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रिश्तों में अकेलापन बढ़ा सकती हैं भावनात्मक समस्याएं

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Published : Jul 2, 2022, 5:03 PM IST

कई बार कई कारणों से शादी जैसे रिश्तों में भावनात्मक दूरी आने लगती है, जिसके कारण कभी-कभी एक पार्टनर तो कभी दोनों ही पार्टनर साथ रहते हुए भी एक-दूसरे से भावनात्मक दूरी और अकेलापन महसूस करने लगते हैं.

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रिश्तों में अकेलापन बढ़ा सकता है भावनात्मक समस्याएं

शादीशुदा जीवन में कई बार ऐसा होता है कि कोई एक पार्टनर या दोनों ही एक साथ होते हुए भी रिश्तों में अकेलापन महसूस करने लगते हैं. विशेषतौर पर मध्य आयु में ऐसा आमतौर पर हो जाता है. अकेला महसूस करने की भावना उनके भावनात्मक स्वास्थ्य पर इस हद तक असर डाल देती है कि वे तनाव, उदासी, नाउम्मीदी, और यहां तक कि आत्मविश्वास में कमी जैसी कई प्रकार की भावनाओं का शिकार होने लगते हैं. यदि यह समस्या बढ़ने लगती है तो उनके आपसी संबंधों के साथ ही उनका सामाजिक जीवन भी प्रभावित होने लगता है.

उत्तराखंड की मनोवैज्ञानिक डॉ रेणुका बताती हैं कि कई बार एक रिश्तों में लंबे समय तक रहते हुए लोग एक दूसरे के इतने आदि हो जाते हैं कि एक दूसरे को कहकर या जताकर प्यार या केयर दिखाना, उनके साथ परिवार या बच्चों के अतिरिक्त अपने मन की बातें साझा करना, एक दूसरे को यह दिखाना या जताना की वह उनके लिए क्या मायने रखते हैं, छोड़ देते हैं.

वहीं, कई बार दोनों पार्टनर एक दूसरे से काफी ज्यादा अपेक्षाएं रखने लगते हैं, जो सिर्फ आपसी भावनाओं तक ही सीमित नहीं होती हैं. बल्कि आर्थिक, एक-दूसरे के परिजनों को लेकर व्यवहार, पारिवारिक जिम्मेदारियों के प्रति रवैये तथा और भी बहुत से छोटे-बड़े कारणों से जुड़ी होती है.

पढ़ें: खुशहाल जीवन के लिए शादी से पहले कुछ मुद्दों पर खुलकर बात करें भावी दंपति

रिश्तों में अकेलापन महसूस करने के कारण
डॉ रेणुका बताती हैं कि इनक अलावा भी रिश्तों में अकेलापन महसूस करने के बहुत से कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

ज्यादा अपेक्षाएं
वह बताती हैं कि आमतौर पर दंपति एक दूसरे से जाने-अनजाने बहुत सी अपेक्षाएं रखने लगते हैं. जिनके पूरा ना होने पर अपने साथी के लिए उनके मन में शिकायतें तथा गुस्सा बढ़ने लगता है. ऐसे में यदि उनके बीच संवाद ना हो पाए या दोनों अपनी भावनाओं को सुलझाने की बजाय मन में ही रखने लगें तो वे एक दूसरे के साथ भावनात्मक दूरी महसूस करने लगते हैं, जो रिश्ते में अकेलापन महसूस होने के मुख्य कारणों में से एक होता है.

  1. भावनात्मक संबंध का कमजोर होना
    दंपति के बीच यदि भावनात्मक निर्भरता ना हो, ज्यादा आपसी संवाद ना हो तो भी वे साथ होने के बावजूद भावनात्मक रूप से अकेलापन महसूस करने लगते हैं. दरअसल रिश्ते की शुरुआत में दोनों दंपित एक दूसरे के साथ बाते करते हैं, प्यार जताते हैं, उन्हें रिझाने की कोशिश करते हैं और हर सुख-दुख की बात करते हैं, जो उनके रिश्ते के आकर्षण और आपसी प्यार को और बढ़ाता है. लेकिन समय बीतने के साथ-साथ जब नौकरी, संतान तथा परिवार की जिम्मेदारियां बढ़ती हैं तो ज्यादातर लोग अपनी-अपनी जिम्मेदारियों में इतना ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं कि उनके बीच की भावनात्मक निकटता कम होने लगती है. और वे एक दूसरे के साथ दूरी महसूस करने लगते हैं.
  2. रिश्तों में विश्वासघात
    कई बार ना सिर्फ कुछ पुरुष बल्कि महिलाएं भी अपने सहकर्मियों या दूसरे लोगों की ओर आकृष्ट हो जाते हैं. ऐसी अवस्था में कई बार ऑफिस रोमांस, घर के बाहर दूसरे लोगों से भावनात्मक या शारीरिक संबंध जैसी घटनाएं हो जाती हैं. वहीं कुछ लोगों की अनैतिक रिश्तों या घर के बाहर संबंध बनाने की प्रवृत्ति होती है. ऐसे में अगर उनके पार्टनर को इनके बारे में पता चल जाता है तो उनके बीच में भरोसा टूट जाता है. वहीं यदि इस सब बातों के बावजूद वे साथ में रह रहे हों ज्यादातर दूसरे के प्रति उनके मन में कुंठा, गुस्सा तो कई बार घृणा जैसी भावनाएं पैदा हो जाती हैं. जो उनके बीच भावनात्मक दूरी और अकेलापन महसूस करने का कारण बनती हैं.

मदद लें
डॉ रेणुका बताती हैं कि आयु चाहे कोई भी हो रिश्तों तथा पार्टनर को तवज़्जो देना, उनकी इज्जत करना, आपसी संवाद बनाए रखना बहुत जरूरी होता है. कोई भी रिश्ता तभी हमेशा फलता और फूलता है जब उसमें प्रेम के साथ, आदर, भरोसा या विश्वास, संवाद और सामंजस्य हो. यदि ऐसा ना हो तो सिर्फ पति और पत्नी का आपसी रिश्ता ही प्रभावित नहीं होता है बल्कि उनसे जुड़े अन्य रिश्ते भी प्रभावित होने लगते हैं. इसलिए बहुत जरूरी है कि यदि महिला या पुरुष अपने रिश्ते में असहजता महसूस कर रहे हों तो वे एक दूसरे से खुल कर बात करें. क्योंकि रिश्ते को सुधारने के लिए स्वयं प्रयास करना सबसे जरूरी होता है. यदि इससे ज्यादा मदद ना मिले तो इसके लिए परिजनों, दोस्तों या कई बार अपने बच्चों की मदद भी ली जा सकती है. यदि इन सब के बावजूद समस्या बरकरार रहे तो किसी काउंसलर या विशेषज्ञ से मदद तथा जरूरत पड़ने पर इलाज भी लिया जा सकता है.

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