ETV Bharat / state

Monsoon Session: सदन में पहले नंबर पर आएगा दिल्ली अध्यादेश बिल, जानिए इससे संबंधित सब

author img

By

Published : Jul 20, 2023, 9:23 AM IST

Updated : Jul 20, 2023, 10:57 PM IST

Etv Bharat
Etv Bharat

आज से संसद का मानसून सत्र प्रारंभ हो रहा है. इसमें कुल 31 बिल पेश किए जाएंगे. सबसे पहले दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग संबंधी लाए गए अध्यादेश पर बिल पेश किया जाएगा. कांग्रेस ने भी इस बिल के खिलाफ जाने का मन बना लिया है. ऐसे में इस पर सभी की निगाहें बनी होगी.

नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र आज से शुरू हो रहा है और इस सत्र में केंद्र सरकार 31 बिल पेश करेगी. इनमें सबसे पहले नंबर पर दिल्ली में सर्विसेज को लेकर केंद्र सरकार द्वारा गत 19 मई को लाया गया अध्यादेश शामिल है. इस पर सबकी नजर है. दिल्ली के शासन के केंद्र द्वारा इस संसद सत्र में सदन पटल पर रखे जाने वाले 31 बिलों में पहले नंबर पर यह अध्यादेश है. लोकसभा में प्रस्तुत किए जाने के विरोध में आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार रिंकू ने स्पीकर को नोटिस तक दिया है.

दिल्ली में गत कुछ महीनों के दौरान केंद्र और राज्य सरकार की शक्तियों के बंटवारे को लेकर खूब चर्चा हो रही है. अध्यादेश पर ही विपक्षी दलों का समर्थन लेने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तमाम विपक्षी दलों से मुलाकात कर उनसे राज्यसभा में इस बिल के विरोध में वोट करने की अपील की है. प्रमुख विपक्षी दलों में कांग्रेस ने भी अंत में आम आदमी पार्टी द्वारा मांगे गए सहयोग का समर्थन कर दिया है. ऐसे में यह अध्यादेश जब संसद में पेश होगा, तब इसके हश्र पर सबकी निगाहें टिकी हुई होंगी.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में दिया था आदेश
केंद्र द्वारा लाए गए इस अध्यादेश को लेकर दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है. सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ कर दिया था कि दिल्ली की नौकरशाही पर चुनी हुई सरकार का ही नियंत्रण है. इस अध्यादेश पर अदालत में सुनवाई होनी है और गुरुवार को संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें इस अध्यादेश को पेश किए जाने की चर्चा है. दिल्ली पर नियंत्रण को लेकर केंद्र के बीजेपी और दिल्ली के आम आदमी पार्टी सरकार के बीच मतभेद इतने हैं कि विपक्षी दलों की बैठक में भी केजरीवाल इस मुद्दे को उठा चुके हैं.

कोर्ट के आदेश को अध्यादेश के जरिए पलटा
केंद्र सरकार के इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने चुनौती दी है. दिल्ली में सर्विसेज के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि दिल्ली की नौकरशाही पर चुनी हुई सरकार का ही नियंत्रण है और अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग पर भी अधिकार उसी का है. प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और अधिकार से जुड़े मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि दिल्ली की पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर केंद्र का अधिकार है. लेकिन बाकी सभी मसलों पर चुनी हुई सरकार का ही अधिकार होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने तो साफ कर दिया था कि पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी दूसरे मसलों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लेकर आई. अध्यादेश के तहत अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा आखरी फैसला लेने का हक फिर से उपराज्यपाल को दे दिया गया है. इस अध्यादेश को संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. चीफ जस्टिस की बेंच ने इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजने की भी बात कही है, जिसका दिल्ली सरकार ने इसका विरोध किया है.

दिल्ली को लेकर अक्सर रहता है संशय
दिल्ली को लेकर अक्सर संशय रहता है कि यह केंद्र शासित प्रदेश है या एनसीटी या फिर एनसीआर. संविधान विशेषज्ञ एस के शर्मा बताते हैं कि दिल्ली तीनों ही है. आर्टिकल 239 एए के तहत दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है. इसलिए यहां केंद्र और दिल्ली सरकार को मिलकर काम करना होता है. क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है इसलिए फरवरी 1992 में इसे नेशनल कैपिटल टेरिटरी यानी एनसीटी का दर्जा दिया गया. एनसीआर एक तरह की योजना है, जिसे 1985 में लागू किया गया था. इसका मकसद दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों को प्लानिंग के साथ डिवेलप करना है. एनसीआर में अभी हरियाणा के 14, उत्तर प्रदेश के आठ, राजस्थान के दो और पूरी दिल्ली शामिल है.

19045580
सदन में पेश किए जाने वाले बिल की सूची

क्या है केंद्र सरकार द्वारा लाया गया अध्यादेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार में सर्विसेज से जुड़े मामलों को पूर्ण अधिकार चुनी हुई सरकार को देने का आदेश दिया था. कोर्ट के उक्त आदेश को आठ दिन बाद इसे अध्यादेश के जरिए उसे पलट दिया था. केंद्र के अध्यादेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधित ऑर्डिनेंस) 2023 के जरिए केंद्र सरकार ने एक नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी का गठन किया है. दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और सेवा से जुड़े फैसले अब ऑथोरिटी के जरिए होंगे. इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री को प्रमुख बनाने की बात कही गई है. लेकिन फैसला बहुमत से होगा. नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी में दिल्ली के मुख्यमंत्री के अलावा मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव गृह विभाग के सदस्य होंगे. किसी भी विवाद की स्थिति में उपराज्यपाल का फैसला अंतिम होगा. केंद्र के अधीन आने वाले विषयों को छोड़कर अन्य सभी मामलों में यह अथॉरिटी ग्रुप ए और दिल्ली में सेवा दे रहे दानिक्स अधिकारियों के तबादले नियुक्ति की सिफारिश करेंगी. जिस पर अंतिम मुहर उपराज्यपाल की लगाएंगे.

अध्यादेश की इन धाराओं की संवैधानिकता पर दिल्ली सरकार को है एतराज

  1. जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 3 ए यह निर्धारित करती है कि राज्य सूची की प्रविष्टि 41 अब दिल्ली की विधानसभा के लिए उपलब्ध नहीं होगी.
  2. जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 45 ई से 45 एच के अनुसार दिल्ली सरकार में काम करने वाले अधिकारियों पर एलजी का कंट्रोल है और अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग और अनुशासन सहित मामलों पर एलजी को सिफारिशें करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण का गठन करती है.
  3. जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 41 में जीएनसीटीडी अधिनियम के भाग 4 ए से संबंधित मामलों में एलजी के स्वविवेक का प्रावधान है.
  4. जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 45 डी निर्धारित करती है कि किसी अन्य कानून के बावजूद, दिल्ली सरकार में कोई भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या कोई वैधानिक निकाय का गठन और उसके सभी सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी.
  5. जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 45 के (3) और 45के (5) के तहत ब्यूरोक्रेट्स और एलजी को मंत्रिपरिषद और प्रभारी मंत्रियों द्वारा लिए गए निर्णयों को रद्द करने की अनुमति है.
  6. जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 45के (1) के तहत ब्यूरोक्रेट्स को कैबिनेट नोट्स को अंतिम रूप देने का अधिकार है और उन्हें मंत्रिपरिषद द्वारा विचार किए जाने से पहले किसी भी प्रस्ताव रोकने की अनुमति है.

ये भी पढ़ेंः Monsoon Session 2023: मानसून सत्र आज से, मणिपुर हिंसा और दिल्ली अध्यादेश जैसे मुद्दे रहेंगे अहम

Last Updated :Jul 20, 2023, 10:57 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.