नई दिल्लीः गजियाबाद देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार है. हर साल करीब चार महीने एनसीआर में प्रदूषण का पहरा रहता है. प्रदूषण के लोगों को कई प्राकार की स्वास्थ संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. प्रदूषण का स्थाई समाधान करने के लिए लगातार जहां प्रशासन और नगर निगम कवायद कर रहा है. वहीं, दूसरी तरफ कई NGO भी इस मुहिम में निगम और प्रशासन का साथ दे रहे हैं. बीते डेढ़ साल से गाजियाबाद में मियावाकी तकनीक से वन विकसित करने की कवायद जारी है.
गाजियाबाद के कविनगर इंडस्ट्रियल एरिया स्थित स्वामी दयानंद पार्क में मियावली तकनीक से वन विकसित किए जा रहे हैं. अप्रैल 2022 में मियावाकी तकनीक से स्वामी दयानंद पार्क में तकरीबन 7000 पौधे लगाए गए थे. साल भर में मियावाकी तकनीक से लगे पौधे अब पेड़ बन चुके हैं. 8 से 10 फीट के बीच इन पेड़ों की ऊंचाई हो गई है. साथ ही घने जंगल में तब्दील हो गए हैं. मियावाकी तकनीक से विकसित हुए सामान को पास से देखने में ऐसा लगता है कि जैसे कई सालों पुराने लगे पेड़ हो.
पोंडमैन कहे जाने वाले रामवीर खबर बताते हैं कि साल भर पहले पौधे लगे थे और एक साल में अच्छी ग्रोथ हुई है. पार्क में अब चिड़ियों की चहचहाहट भी सुनाई देने लगी है, जिसके बाद अब इसी पार्क में एक तालाब विकसित किया जा रहा है. नगर निगम के सहयोग से पार्क को एक बायोडायवर्सिटी पार्क बनाने की कवायद की जा रही है. आने वाले छह महीनों में पार्क और बेहतरीन हो जाएगा, क्योंकि कई चरणों में यहां पर मियावाकी तकनीक से प्लांटेशन किया जा चुका है. पहले चरण में लगे पेड़ 8 से 9 फीट की ऊंचाई ले चुके हैं. 40 प्रजातियों के पेड़ लगाए गए हैं. हालांकि, दूसरे और तीसरे चरण में लगे पेड़ छै महीने में विकसित हो जाएंगे. कविनगर इंडस्ट्रियल में बायो डायवर्सिटी पार्क से क्षेत्र में ऑक्सीजन लेवल भी बढ़ेगा.
इस संबंध में ETV Bharat ने गाजियाबाद के नगर आयुक्त नितिन गौड़ से कई बार बात करने की कोशिश की, लेकिन नगर आयुक्त की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया. उनका पक्ष मिलने के बाद खबर में जोड़ दिया जाएगा.