतौर पर महिलायें जागरूकता की कमी के चलते या फिर सामाजिक ताबू व अन्य कई कारणों के चलते ना तो अपनी समस्याओं के बारे में ज्यादा बात कर पाती हैं और ना ही समय पर उनका इलाज करवा पाती हैं. जिसका असर उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य और यहां तक भी उनके सामाजिक जीवन पर भी पड़ता है.

यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य दिवस
दुनियाभर में यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के जुड़े मुद्दों को लेकर आमजन में जागरुकता बढ़ाने के लिए हर साल 12 फरवरी को यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य सिर्फ यौन या प्रजनन रोगों के बारें में जागरूकता फैलाना ही नहीं है बल्कि बल्कि उनसे जुड़े कानून, भ्रांतियों, सामाजिक धारणाओं तथा लोगों की सोच से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना भी है.

क्या कहते हैं आंकड़े
यह सही है कि भारत में पुरुषों और महिलाओं के बीच यौन और प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता में अभी भी काफी कमी देखी जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि दुनिया के बाकी देशों में पूरी आबादी जागरूक है. दुनिया भर में हर साल लाखों-करोड़ों लोग यौन और गर्भनिरोध संबंधित जानकारियों के अभाव में या उनका पालन ना करने के चलते कई गंभीर रोगों तथा संक्रमणों शिकार हो जाते हैं. वहीं दुनिया भर में बांझपन के मामलों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

सिर्फ भारत की बात करें तो विभिन्न वेबसाइट्स पर उपलब्ध आंकड़ों में माना गया है कि भारत में असुरक्षित गर्भपात या गर्भ समापन माता की मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है. और भारत में हर साल लगभग 15.6 मिलियन गर्भ समापन होते हैं. वहीं भारत में हर साल कुल वयस्क आबादी का लगभग 6%, यौन संचारित रोग या एस.टी.डी तथा रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इन्फेक्शन (आरटीआई) का इलाज करवाती है. आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग तीस मिलियन लोग यौन संचारित संक्रमण से पीड़ित हैं.

वैश्विक स्तर पर बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, विश्व स्तर पर लगभग 186 मिलियन लोग बांझपन का शिकार हैं तथा आने वाले वर्षों में यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है. वहीं वर्ष 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनिया भर में प्रतिदिन दस लाख लोग यौन संक्रमण संबंधी रोगों का शिकार हो रहे हैं, वहीं हर वर्ष करोड़ों लोगों को गोनोरिया, क्लैमिडिया, सिफलिस और ट्राइकोमोनिएसिस जैसे यौन संक्रमण से जूझना पड़ता है.

क्या है यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य
गौरतलब है कि यौन स्वास्थ्य या प्रजनन स्वास्थ्य सिर्फ संक्रमणों या बांझपन तक ही सीमित नहीं है. एचआईवी/एड्स, प्रजनन कैंसर, एसटीडी, आरटीआई, गोनोरिया, क्लैमिडिया , सिफलिस तथा ट्राइकोमोनिएसिस जैसे संक्रमण व रोग, महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी समस्या, शारीरिक संबंधों में उत्तेजना में कमी, शीघ्र स्खलन, यौन संतुष्टि प्राप्त ना कर पाना या यौन अक्षमता, यौन डिसऑर्डर, यौन हिंसा, महिला जननांग विकृति, महिलाओं व पुरुषों दोनों में गर्भधारण करने में अक्षमता या समस्या, जैसे पुरुषों में शुक्राणु संबंधी समस्या व महिलाओं में प्रजनन अंगों सबंधी समस्या जैसी कई समस्याएं हैं जो इस श्रेणी में आती हैं.

यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य दिवस
देखा जाय तो यौन एवं प्रजनन अधिकार मनुष्य के मौलिक मानव अधिकारों में से एक हैं. जिसके तहत हर महिला या पुरुष को अपने अपने शरीर के बारे में फैसले लेने का पूरा अधिकार है. लेकिन हमारी सामाजिक परम्पराओं के चलते ऐसा नहीं हो पाता है. यहीं नहीं हमारे देश में आज भी यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर खुलकर बात नहीं होती है. विशेषकर किशोर युवतियों और महिलाओं को आज भी यौन व प्रजनन स्वास्थ्य तथा उनसे जुड़ी सावधानियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती हैं. यहां तक की अभी भी बड़ी संख्या में महिलाओं को मैस्ट्रुएशन हाइजीन तक के बारें में ज्यादा जानकारी नहीं होती है, और ना ही उन्हे स्वस्थ प्रजनन व यौन जीवन को लेकर उनके लिए बनाए गए तमाम अधिकारों के बारे में जानकारी होती है. जिसके चलते उन्हे ना सिर्फ यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों बल्कि कई अन्य शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है.

यौन हिंसा भी यौन स्वास्थ्य का ही एक हिस्सा है. रेप या बलात्कार को भले ही अपराध या यौन हिंसा की श्रेणी में रखा जाता है लेकिन हमारे देश में ज्यादातर लोग मैरिटल रेप यानी शादी के बाद जबरदस्ती या बिना महिला की स्वीकृति के शारीरिक संबंध बनाने को अपराध नहीं मानते हैं . विभिन्न वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों की माने तो भारत में हर तीन में से एक महिला कभी ना कभी इंटीमेट पार्टनर वायलेंस या यौन हिंसा का सामना करती है. इसके अलावा भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर गर्भनिरोधक तरीकों को अपनाने का ज्यादा भार डाला जाता है. यहां तक कि सिर्फ ग्रामीण ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले पुरुषों में भी यह धारणा आम होती है कि गर्भनिरोधक महिलाओं का विषय है. यह भी महिलाओं के यौन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है.

वहीं संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यू.एन.एफ.पी.ए) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां महिला को उसके शरीर से जुड़े फैसले लेने की कोई आजादी नहीं है. यहां तक कि यहां महिलाओं से यौन संबंध बनाने के लिए सहमति लेना कोई मायने नहीं रखता है. यह सभी मुद्दे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से महिलाओं के यौन या प्रजनन स्वास्थ्य का हिस्सा होते हैं तथा उनके शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं.

यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य दिवस एक मौका हैं जो महिलाओं व पुरुषों, सभी के यौन व प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रत्येक शारीरिक, मानसिक व सामाजिक मुद्दों को लेकर जागरूकता फैलाने तथा उनके कारण होने वाली समस्याओं के निस्तारण के लिए प्रयास करने का मौका देता है. इस अवसर पर वैश्विक तथा राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों के बारे में हर संभव तरीके से महिलाओं व पुरुषों में जानकारी फैलाने, सभी संबंधित शारीरिक समस्याओं को लेकर जांच व इलाज के बारे में जागरूकता फैलाने, किशोर, विकलांग, सेक्स वर्कर्स तथा शोषित जातियों और वर्ग से आनेवाली महिलाओं तक स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास किये जाते हैं.

गौरतलब है कि यदि महिलाओं और युवतियों के पास यौन व प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों की जानकारी होगी तो वे स्वयं को एचआईवी, लिंग आधारित हिंसा, मातृ मृत्यु दर, यौन संचारित रोग से काफी हद तक अपना बचाव कर पाएंगी तथा अपने सम्पूर्ण स्वास्थ्य को दुरुस्त रख पायेंगी. इस संबंध में भारत सरकार द्वारा भी कई प्रयास किये जा रहे हैं तथा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. जिनमें से एक है राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण कोष (जनसंख्या स्थिरता कोष) की हेल्पलाइन सेवा. इस हेल्पलाइन सेवा पर प्रतिदिन सुबह 09:00 से रात 11:00 बजे तक 1800-11-6555 नंबर पर चिकित्सों से यौन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, यौन संचारित संक्रमण, गर्भनिरोधक, गर्भावस्था, बांझपन, गर्भपात, रजोनिवृत्ति और पुरुषों एवं महिलाओं में प्रजनन संबंधी विषयों व समस्याओं पर जानकारी व परामर्श प्राप्त किया जा सकता है.

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