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G-20 Summit: 13 साल बाद दिल्ली गेट को संवारने का काम शुरू, सम्मेलन को लेकर दिखायी जा रही तेजी

राजधानी दिल्ली में आयोजित होनेवाले जी-20 समिट को लेकर सजाने-संवारने का काम तेजी से चल रहा है. इसी क्रम में भारतीय पुरातत्व विभाग भी अपने पुराने धरोहरों को सजाने का काम कर रहे हैं. त्रिपोलिया गेट, मोरी गेट के बाद अब दिल्ली के मुख्य दरवाजों में से एक दिल्ली गेट को संवारने का काम शुरू कर दिया गया है. 13 साल बाद इस गेट का संरक्षण किया जा रहा है.

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Published : Apr 2, 2023, 4:36 PM IST

दिल्ली गेट को 13 साल बाद फिर सजाने की कवायद

नई दिल्ली: भारत इस साल जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है. यह देश के लिए गौरव की बात है. वहीं जी-20 को लेकर राजधानी में तैयारियां तेज कर दी गई हैं. दिल्ली सरकार से लेकर एमसीडी भी अपने अपने स्तर पर कार्य कर रही है. इसी कड़ी में संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) भी अपने धरोहर को संवारने का काम कर रहा है. इतिहास के पन्नों में दर्ज दिल्ली के दरवाजों पर संरक्षण कार्य किया जा रहा है.

दरअसल, बीते कुछ दिनों पहले से ही राजधानी दिल्ली के दरवाजों को संवारने का काम शुरू हो गया है. त्रिपोलिया गेट, मोरी गेट के बाद अब दिल्ली के मुख्य दरवाजों में से एक दिल्ली गेट को संवारने का काम शुरू कर दिया गया है. खास बात यह है कि 13 साल बाद इस गेट पर संरक्षण कार्य किया जा रहा है.

इससे पहले दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान गेट को संवारने का काम किया गया था. इस गेट को लोग दिल्ली गेट के नाम से जानते हैं. यह गेट एक तरह का सेंटर है. यहां से दरियागंज होते हुए जामा मस्जिद, लालकिला, पुरानी दिल्ली, कश्मीरी गेट, मोरी गेट जाया जा सकता है. इस गेट के पास दिल्ली पुलिस का अंग्रेजों के समय का निर्मित पुलिस थाना भी है, जहां आज भी लोगों की फरियाद सुनी जाती है. लेकिन वर्षों से इस गेट पर संरक्षण कार्य को लेकर एएसआई ने भी ध्यान नहीं दिया. इस गेट की रखवाली और साफ सफाई के लिए भी एएसआई के द्वारा कोई कर्मचारी नियुक्त नहीं किया गया. हालांकि, अब जी-20 को देखते हुए जब विदेशी मेहमान लालकिला आएंगे तो कुछ दूरी पर बने इस दिल्ली गेट को संवारने का काम शुरू किया गया है.

लाल लाल पत्थर से पाथवे बनाया जा रहा हैः इस दिल्ली गेट की दोनों तरफ से यातायात की आवाजाही होती हैं. गेट को किसी गाड़ी से नुकसान न पहुंचे, इसलिए एएसआई ने वर्षो पहले ही यहां पर गेट को लोहे की मजबूत ग्रिल से इसे संरक्षित कर रखा है. एएसआई के एक अधिकारी के अनुसार, गेट की छत बरसात के दिनों में टपकती है, इसे रिपेयर कराया जाएगा.

साथ ही दीवारों से जहां जहां से प्लास्टर हटा है, वहां पर प्लास्टर लगाया जाएगा. इसके अलावा नया पाथवे तैयार किया जा रहा है. इसके लिए लाल पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही लोहे की ग्रिल में संरक्षित इस गेट के आस-पास एक सुरक्षा कर्मचारी और साफ सफाई करने के लिए कर्मचारी की ड्यूटी रहेगी. इसके अलावा गेट पर संरक्षण कार्य पूरा होने के बाद एलईडी लाइट लगाने का काम शुरू होगा, जिससे लोग यहां से गुजरे तो एक बार इस गेट को जरूरी निहारे.

ये भी पढ़ेंः Bihar Violence: 'बिहार में हिंदू सुरक्षित नहीं'.. नीतीश सरकार पर बोले गिरिराज सिंह

जानिए कब हुआ था निर्माणः दिल्ली गेट को मुगल बादशाह शाहजहां ने वर्ष 1638 में बनवाया था. इस गेट से होते हुए बादशाह जामा मस्जिद जाते थे. यहां वह नमाज अदा करने के लिए गेट का इस्तेमाल करते थे. यह गेट लाल पत्थरों से बना हुआ है. इस तरह 6 दरवाजे दिल्ली में और भी हैं. हालांकि, जब भारत आजाद हुआ तो सरकार में एएसआई का गठन किया, जिसका काम देश भर के स्मारक को संरक्षित करना है.

ये भी पढ़ेंः ISRO Mission: इसरो ने पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान स्वायत्त लैंडिंग मिशन के तहत सफल परीक्षण किया

दिल्ली गेट को 13 साल बाद फिर सजाने की कवायद

नई दिल्ली: भारत इस साल जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है. यह देश के लिए गौरव की बात है. वहीं जी-20 को लेकर राजधानी में तैयारियां तेज कर दी गई हैं. दिल्ली सरकार से लेकर एमसीडी भी अपने अपने स्तर पर कार्य कर रही है. इसी कड़ी में संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) भी अपने धरोहर को संवारने का काम कर रहा है. इतिहास के पन्नों में दर्ज दिल्ली के दरवाजों पर संरक्षण कार्य किया जा रहा है.

दरअसल, बीते कुछ दिनों पहले से ही राजधानी दिल्ली के दरवाजों को संवारने का काम शुरू हो गया है. त्रिपोलिया गेट, मोरी गेट के बाद अब दिल्ली के मुख्य दरवाजों में से एक दिल्ली गेट को संवारने का काम शुरू कर दिया गया है. खास बात यह है कि 13 साल बाद इस गेट पर संरक्षण कार्य किया जा रहा है.

इससे पहले दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान गेट को संवारने का काम किया गया था. इस गेट को लोग दिल्ली गेट के नाम से जानते हैं. यह गेट एक तरह का सेंटर है. यहां से दरियागंज होते हुए जामा मस्जिद, लालकिला, पुरानी दिल्ली, कश्मीरी गेट, मोरी गेट जाया जा सकता है. इस गेट के पास दिल्ली पुलिस का अंग्रेजों के समय का निर्मित पुलिस थाना भी है, जहां आज भी लोगों की फरियाद सुनी जाती है. लेकिन वर्षों से इस गेट पर संरक्षण कार्य को लेकर एएसआई ने भी ध्यान नहीं दिया. इस गेट की रखवाली और साफ सफाई के लिए भी एएसआई के द्वारा कोई कर्मचारी नियुक्त नहीं किया गया. हालांकि, अब जी-20 को देखते हुए जब विदेशी मेहमान लालकिला आएंगे तो कुछ दूरी पर बने इस दिल्ली गेट को संवारने का काम शुरू किया गया है.

लाल लाल पत्थर से पाथवे बनाया जा रहा हैः इस दिल्ली गेट की दोनों तरफ से यातायात की आवाजाही होती हैं. गेट को किसी गाड़ी से नुकसान न पहुंचे, इसलिए एएसआई ने वर्षो पहले ही यहां पर गेट को लोहे की मजबूत ग्रिल से इसे संरक्षित कर रखा है. एएसआई के एक अधिकारी के अनुसार, गेट की छत बरसात के दिनों में टपकती है, इसे रिपेयर कराया जाएगा.

साथ ही दीवारों से जहां जहां से प्लास्टर हटा है, वहां पर प्लास्टर लगाया जाएगा. इसके अलावा नया पाथवे तैयार किया जा रहा है. इसके लिए लाल पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही लोहे की ग्रिल में संरक्षित इस गेट के आस-पास एक सुरक्षा कर्मचारी और साफ सफाई करने के लिए कर्मचारी की ड्यूटी रहेगी. इसके अलावा गेट पर संरक्षण कार्य पूरा होने के बाद एलईडी लाइट लगाने का काम शुरू होगा, जिससे लोग यहां से गुजरे तो एक बार इस गेट को जरूरी निहारे.

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जानिए कब हुआ था निर्माणः दिल्ली गेट को मुगल बादशाह शाहजहां ने वर्ष 1638 में बनवाया था. इस गेट से होते हुए बादशाह जामा मस्जिद जाते थे. यहां वह नमाज अदा करने के लिए गेट का इस्तेमाल करते थे. यह गेट लाल पत्थरों से बना हुआ है. इस तरह 6 दरवाजे दिल्ली में और भी हैं. हालांकि, जब भारत आजाद हुआ तो सरकार में एएसआई का गठन किया, जिसका काम देश भर के स्मारक को संरक्षित करना है.

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