तिरुवनंतपुरम: केरल ने राज्य में एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग को नियंत्रित करने के लिए ब्लॉक स्तरीय एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंश कमिटी के लिए एसओपी जारी किया है. ऐसा करके केरल इस उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है. ब्लॉक-स्तरीय एएमआर समितियों (आईएमआर समितियों) के गठन, उद्देश्यों, कार्यों और निगरानी के संबंध में एक व्यापक दिशानिर्देश (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी किया गया है. एंटीबायोटिक साक्षरता हासिल करना ब्लॉक स्तरीय एएमआर समितियों (रोगाणुरोधी प्रतिरोध समितियों) का मुख्य कार्य है.
समिति में कौन है: प्रमुख निजी अस्पतालों को KARSAP (केरल एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस स्ट्रैटेजिक एक्शन प्लान) नेटवर्क का हिस्सा बनाने का भी कदम उठाया गया है. ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी की अध्यक्षता वाली ब्लॉक स्तरीय एएमआर समिति में स्वास्थ्य, कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, जलीय कृषि, खाद्य सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण, आईएमए, आईएपी, एपीआई, एएफपीआई आदि विभागों के प्रतिनिधि होंगे.
एएमआर समितियों का कार्य: ब्लॉक स्तरीय AMR समितियों का मुख्य उद्देश्य आम लोगों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और संस्थानों के बीच एंटीबायोटिक दवाओं के उचित उपयोग और संक्रमण नियंत्रण विधियों के बारे में जागरूकता पैदा करना है. केवल ऑथराइज्ड चिकित्सा अधिकारी द्वारा निर्धारित एंटीबायोटिक लेने के महत्व, एंटीबायोटिक मुक्त भोजन और पानी तक पहुंच के महत्व और अप्रयुक्त और समाप्त हो चुके एंटीबायोटिक दवाओं के सुरक्षित निपटान के महत्व पर जागरूकता दी जाएगी.
नियम उल्लंघन पर लाइसेंस कैंसिल हो सकता है
केरल राज्य भर के सभी 191 ब्लॉक पंचायतों में एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंश (एएमआर) समितियां बनाने की योजना बना रहा है. जो सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे. इसके अलावा केरल अपने सभी हॉस्पिटलों को एंटीबायोटिक स्मार्ट बनाने की प्लानिंग कर रहा है. एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिसनर के प्रीसक्रिप्शन के बिना एंटीबायोटिक्स बेचने वाली फार्मेसियों को दंडित करने के प्रावधान होंगे. यहां तक ड्रग कंट्रोलर के द्वारा ऐसे फार्मेसियों का लाइसेंस भी कैंसिल किया जा सकता है.
समिति इन मुद्दों पर फैलाएगी जागरूकता
ब्लॉक स्तरीय एएमआर समितियां एंटीबायोटिक-मुक्त भोजन और पानी तक पहुंच के महत्व, अप्रयुक्त और समाप्त हो चुके एंटीबायोटिक दवाओं के सुरक्षित निपटान के महत्व आदि पर जागरूकता बढ़ाने के लिए काम करेंगी. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, परिवार स्वास्थ्य केंद्र, ब्लॉक परिवार स्वास्थ्य केंद्र सहित सभी अस्पताल सामाजिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी एंटीबायोटिक स्मार्ट अस्पतालों के रूप में परिवर्तित किया जाएगा. सभी एंटीबायोटिक स्मार्ट अस्पतालों में जागरूकता पोस्टर प्रदर्शित किए जाने चाहिए. सभी स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. समाप्त हो चुकी और अप्रयुक्त एंटीबायोटिक दवाओं का उचित तरीके से निपटान किया जाना चाहिए.
एंटीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक उपयोग का आकलन करने और उसे कम करने के लिए चिकित्सीय नुस्खों का ऑडिट किया जाएगा. हर तीन महीने में कम से कम 100 नुस्खों की जांच की जानी चाहिए. सभी प्रतिष्ठानों में प्रति माह न्यूनतम 50 नुस्खों की प्रीसक्रिप्शन जांच की जानी चाहिए. जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने के लिए राज्य कदम उठायेगा. स्वास्थ्य विभाग ने ड्रग कंट्रोलर को सभी फार्मेसियों और मेडिकल स्टोरों में बोर्ड प्रदर्शित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है, जिसमें कहा गया है कि 'एंटीबायोटिक दवाएं केवल एक रजिस्टर्ड चिकित्सा व्यवसायी के प्रीसक्रिप्शन पर ही जारी की जाएंगी.'