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पुरुषों का मेनोपोज : 'एन्ड्रोपोज'

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Published : Jan 10, 2021, 9:00 AM IST

महिलाओं में होने वाले मेनोपोज के बारे में लगभग सभी लोग जानते है, लेकिन पुरुषों के मेनोपोज यानि एन्ड्रोपोज के बारे में ज्यादातर लोग जागरूक नहीं है. हालांकि महिलाओं की भांति पुरुषों में एन्ड्रोपोज के बाद उनकी प्रजनन क्षमता समाप्त नहीं होती है, लेकिन फिर भी उन्हें बहुत सी शारीरिक, मानसिक तथा यौन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

Andropause
एन्ड्रोपोज

मेनोपोज शब्द को हमेशा महिलाओं से जोड़ कर देखा जाता है. महिलाओं में मेनोपोज यानि रजोनिव्रती वह अवस्था है, जब उनका मासिक चक्र बंद हो जाता है. इस अवस्था में उनके शरीर में काफी बदलाव भी आते है, लेकिन मेनोपोज सिर्फ महिलाओं में ही नहीं, बल्कि पुरुषों में भी होता है. पुरुषों में होने वाले मेनोपोज को एन्ड्रोपोज के नाम से जाना जाता है. एन्ड्रोपोज किस आयु में होता है तथा उसके पुरुषों के शरीर पर क्या प्रभाव होते है. इस बारे एन्ड्रोलॉजिस्ट डॉ. राहुल रेड्डी ने ETV भारत सुखीभवा को विस्तार से जानकारी दी.

एन्ड्रोपोज

एन्ड्रोपोज पुरुषों में पचास से साठ की उम्र के बाद होने वाले हार्मोन परिवर्तन का सूचक होता है. पुरुषों में इस दौर को एंट्रोजेन डिफिसिएंसी ऑफ दी एजिंग मेल (एडीएएम ) भी कहते हैं.

डॉ. राहुल बताते है की महिलाओं के शरीर में रजोनिव्रती के दौरान तमाम बदलावों के साथ एस्ट्रोजन हार्मोन में कमी आने लगती है, उसी प्रकार पुरुषों में एन्ड्रोपोज की अवस्था में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन बनना कम हो जाता है. टेस्टोस्टेरॉन एक ऐसा हार्मोन होता है, जो व्यक्ति की सेक्स ड्राइव यानी योनेच्छा को जाग्रत करने तथा स्वस्थ यौन संबंधों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है. टेस्टोस्टेरॉन की कमी के अलावा एन्ड्रोपोज के दौरान पुरुष के शरीर में एंड्रोजन हार्मोन में भी कमी आने लगती है. एन्ड्रोपोज के परिणाम स्वरूप जहां व्यक्ति का सेक्स जीवन सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, वहीं कुछ अन्य प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती है.

पुरुष रजोनिवृत्ति के लक्षण

डॉ. रेड्डी बताते है की टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की कमी का पुरुषों के स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ता है, तथा टेस्टोस्टेरॉन की कमी के लक्षणों को एन्ड्रोपोज के लक्षणों के रूप में भी देखा जाता है. एन्ड्रोपोज के मुख्य लक्षण इस प्रकार है;

⦁ शरीर में कमजोरी तथा ऊर्जा में कमी महसूस होने लगती है.

⦁ मोटापा, रक्तचाप तथा मधुमेह रोग होना.

⦁ मूड स्विंग्स, डिमेंशिया, नींद ना आना या कम आना, आत्मविश्वास में कमी, किसी भी कार्य में ध्यान लगाने में परेशानी महसूस करना तथा अवसाद, तनाव या उदासी जैसी भावनाएं बढ़ने लगती है.

⦁ हीमोग्लोविन के स्तर में कमी आने लगती है.

⦁ हड्डियों के घनत्व में कमी, उनमें कमजोरी तथा जोड़ों में दर्द की समस्या भी बढ़ जाती है.

⦁ कामेच्छा में कमी होने लगती है तथा स्तंभन दोष, बांझपन जैसे समस्याएं होने की आशंका बढ़ जाती है.

पुरुषों तथा महिलाओं की रजोनिवृत्ति में अंतर

मेनोपोज के कुछ लक्षण तथा प्रभाव महिलाओं और पुरुषों में एक जैसे होते है जैसे;

1. दोनों के सेक्स हार्मोन में कमी आ जाती है. वहीं दोनों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन, बातें भूल जाना, तनाव, मूड का बार-बार बदलना, तथा ज्यादा गुस्सा आने जैसी समस्याएं बढ़ भी जाती है.

2. वहीं दोनों में एक सबसे बड़ा अंतर यह है की जहां रजोनिवृत्ति के बाद महिलायें प्रजनन के लिए सक्षम नहीं होती हैं, वहीं पुरुष एन्ड्रोपोज के बाद भी पिता बन सकते है.

टेस्टोस्टेरॉन में कमी का उपचार

डॉ. राहुल बताते है की पुरुषों में एन्ड्रोपोज अवस्था के दौरान जब टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम होने लगता है, तो उसे चिकित्सा द्वारा बढ़ाया भी जा सकता है. जिसके लिए 'टीएसटी' यानि टेस्टोस्टेरॉन रिप्लेसमेंट थेरेपी की मदद ली जा सकती है. इसके तहत व्यक्ति को हर तीसरे महीने में टेस्टोस्टेरॉन का इंजेक्शन दिया जाता है. लेकिन इसके कुछ पार्श्वप्रभाव भी संभव है, जैसे लीवर पर असर या खून का गाढ़ा होना.

डॉ. राहुल बताते है की ऐसे पुरुष जो प्रोस्टेट कैंसर का शिकार रहे हों, उन्हें यह थेरेपी नहीं लेनी चाहिए क्योंकि इससे उनके रोग की जाटिलताएं बढ़ सकती है.

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