ETV Bharat / bharat

ISRO Mission: इसरो ने पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान स्वायत्त लैंडिंग मिशन के तहत सफल परीक्षण किया

इसरो को पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान की स्वायत्त लैंडिंग के क्षेत्र में बड़ी सफलता हाथ लगी है. इस संबंध में इसरो ने आज कर्नाटक के चित्रदुर्ग में वैमानिकी परीक्षण रेंज (एटीआर) में इसका सफल परीक्षण किया.

ISRO Successfully Tests Reusable Launch Vehicle Autonomous Landing Mission
इसरो ने पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान स्वायत्त लैंडिंग मिशन के तहत सफल परीक्षण किया
author img

By

Published : Apr 2, 2023, 12:44 PM IST

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान स्वायत्त लैंडिंग मिशन (आरएलवी एलएएक्स) के तहत रविवार को सफलतापूर्वक परीक्षण किया. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि यह परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग में वैमानिकी परीक्षण रेंज (एटीआर) में किया गया. एक बयान में कहा गया है, 'इसी के साथ इसरो ने प्रक्षेपण यान की स्वायत्त लैंडिंग के क्षेत्र में सफलता हासिल कर ली.' इसरो ने कहा, 'एलईएक्स के साथ ही पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण के क्षेत्र में भारत अपने लक्ष्य के एक और कदम करीब पहुंच गया.'

दुनिया में पहली बार, एक ‘विंग बॉडी’ को एक हेलीकॉप्टर की मदद से 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाया जाएगा और रनवे पर स्वायत्त लैंडिंग के लिए छोड़ा गया. भारतीय वायुसेना के चिनुक हेलीकॉप्टर के जरिये आरएलवी ने भारतीय समयानुसार सुबह सात बजकर 10 मिनट पर (औसत समुद्र तल से) 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरी. तय मापदंडों तक पहुंचने के बाद मिशन प्रबंधन कंप्यूटर की कमान के आधार पर आरएलवी को बीच हवा में 4.6 किलोमीटर की क्षैतिज दूरी से छोड़ा गया.

स्थिति, वेग, ऊंचाई आदि समेत 10 मापदंडों पर नजर रखी गई और इनके पूरा होने पर आरएलवी को छोड़ा गया. आरएलवी को छोड़े जाने की प्रक्रिया स्वायत्त थी. आरएलवी ने एकीकृत नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करते हुए नीचे उतरना शुरू किया और उसने भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न सात बजकर 40 मिनट पर स्वायत्त तरीके से लैंडिंग की. स्वायत्त लैंडिंग की प्रक्रिया अंतरिक्ष पुन: प्रवेश यान की लैंडिंग संबंधी सटीक शर्तों के तहत की गई.

ये भी पढ़ें- LVM-3 rocket: एलवीएम-3 रॉकेट गगनयान मिशन के लिए उपयुक्त, बेहतरीन प्रदर्शन किया- इसरो प्रमुख

बयान में कहा गया है, 'आरएलवी एलईएक्स के लिए विकसित समकालीन प्रौद्योगिकियों के अनुकूल ढलना इसरो के अन्य प्रक्षेपण यानों को भी अधिक किफायती बनाता है. इसरो ने इससे पहले मई 2016 में एचईएक्स (हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग) मिशन के तहत आरएलवी-टीडी यान की पुन: प्रवेश की क्षमता का सफल परीक्षण किया था, जो पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है. इसरो के अलावा भारतीय वायुसेना, सेना उड़न योग्यता और प्रमाणीकरण केंद्र, वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान और हवाई डिलीवरी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान ने इस परीक्षण में अहम योगदान दिया. अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ उन लोगों में शामिल थे, जो इस परीक्षण के गवाह बने.

(पीटीआई-भाषा)

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान स्वायत्त लैंडिंग मिशन (आरएलवी एलएएक्स) के तहत रविवार को सफलतापूर्वक परीक्षण किया. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि यह परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग में वैमानिकी परीक्षण रेंज (एटीआर) में किया गया. एक बयान में कहा गया है, 'इसी के साथ इसरो ने प्रक्षेपण यान की स्वायत्त लैंडिंग के क्षेत्र में सफलता हासिल कर ली.' इसरो ने कहा, 'एलईएक्स के साथ ही पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण के क्षेत्र में भारत अपने लक्ष्य के एक और कदम करीब पहुंच गया.'

दुनिया में पहली बार, एक ‘विंग बॉडी’ को एक हेलीकॉप्टर की मदद से 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाया जाएगा और रनवे पर स्वायत्त लैंडिंग के लिए छोड़ा गया. भारतीय वायुसेना के चिनुक हेलीकॉप्टर के जरिये आरएलवी ने भारतीय समयानुसार सुबह सात बजकर 10 मिनट पर (औसत समुद्र तल से) 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरी. तय मापदंडों तक पहुंचने के बाद मिशन प्रबंधन कंप्यूटर की कमान के आधार पर आरएलवी को बीच हवा में 4.6 किलोमीटर की क्षैतिज दूरी से छोड़ा गया.

स्थिति, वेग, ऊंचाई आदि समेत 10 मापदंडों पर नजर रखी गई और इनके पूरा होने पर आरएलवी को छोड़ा गया. आरएलवी को छोड़े जाने की प्रक्रिया स्वायत्त थी. आरएलवी ने एकीकृत नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करते हुए नीचे उतरना शुरू किया और उसने भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न सात बजकर 40 मिनट पर स्वायत्त तरीके से लैंडिंग की. स्वायत्त लैंडिंग की प्रक्रिया अंतरिक्ष पुन: प्रवेश यान की लैंडिंग संबंधी सटीक शर्तों के तहत की गई.

ये भी पढ़ें- LVM-3 rocket: एलवीएम-3 रॉकेट गगनयान मिशन के लिए उपयुक्त, बेहतरीन प्रदर्शन किया- इसरो प्रमुख

बयान में कहा गया है, 'आरएलवी एलईएक्स के लिए विकसित समकालीन प्रौद्योगिकियों के अनुकूल ढलना इसरो के अन्य प्रक्षेपण यानों को भी अधिक किफायती बनाता है. इसरो ने इससे पहले मई 2016 में एचईएक्स (हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग) मिशन के तहत आरएलवी-टीडी यान की पुन: प्रवेश की क्षमता का सफल परीक्षण किया था, जो पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है. इसरो के अलावा भारतीय वायुसेना, सेना उड़न योग्यता और प्रमाणीकरण केंद्र, वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान और हवाई डिलीवरी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान ने इस परीक्षण में अहम योगदान दिया. अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ उन लोगों में शामिल थे, जो इस परीक्षण के गवाह बने.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.