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दिल्ली हाईकोर्ट का पीएमसी बैंक को निर्देश, पैसे निकासी के लिए नए सिरे से करें विचार

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Published : Jan 18, 2021, 4:50 PM IST

Delhi High Court directs PMC Bank
दिल्ली हाईकोर्ट का पीएमसी बैंक को निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएमसी बैंक को मेडिकल और एजुकेशनल इमरजेंसी के लिए पैसे निकालने के लिए नए सिरे से विचार करने के लिए निर्देश दिया है. इस मामले पर हाईकोर्ट 26 फरवरी को सुनवाई करेगा.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएमसी बैंक को निर्देश दिया है कि वे मेडिकल और एजुकेशनल इमरजेंसी के लिए पैसे निकालने के लिए खाताधारकों के आवेदनों पर नए सिरे से विचार करें. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वे उन खाताधारकों की सूची बैंक को तीन हफ्ते में दें जिन्हें मेडिकल और एजुकेशनल इमरजेंसी के लिए पैसे की जरुरत हो. इस मामले पर अगली सुनवाई 26 फरवरी को होगी.


रिजर्व बैंक ने जताई आपत्ति

कोर्ट ने पीएमसी बैंक को खाताधारकों के आवेदन पर दो हफ्ते में विचार करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने पीएमसी बैंक को निर्देश दिया कि वे अपने फैसले की जानकारी हलफनामा के जरिये कोर्ट को दें. सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक ने आपत्ति जताते हुए कहा कि उसके दिशा-निर्देश में एजुकेशनल इमरजेंसी का कोई जिक्र नहीं है.


यह सामान्य याचिका नहीं है

एक दिसंबर 2020 को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले पर कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि यह सामान्य याचिका नहीं है. हमें बैंक और निवेशकों दोनों के हितों का ध्यान रखना होगा. कोर्ट ने रिजर्व बैंक को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने आपात स्थिति में पांच लाख रुपये निकालने का मामला पीएमसी बैंक पर ही छोड़ दिया था.


लोगों को दवाइयां खरीदने में हो रही परेशानी

एक दिसंबर 2020 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा था कि पांच लाख रुपये तक निकासी के लिए केवल 13 लोगों को योग्य माना गया है. उन्होंने कहा था कि गंभीर बीमारियों को आधार बनाया गया है. तब कोर्ट ने कहा था कि जो गंभीर रुप से बीमार नहीं है वे भी एक लाख रुपये निकाल रहे हैं. उसके बाद कोर्ट ने पूछा था कि क्या आप ये सीमा पांच लाख रुपये तक करना चाहते हैं. तब देव ने कहा था कि एक दूसरी हाईकोर्ट ने कैंसर जैसी बीमारी वाले निवेशकों को ज्यादा रकम देने का आदेश दिया है. देव ने कहा था कि सवाल ये है कि जिन लोगों के पास धन नहीं है. उन्हें दवाइयां खरीदने में भी परेशानी हो रही है.


पांच लाख रुपये तक की निकासी की छूट की मांग

याचिका बिजॉन कुमार मिश्रा ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने याचिका में कहा है कि कोरोना संकट की वजह से सभी खाताधारक अपनी जमा-पूंजी के भरोसे ही हैं. उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा, शादी और दूसरी जरुरतों के लिए पैसे की जरुरत है. ऐसे में पीएमसी खाताधारकों को ऐसी किसी भी आपातस्थिति में धन निकासी की अनुमति दी जाए. पिछले 21 जुलाई को कोर्ट ने पीएमसी बैंक, रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. वकील शशांक देव सुधी ने कहा था कि कोरोना के संकट के दौर में अति महत्वपूर्ण कार्य के लिए बिना किसी प्रक्रियागत बाधा के पांच लाख रुपये तक की निकासी करने की छूट दी जाए. याचिका में कहा गया है कि बैंक के कुछ निवेशकों ने इसके लिए पीएमसी बैंक और दूसरे पक्षकारों के समक्ष अपनी बातें रखी थीं.


बैंकिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल

निवेशकों ने हाईकोर्ट के पहले के आदेश का हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने जरुरी काम के लिए पैसे निकालने की इजाजत दी थी. बैंक के कुछ खाताधारकों ने अपनी समस्याओं का हवाला दिया था. पीएमसी बैंक के रवैये से देश के बैंकिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. देश भर में फैले पीएमसी की ब्रांच के रख-रखाव पर करीब आठ करोड़ रुपये का बेजा खर्च होता है.

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एचडीआईएल का लोन एनपीए हो गया था

बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इसके पहले रिजर्व बैंक और पीएमसी बैंक को कोरोना के संकट के दौरान खाताधारकों की जरूरतों का ध्यान रखने का निर्देश दिया था. सितंबर 2019 में रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक के कामकाज पर प्रतिबंध लगाते हुए बैंक से 40 हजार रुपये की निकासी की सीमा तय की थी. पीएमसी बैंक ने एचडीआईएल नामक कंपनी को अपने लोन की कुल रकम का करीब तीन चौथाई लोन दे दिया था. एचडीआईएल का ये लोन एनपीए होने की वजह से बैंक अपने खाताधारकों को पैसे देने में असमर्थ हो गया.

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