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BBC documentary controversy: पीएचडी छात्र को बहाल करने के आदेश के खिलाफ DU ने दिल्ली हाईकोर्ट में दी चुनौती

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Published : Jul 14, 2023, 6:39 PM IST

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NSUI के राष्ट्रीय सचिव और DU के पीएचडी स्टूडेंट लोकेश चुघ को बहाल करने के आदेश के खिलाफ दिल्ली यूनिवर्सिटी ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. कहा है कि कोर्ट का फैसला विरोधाभाषी है.

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें विश्वविद्यालय को नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के राष्ट्रीय सचिव और डीयू के पीएचडी छात्र लोकेश चुघ को बहाल करने का निर्देश दिया गया था. जिन्हें डीयू में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग आयोजित करने के आरोप में प्रतिबंधित कर दिया गया था.

2002 के गुजरात दंगों पर आधारित इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की डीयू प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी. इसके बाद छात्र संगठनों ने डीयू आर्ट्स फैकल्टी के बाहर स्क्रीनिंग का आयोजन किया था. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की खंडपीठ ने शुक्रवार को याचिका पर चुघ को नोटिस जारी किया. 27 अप्रैल, 2023 को न्यायमूर्ति पुरुषैंद्र कुमार कौरव ने चुघ को प्रतिबंधित करने वाले डीयू के आदेश को रद्द कर दिया था और उन्हें विश्वविद्यालय में पीएचडी जारी रखने की अनुमति दी थी.

दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौतीः डीयू ने अब एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया है और तर्क दिया है कि एकल न्यायाधीश का आदेश खराब है. वह इस तथ्य की सराहना नहीं करता है कि धारा 144 सीआरपीसी लागू होने के बावजूद चुघ उस स्थान पर मौजूद थे, जहां वृत्तचित्र दिखाया जा रहा था. यह भी प्रस्तुत किया गया है कि वीडियो फुटेज से यह भी स्पष्ट है कि छात्र तख्तियों/पोस्टरों का उपयोग कर रहे थे और इस प्रकार यह स्पष्ट है कि विरोध पूर्व नियोजित था. विरोध के संबंध में फ्लायर्स और पोस्टर व्हाट्सएप के माध्यम से प्रसारित किए गए थे, जिससे यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी नंबर 1 ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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27 जनवरी को डीयू में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित होने के बाद छात्र नेता को एक साल के लिए किसी भी विश्वविद्यालय की परीक्षा में शामिल होने से प्रतिबंधित कर दिया गया था. आरोप है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन शीर्षक वाली बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को भी जनता को दिखाया गया था. यह डीयू का मामला था कि छात्र बिना अनुमति के मोदी पर प्रतिबंधित वृत्तचित्र का प्रदर्शन कर रहे थे और निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद विरोध प्रदर्शन आयोजित कर रहे थे. यह घोर अनुशासनहीनता है. विश्वविद्यालय ने कहा था कि उसने उन छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की जिन्होंने अखबार की रिपोर्टों के आधार पर वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग का आयोजन किया था, जिसमें कहा गया था कि दो भाग वाली श्रृंखला भारत में प्रतिबंधित थी.

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