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G20 Summit: मुगलकालीन खैर उल मनाजिल का होगा कायाकल्प, एएसआई ने लिया जिम्मा

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Published : Apr 22, 2023, 12:02 PM IST

Updated : Apr 22, 2023, 2:38 PM IST

जी-20 महासम्मेलन को लेकर राजधानी दिल्ली सज रही है. इसी कड़ी में मुगलकालीन खैर उल मनाजिल के कायाकल्प का काम एएसआई द्वारा किया जाएगा. इसके साथ ही शेरशाह सूरी गेट भी जगमग होगा.

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मुगलकालीन खैर उल मनाजिल का होगा कायाकल्प

नई दिल्ली: दिल्ली का पुराना किला और मथुरा रोड स्थित शेरशाह सूरी गेट से सटा हुआ मुगलकालीन ख़ैर उल मनाजिल को संवारा जाएगा. इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने अपनी प्लानिंग शुरू कर दी है. साथ ही साथ शेरशाह सूरी गेट को भी जगमगाने की तैयारी है. दरअसल, भारत जी 20 महा सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है और सितंबर माह में इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए विदेशी मेहमान दिल्ली में होंगे. विदेशी मेहमान भारत यात्रा पर देश की ऐतिहासिक धरोहरों का दीदार करेंगे.

विदेशी मेहमान करेंगे दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहरों का दीदार: विदेशी मेहमान राजधानी दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहरों का दीदार करेंगे. यही वजह है कि इन धरोहरों को संवारने का काम एएसआई ने शुरू कर दिया है. बता दें कि दिल्ली के 6 दरवाजों पर एएसआई ने संरक्षण कार्य करने की योजना शुरू कर दी है. कुछ गेट पर संरक्षण कार्य शुरू भी हो गया है. अब इसी कड़ी में मुगलकालीन ख़ैर-उल-मनाज़िल पर संरक्षण कार्य किया जाएगा. इसके बाद सौंदर्यीकरण कार्य भी किया जाएगा, इसके लिए एएसआई ने एलईडी लाइट के लिए ऑर्डर भी दे दिया है.

खैर-उल-मनाजिल का इतिहास: ख़ैर-उल-मनाज़िल में जाने के लिए किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं लगाया गया है. मौजूदा समय में यहां पर हर शुक्रवार को जुम्मे की नमाज अदा की जाती है. साथ ही ईद के मौके पर एक साथ सैकड़ों की तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोग यहां नमाज अदा करते हैं. एएसआई द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस इमारत का नाम ख़ैर-उल-मनाज़िल है, जिसका फ़ारसी में अर्थ है 'सब भवनों में उत्तम'. अंदर मस्जिद का खुला सहन है. सहन के पश्चिम में किबला की ओर जो दर है, उस पर लिखी पंक्तियां यह जानकारी देती हैं कि इस इमारत को मुगल बादशाह अकबर की दाया ..... महम अंगा ने वर्ष 1561 में बनवाया था.

शेरशाह सूरी गेट भी करेगा जगमग: एएसआई के एक अधिकारी एक अनुसार, शेरशाह सूरी गेट पर संरक्षण कार्य 90 फीसदी हो गया है. बाकी 10 फीसदी काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद एलईडी लाइट्स से यह स्मारक जगमग करेगा. सहन के बाकी तीनों ओर खुले दालान के रूप में कमरे बने हुए हैं. जिनमें एक मदरसा हुआ करता था. दानिशमंद लोगों ने इस नेक इमारत के निर्माण में मदद की. यह इमारत इतनी मुबारक है कि इसका कालक्रम बेहतरीन इमारतों में शुमार होता है. इसका निर्माण दरवेश हुसैन की रहनुमाई में नियाज बक्श द्वारा किया गया था.

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Last Updated : Apr 22, 2023, 2:38 PM IST
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