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DU में खाली सीटों को भरने के लिए कुलपति को लिखा पत्र, स्पेशल ड्राइव चलाने की मांग

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Published : Dec 10, 2022, 4:52 PM IST

DU के कॉलेजों में खाली सीटों को भरने के लिए कॉलेज प्रशासन एक्टिव हो गया है. कुलपति को पत्र लिखकर स्पेशल ड्राइव चलाने की मांग की है. अभी भी कुछ कॉलेजों में 10 से 12 फीसदी सीटें खाली पड़ी है.

DU में खाली
DU में खाली

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से संबद्ध कॉलेजों में स्नातक की सीटों को भरने के लिए फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है कि शैक्षिक सत्र 2022-23 में कई कॉलेजों में आरक्षित श्रेणी की स्नातक सीट खाली है. इन सीटों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाने की मांग की है. अभी भी कुछ कॉलेजों में 10 से 12 फीसदी सीटें खाली पड़ी है.

डॉ. सुमन ने स्नातक स्तर पर छात्रों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाने से पहले कॉलेजों से सब्जेक्ट्स वाइज आंकड़े मंगवाने की भी मांग की है. ताकि पता चल सके कि कॉलेजों ने अपने यहां स्वीकृत सीटों से ज्यादा कितने एडमिशन सामान्य वर्गों के छात्रों के किये हैं तथा उसकी एवज में आरक्षित वर्ग की कितनी सीटों पर एडमिशन दिया गया है. जब उनसे ये आंकड़े उपलब्ध हो जायें तभी यूनिवर्सिटी को कॉलेजों में खाली पड़ी आरक्षित श्रेणी की सीटों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाना चाहिए.

उन्होंने बताया है कि केंद्र सरकार ने आरक्षित सीटों को भरने के लिए एससी को 15%, एसटी को 7:5 %, ओबीसी को 27%, पीडब्ल्यूडी को 5%, ईडब्ल्यूएस को 10% आरक्षण देने का प्रावधान है. जब तक इन वर्गों का कोटा पूरा नहीं हो जाता विश्वविद्यालय/कॉलेजों को स्पेशल ड्राइव चलाकर इन सीटों को भरना होता है, लेकिन इस बार विश्वविद्यालय प्रशासन ने नई शिक्षा नीति में सीयूएटी (CUET) के अंतर्गत कॉलेजों को सीटें आवंटित की है.

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कॉलेजों में अभी भी 10 से 12 फीसदी विज्ञान, वाणिज्य व कला विषयों की सीटें खाली है. इन सीटों में सबसे ज्यादा सीटें एससी/एसटी/ओबीसी कोटे के छात्रों की है. हर साल आरक्षित श्रेणी की सीटें खाली रह जाती है. इस साल भी सीटें खाली पड़ी है, लेकिन कॉलेजों ने अभी तक अपनी वेबसाइट पर उन सीटों को डिस्प्ले नहीं किया.

DU में देरी से दाखिला शुरू होने के कारण सीटें खालीः इससे पहले कॉलेजों में सब्जेक्ट्स वाइज और कट ऑफ के आधार पर एडमिशन दिया जाता था, लेकिन पहली बार सीयूएटी के माध्यम से छात्रों ने अपनी पसंद के सब्जेक्ट्स व कॉलेज चुना था. डॉ. सुमन ने बताया कि सीटें आवंटित होने के बावजूद कॉलेजों में सीटें खाली है. इसका सबसे बड़ा कारण डीयू में एडमिशन का विलंब से शुरू होना है. अधिकांश छात्रों ने पहले ही दूसरे विश्वविद्यालय व दिल्ली एनसीआर में बनी यूनिवर्सिटीज में एडमिशन ले लिया.

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उनका कहना है कि यदि समय पर सीयूएटी की परीक्षा कराई जाती तो कॉलेजों में आरक्षित श्रेणी की सीटें खाली नहीं रहती. साथ ही आरक्षित वर्गों के छात्रों को कितनी छूट दी गई है उसके विषय में जानकारी नहीं दी.

उन्होंने पत्र में बताया कि हर वर्ष स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर कॉलेजों में आरक्षित श्रेणी से संबंधित छात्रों की अलग-अलग कॉलेजों में, अलग-अलग विषयों में बहुत सारी सीटें खाली रह जाती है. किन्तु कॉलेजों द्वारा अपने यहां इन खाली सीटों को भरने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को नहीं लिखते. उनका कहना है कि अंडर ग्रेजुएट स्तर पर एडमिशन लिए छात्रों की क्लासेज शुरू हो चुकी है, लेकिन अंडर ग्रेजुएट स्तर पर कैम्पस व कैम्पस के बाहर सीटे खाली पड़ी है.

एडजेस्टमेंट प्लान का कॉलेज कर रहे उल्लंघनः डॉ. सुमन ने पत्र में लिखा है और बताया है कि डीयू में आरक्षित वर्ग के छात्रों के लिए एडजेस्टमेंट प्लान भी है. इसके तहत उन छात्रों को सामान्य वर्गों के छात्रों से अधिक अंक पाए हैं. उन्हें सामान्य श्रेणी में रखा जाता है. बाद में उसे आरक्षित वर्ग की सुविधाओं का लाभ यदि लेना चाहते हैं तो सुविधाएं दी जाती है.

अधिकांश कॉलेज इस तरीके के (एडजेस्टमेंट प्लान) रिक्त संख्या को भरने की प्रक्रिया नहीं अपनाते. वे उन्हें आरक्षित श्रेणी में ही रखते हैं. जबकि, पिछले सालों में उन्हें सामान्य श्रेणी में एडमिशन देते रहे हैं. कुछ कॉलेजों ने इस नियम का पालन किया है, जहां आरक्षित वर्ग के शिक्षक एडमिशन कमेटी में थे.

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