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Dog Cases in Court: अदालत तक पहुंच रहे कुत्तों को लेकर होने वाले विवाद, दो फाड़ में बंटा समाज

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Published : Apr 12, 2023, 8:33 AM IST

दिल्ली में कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. हालात तो ऐसे हो गए हैं कि अब इसके मामले अदालत तक पहुंच रहे हैं. ऐसे में समाज कुछ तो कुत्तों के समर्थन में हैं, तो कुछ इसका विरोध कर रहे हैं.

Disputes regarding dogs reaching court
Disputes regarding dogs reaching court

सुलेखा प्रसाद, गोल्डन पॉज इंडिया एनजीओ की संस्थापक

नई दिल्ली: इंसानों और कुत्तों को हमेशा से एक दूसरे का साथी माना गया है. पालतू कुत्ते जहां इंसान की सुरक्षा करते हैं, वहीं इंसान उनकी अभिभावक की तरह देखभाल करते हैं, लेकिन हाल में ही कुछ ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिसने लोगों को डराकर रख दिया है. इसके बाद से लोग खासकर लोग स्ट्रीट डॉग्स को लेकर डरे हुए हैं. पशु अधिकारों के लिए काम करने वाले लोग और संस्थाएं इसके लिए लोगों को जिम्मेदार मानती हैं. स्ट्रीट डॉग्स को लेकर आजकल दिल्ली एनसीआर में बहुत से लोगों ने अभियान चला रखा है और वे आवारा कुत्तों को अच्छा नहीं मानते. इस कारण डॉग लवर्स और आम लोगों के बीच अक्सर विवाद होते रहते हैं. डॉग लवर्स इसे जानवरों के प्रति इंसानों में बढ़ रही नफरत बताते हैं, तो वहीं दूसरे पक्ष के लोगों का कहना है कि ऐसा वे जानवरों से होने वाले खतरे के मद्देनजर करते हैं.

कोर्ट पहुंचा था मामला: हाल ही में दक्षिणी दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में कुत्तों से जुड़ा एक मामला साकेत कोर्ट तक जा पहुंचा था. यहां रहने वाले नकुल जैन ने बताया कि उनकी कोठी में लॉन, पार्किंग एरिया और वॉकिंग एरिया है. इसमें वह अपने हाउंड प्रजाति के पालतू कुत्ते को टहलाते हैं, लेकिन इसी कोठी में रहने वाली महिला उनके कुत्ते को परेशान करती है. वह कभी उसे छड़ी दिखाकर डराती है, तो कभी उसके ऊपर पानी डाल देती है. महिला की घरेलू सहायिका भी कुत्ते को परेशान करती है. उन्होंने कहा कि उनका कुत्ता शांत स्वभाव का है और उसे महिला से खतरा है. उसे जानबूझकर छेड़ा जाता है, जिससे की उसके भौंकने पर महिला को उसका विरोध करने का बहाना मिल सके.

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क्या कहते हैं डॉग लवर्स: करीब 100 बेसहारा कुत्तों को खाना खिलाने वाली गोल्डन पॉज इंडिया एनजीओ की संस्थापक सुलेखा प्रसाद ने बताया कि, इंसानों में और कुत्तों में बहुत अच्छा संबंध रहा है और कुत्ते वहीं मिलते हैं जहां इंसान होते हैं, इसलिए उनका ध्यान रखना हमारा कर्तव्य है. अगर इनको छेड़ा या परेशान न किया जाए तो ये किसी को नहीं काटते. वहीं, पशु अधिकारों के लिए काम करने वाली दिव्या पुरी ने बताया कि, टीकाकरण और नसबंदी करके कुत्तों की आबादी को नियंत्रित किया जा सकता है. सरकारी संस्थाएं ऐसा करने में काफी पीछे रह जाती हैं, इसलिए विभिन्न एनजीओ को इस काम में तेजी लानी चाहिए. उन्होंने बताया कि, वह हर माह बड़ी संख्या में आवारा कुत्तों का टीकाकरण करवाती हैं. लोगों हो या समझना चाहिए कि कुत्ते भी एक सभ्य समाज का हिस्सा हैं.

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