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भारत में बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगल इंफेक्शन के मामले, जाने क्या है यह संक्रमण?

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Published : May 13, 2021, 3:32 PM IST

पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण के साथ ही एक अन्य संक्रमण लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रहा है, वह है “ब्लैक फंगल इनफेक्शन” या म्यूकोरमायकोसिस। कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में इस संक्रमण का असर देखने में आ रहा है। चिंतनीय बात यह है की यह संक्रमण बहुत तीव्रता से फैलता है, और इसके लक्षणों की अनदेखी जानलेवा भी साबित हो सकती है। इस संक्रमण को कोविड-19 से जोड़ कर देखा जा रहा है।

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Black Fungal Infection

वर्तमान समय में एक और जहां भारतवासी कोविड-19 की दूसरी लहर से संघर्ष कर रहे हैं वही ब्लैक फंगल संक्रमण के लगातार बढ़ते मामले लोगों की चिंता को दोगुनी कर रहे है। कोरोना से जंग जीत चुके लोगों में लगातार फैल रहे इस ब्लैक फंगल संक्रमण के प्रभाव घातक रूप में सामने आ रहें है। ब्लैक फंगल संक्रमण जिसे म्यूकोरमायकोसिस नाम से जाना जाता है एक दुर्लभ लेकिन घातक संक्रमण कहलाता है। संक्रमण के शुरुआती दौर में ही यदि इसके लक्षणों को जान कर इसका इलाज शुरू न किया जाए तो यह शरीर पर गंभीर असर छोड़ता है। संक्रमण की गंभीरता इस बात से आँकी जा सकती है की इसके कारण रोगी की देखने की क्षमता समाप्त हो सकती है वहीं कई बार स्तिथि गंभीर होने पर रोगी की जान भी जा सकती है। म्यूकोरमायकोसिस विशेषकर कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मधुमेह के उन रोगियों को संक्रमित कर रहा है जिन्हें कोरोना के इलाज के दौरान रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए स्टेरॉयड दिए गए थे।

क्या है म्यूकोरमायकोसिस

रोग बचाव तथा नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) के अनुसार म्यूकोरमायकोसिस एक गंभीर तथा दुर्लभ फफूंदीय संक्रमण है, जो मौलड्स (संक्रमण फैलाने वाले तत्व) के एक समूह जिसे मयूकरमायसेटस के नाम से जाना जाता है, के कारण होता है। यह मोलड्स हमारे वातावरण में मौजूद होते हैं और आमतौर पर उन लोगों को प्रभावित करते हैं जो किसी रोग या ऐसी समस्या से जूझ रहे होते हैं जिसके चलते शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। यह आमतौर पर व्यक्ति के हवा में मौजूद संक्रमण के जीवाणुओं को सांस द्वारा शरीर में अवशोषित करने पर शरीर पर प्रभाव दिखाना शुरू करता है। सर्वप्रथम व्यक्ति का साइनस तथा उसके फेफडे इस संक्रमण से प्रभावित होते हैं। इसके अतिरिक्त त्वचा पर किसी प्रकार का कट लगने, जलने या किसी प्रकार की त्वचा संबंधी समस्या होने पर भी इस संक्रमण के जीवाणु शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

म्यूकरमाइकोसिस संक्रमण एक गंभीर बीमारी है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलती है । ब्‍लैक फंगस मरीज के दिमाग, फेफड़े या फिर त्वचा को प्रभावित कर सकती है। अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी जाने के अलावा मौत भी हो सकती है।वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी के गलने की भी शिकायतें नजर आती है।

संक्रमण के संकेत तथा लक्षण

ब्लैक फंगल संक्रमण वर्तमान समय में गंभीर रूप लेता जा रहा है । इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा इस संक्रमण से संबंधित सूचना तथा निर्देशावली जारी की गई है। जिसमें दी गई कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां इस प्रकार हैं।

कौन है सबसे ज्यादा संवेदनशील

  • जिनके शरीर में मधुमेह का स्तर अनियंत्रित हो
  • जिन्हे कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिए गए हो
  • जो लंबे समय तक आईसीयू में रह चुके हो
  • ऐसे लोग जो कोमोरबिडिटी का शिकार हो या फिर किसी प्रकार की ट्रांसप्लांट सर्जरी करवा चुके हों
  • वॉरीकॉनेज़ोले थेरेपी लेने वाले लोग

ध्यान देने वाले लक्षण

  • साइनोसाइटिस, नाक बंद होना , नाक से काली रंगत लिए रेशों तथा रक्त के रेशों का मयुकस के साथ निकालना तथा जबड़े की हड्डी में दर्द होना
  • चेहरे के आधे हिस्से में दर्द, सुन्नता तथा सूजन होना
  • दांत में दर्द, दांतों का टूटना तथा जबड़ों का प्रभावित होना
  • दर्द के साथ धुंधला या दोहरा दिखाई देना, बुखार, त्वचा संबंधी समस्याएं, थरमोवॉयसेस तथा नैक्रोसिस होना
  • छाती में दर्द होना, प्ल्यूरल इफ्यूजन, हाइमोपथ्यसिस तथा सांस लेने में समस्या होना

क्या करें क्या ना करें

  • मधुमेह से पीड़ित लोग और कोरोना से ठीक हुए लोग रक्त शर्करा पर नजर रखें।
  • स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और मात्रा का पूरा ध्यान रखें या फिर बंद ही कर दें।
  • ऑक्‍सीजन थेरेपी के दौरान साफ स्‍टेराइल वॉटर का प्रयोग करें।
  • इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाओं का इस्तेमाल करना बंद कर दें।
  • इसके साथ ही एंटीबायोट‍िक्‍स और एंटीफंगल दवाइयों का सावधानी से इस्‍तेमाल करें।
  • खून में शुगर की मात्रा (हाइपरग्लाइसेमिया) नियंत्रित रखें।

क्या ना करें

  • किसी भी प्रकार के लक्षण या संकेत की अनदेखी ना करें
  • नाक बंद होने होने पर बैक्टीरियल साइनोसाइटिस मानकर उसकी अनदेखी ना करें, विशेषकर कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज या फिर वे लोग जिनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो।
  • समस्या होने पर फंगल इटीयोलॉजी जांचने के लिए केओएच, स्टेनिंग, माइक्रोस्कॉपी, कल्चर, एमएएलडीआई - टीओएफ जांच करवाने से न कतराएं
  • संक्रमण होने पर इलाज शुरू कराने में जरा भी देरी ना करें

इस संक्रमण के लक्षण नजर आते ही तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर जरूरी इलाज शुरू कर देना चाहिए। सही समय पर जांच और इलाज की मदद से इस संक्रमण से छुटकारा संभव है। आईसीएमआर ने यह संक्रमण होने की अवस्था में उन चिकित्सीय विधाओं की सूची जारी की है जिनके चिकित्सकों से ब्लैक फंगगल संक्रमण होने पर मदद ली जा सकती है, यह सूची इस प्रकार है ।

  • माइक्रोबायोलॉजिस्ट
  • इंटरनल मेडिसीन विशेषज्ञ
  • इंटेंसिविस्ट
  • न्यूरोलॉजिस्ट
  • ईएनटी विशेषज्ञ
  • ओपथल्मोंलॉजीस्ट
  • दंत रोग विशेषज्ञ
  • मैक्सिलोफेशियल या प्लास्टिक सर्जन
  • बायोकेमिस्ट
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