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कालकाजी मंदिर के बगल के भूखंड पर काम बंद करे डीडीएः दिल्ली हाई कोर्ट

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Published : May 3, 2023, 1:30 PM IST

दिल्ली विकास प्राधिकरण को हाईकोर्ट ने कालकाजी से सटे एक भूखंड पर आगे के निर्माण को रोकने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि साइट पर काम आसपास के क्षितिज और लोटस टेंपल की दृश्यता को प्रभावित करेगा.

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नई दिल्ली: आसपास के क्षितिज पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए और प्रतिष्ठित लोटस टेंपल को देखने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने कालकाजी से सटे एक भूखंड पर आगे के निर्माण पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण को काम रोकने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने डीडीए से उस भूखंड पर सभी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कहा, जहां प्राधिकरण ने पहले खुदाई और नए निर्माण का काम शुरू किया था.

साइट पर काम लोटस टेंपल की दृश्यता को करेगा प्रभावित: डीडीए के वकील ने कम से कम कुछ कार्यों और अन्य गतिविधियों के लिए भूखंड का उपयोग करने की अनुमति मांगी, तो अदालत ने उसे एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा. जिसमें उसने साइट पर पहले आयोजित किए गए कार्यों के प्रकार का विवरण दिया हो. कोर्ट ने कहा कि साइट पर काम आसपास के क्षितिज और लोटस टेंपल की दृश्यता को प्रभावित करेगा.

अदालत ने मामले में व्यक्त की चिंता: कोर्ट ने पिछले महीने तीसरे पक्ष द्वारा प्लॉट में किए जा रहे काम पर चिंता व्यक्त की थी, जिसे उक्त भूमि डीडीए द्वारा पट्टे पर दी गई थी. कोर्ट ने यह भी कहा था कि आश्चर्य की बात है कि जब भूमि का सीमांकन ही वैधानिक नहीं है, तो डीडीए ने इसे कैसे विकसित करना शुरू कर दिया है. इस पर अदालत ने भारी चिंता व्यक्त की है, क्योंकि डीडीए शुरू से ही इन कार्रवाईयों में एक पक्षकार रहा है.

कालकाजी मंदिर परिसर के पुनर्विकास की निगरानी कर रहा कोर्ट: कोर्ट ने तब डीडीए से एक स्पष्टीकरण की मांग की थी कि उस व्यक्ति या संस्था के साथ किस तरह की व्यवस्था की गई है, जो कालकाजी मंदिर के साथ-साथ कमल मंदिर के बगल में भूमि पर निर्माण कर रहा है. इसने डीडीए के संबंधित अधिकारियों को अगली सुनवाई पर उपस्थित रहने के लिए भी कहा था. बता दें कि अदालत कालकाजी मंदिर परिसर के पुनर्विकास की निगरानी कर रही है. इसको लेकर कोर्ट द्वारा कई आदेश पारित किए गए हैं. अदालत ने पहले रेखांकित किया था कि यह एक मंदिर के लिए आवश्यक है, जहां हजारों भक्त हर दिन पूजा करने के लिए आते हैं. चाहे उसकी सार्वजनिक या निजी स्थिति कुछ भी हो अनधिकृत अतिक्रमण से मुक्त होना चाहिए. हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को प्रशासक के रूप में नियुक्त करने के अलावा अदालत ने कालकाजी मंदिर परिसर के पुनर्विकास की योजना तैयार करने के लिए पहले से ही एक प्रसिद्ध वास्तुकार गुन्मीत सिंह चौहान को नियुक्त किया है.
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