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नियमित व्यायाम तथा संतुलित आहार से रखें वॉटर वेट को नियंत्रित

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Published : Feb 16, 2022, 3:52 PM IST

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नियमित व्यायाम तथा संतुलित आहार से वाटर रिटेंशन की समस्या करें दूर

नियमित व्यायाम तथा संतुलित आहार से रखें वॉटर वेट को नियंत्रित


कहा जाता है जल ही जीवन है, यानी हमारे जीने के लिए पानी बहुत जरूरी है. लेकिन शरीर में पानी की कमी या पानी का ज्यादा मात्रा में जमा होना, दोनों ही सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. पानी की कमी के कारण होने वाली समस्याओं से ज्यादातर लोग परिचित होते हैं, लेकिन यदि शरीर में जरूरत से ज्यादा पानी जमा होने लगे तो शरीर में सूजन, दर्द,पेट पर फैट जमने तथा वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

ज्यादा वजन को चिकित्सक तथा जानकार हमेशा से ही एक बड़ी समस्या मानते हैं. सामान्यतः लोग इसके लिए जरूरत से ज्यादा फैट यानी वसा के सेवन को जिम्मेदार मानते हैं. ज्यादा तला भुना भोजन, जंक फूड तथा प्रोसेस्ड फूड आदि के सेवन को आमतौर पर शरीर पर चर्बी यानी फैट बढ़ने तथा उसके चलते वजन बढ़ने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं वजन बढ़ने के लिए हमेशा फैट वेट ही जिम्मेदार नही होता है. कई बार शरीर में अतिरिक्त पानी जमा होने के कारण बढ़ने वाले वॉटर वेट से भी शरीर का वजन बढ़ जाता है.

क्यों है पानी जरूरी

दिल्ली की खाद्य व पोषण विशेषज्ञ डॉ नियती विलियम बताती हैं कि शरीर का वॉटर वेट बढ़ने का मतलब यह नही है कि आप बहुत ज्यादा पानी या तरल पदार्थ पीते हैं. दरअसल हमारे शरीर में लगभग दो तिहाई हिस्सा पानी या तरल पदार्थ से बना होता है. हमारे रक्त में भी 80 से ज्यादा प्रतिशत पानी ही होता है. हमारे शरीर में अंगों की देखभाल तथा शरीर के सभी अंगों में ऑक्सीजन पहुँचाने के काम में पानी की भूमिका प्रमुख होती है. हमारी हड्डियों, दांत, त्वचा तथा मस्तिष्क में भी पानी मौजूद होता है. पाचन तंत्र, नेत्रों, रक्त तथा किडनी सहित शरीर के सभी अंगों के सफल संचालन के लिए पानी बहुत जरूरी है. लेकिन कई बार शरीर के कुछ विशेष अंगों में अलग अलग कारणों से पानी ज्यादा मात्रा में एकत्रित होने लगता है जिसके चलते शरीर का वॉटर वेट बढ़ने लगता है.

वॉटर वेट बढ़ने के कारण

शरीर में वॉटर वेट बढ़ने के लिए कई कारणों को जिम्मेदार माना जा सकता हैं जिनमें से खानपान में असंतुलन व अनियमितता तथा शारीरिक असक्रियता सबसे प्रमुख है. इसके अलावा कुछ रोगों में, व्यायाम ना करने पर , ज्यादातर समय बैठे या लेटे रहने, जरूरत से ज्यादा आलस्यपूर्ण जीवनशैली जीने तथा गर्भावस्था की अवस्था में भी शरीर में वॉटर रिटेन्शन बढ़ सकता है जिसके चलते शरीर का वाटर वेट बढ़ सकता है. वाटर वेट बढ़ने के लिए कुछ और कारणों को जिम्मेदार माना जा सकता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • ज्यादा मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और सोडियमयुक्त आहार का सेवन
  • नॉन स्टेरोडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाइयों का सेवन
  • ह्रदय रोग तथा हार्मोनल समस्याएं
  • महिलाओं में मेन्स्ट्रल ओडेमा
  • प्रोटीन का कम मात्रा में सेवन
  • गर्भनिरोधक दवाइयां का लंबे समय तक इस्तेमाल

वॉटर वेट और फैट वेट में अंतर

वॉटर वेट और फैट वेट दोनों अलग-अलग चीजें हैं. डॉ नियती बताती हैं कि शरीर में पानी के जमाव के कारण बढ़ने वाल वजन वॉटर वेट कहलाता है तथा ज्यादा वसा के कारण बढ़ने वाली चर्बी के चलते बढ़ने वाले वजन को फैट वेट कहा जाता है. आमतौर पर जल्दी जल्दी वजन में कमी आने या उसके बढ़ने के लिए वॉटर वेट को जिम्मेदार माना जाता है. वहीँ फैट के कारण बढ़ने वाले वजन को कम सकने में समय लगता है.

वॉटर वजन कम करने के उपाय

डॉ नियती बताती हैं कि हर व्यक्ति का वॉटर वेट अलग-अलग होता है. वजन कम करने के लिए जब व्यक्ति व्यायाम शुरू करता है तो सबसे पहले चरण में कम होने वाला वजन उसका वॉटर वेट ही होता है. व्यायाम के अतिरिक्त कुछ अन्य तरीके या सावधानियाँ भी हैं जिनसे वॉटर वेट कम करने में मदद मिल सकती है. जैसे अपने आहार में चीनी तथा नमक की मात्रा कम करना फायदेमंद होता है. दरअसल चीनी शरीर में पानी की मात्रा को बढ़ा सकती है तथा नमक के ज्यादा मात्रा में सेवन से शरीर में पानी एकत्रित होने लगता है.

भोजन में पोटेशियम युक्त आहार की मात्रा बढ़ाने से भी वॉटर रिटेन्शन में राहत मिलती है. इसके अलावा खान पान पर नियंत्रण रख कर भी शरीर में पानी की मात्रा को नियंत्रित रखा जा सकता है.

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