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माजुली एक्ट को लेकर विश्व हिंदू महासंघ ने किया दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

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Published : Mar 7, 2021, 8:47 AM IST

माजुली एक्ट को लेकर विश्व हिंदू महासंघ ने विश्व हिंदू महासंघ ने दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया. साथ ही मोदी और असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को पत्र भी भेजा.

Vishwa Hindu Mahasangh protest at Jantar Mantar in Delhi over Majuli Act
विश्व हिंदू महासंघ

नई दिल्ली: विश्व हिंदू महासंघ ने दिल्ली के जंतर मंतर पर माजुली एक्ट को लेकर प्रदर्शन किया. जिसमें विश्व हिंदू महासंघ के राष्ट्रीय अंतरिम अध्यक्ष महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने हिस्सा लिया और कहा की हम मोदी सरकार से अपील करते हैं कि वह इस एक्ट को शीघ्र लागू करें. साथ ही कहा कि हमने इस को लेकर मोदी और असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को पत्र भी भेजा है. हमारी मांग है कि वह इस एक्ट को लागू करें और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा.

विश्व हिंदू महासंघ ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया
आगे उन्होंने कहा हम दिल्ली के बाद असम में भी प्रदर्शन करेंगे. इस प्रदर्शन में 100 से अधिक लोग हिस्सा लेने वाले थे. लेकिन इजाजत ना मिलने के कारण 40 से 50 लोग ही शामिल हो पाए है. इस प्रदर्शन में माजुली के प्रमुख स्त्राधिपति स्वामी जनार्दन देव एवं महामंत्री अलखनाथ और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष राजेश तोमर वासन के महामंत्री बालेंन वेशव भी शामिल हुए.

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महंत सुरेंद्रनाथ ने कहा कि असम दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र में विकास करने की बात कही थी और यह अकेला ऐसा आईलैंड है, जिसे जिले का दर्जा दिया गया है. दिल्ली में इसको लेकर अभी तक प्रदर्शन नहीं हुआ था. जिसकी वजह से इस पर किसी का ध्यान नहीं गया.


सुरेंद्रनाथ ने इस एक्ट को लेकर जानकारी दी और कहा कि माजुली ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य विश्व का सबसे बड़ा टापू है. बीसवीं सदी तक इसका क्षेत्रफल 880 किलोमीटर था, जो अब सिमटकर 800 वर्ग किलोमीटर रह गया है. माजुली को असम की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है.

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15 वीं शताब्दी में वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक श्रीमंत शंकरदेव और महादेव ने वैष्णव सत्र की स्थापना की वर्तमान में केवल माजुली में 36 सत्रह हैं. तत्पश्चात संपूर्ण असम में वैष्णव संप्रदाय का प्रचार प्रसार हुआ. इसके महत्व को देखते हुए माजुली के विकास के लिए केंद्र सरकार ने करोड़ों की योजना तैयार की है और असम सरकार ने 2006 में माजु ली कल्चर लैंड के परिजन एक्ट 2006 लागू किया, जिसे अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है.

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