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इसरो आज ओशनसैट-3 और आठ लघु उपग्रहों के साथ पीएसएलवी-सी54 को प्रक्षेपित करेगा

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Published : Nov 20, 2022, 12:36 PM IST

Updated : Nov 26, 2022, 7:10 AM IST

इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीएसएलवी सी54 के जरिए ओशनसैट 3 और आठ लघु उपग्रह- पिक्सेल से 'आनंद', भूटानसैट, ध्रुव अंतरिक्ष से दो थायबोल्ट और स्पेसफ्लाइट यूएसए से चार एस्ट्रोकास्ट-प्रक्षेपित किए जाएंगे.

ISRO to launch PSLV-C54 with Oceansat-3 and eight small satellites on November 26 2022
इसरो 26 नवंबर को ओशनसैट-3 और आठ लघु उपग्रहों के साथ पीएसएलवी-सी54 को प्रक्षेपित करेगा

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज 26 नवंबर को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से ओशनसैट-3 और आठ लघु उपग्रहों के साथ पीएसएलवी-सी54/ईओएस-06 मिशन के तहत प्रक्षेपण करेगा. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि प्रक्षेपण के लिए आज पूर्वाह्न 11 बजकर 56 मिनट का समय निर्धारित किया गया है. इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीएसएलवी-सी54 के जरिए ओशनसैट-3 और आठ लघु उपग्रह- पिक्सेल से 'आनंद', भूटानसैट, ध्रुव अंतरिक्ष से दो थायबोल्ट और स्पेसफ्लाइट यूएसए से चार एस्ट्रोकास्ट- प्रक्षेपित किए जाएंगे.

इससे इतर, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने रविवार को पहली गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए अपने चालक दल मॉड्यूल का अवत्‍वरण प्रणाली का एकीकृत मुख्य पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट (IMAT) आयोजित किया. पैराशूट एयरड्रॉप उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में आयोजित किया गया था. इसरो ने एक बयान में कहा, गगनयान अवत्‍वरण प्रणाली में छोटे एसीएस, पायलट और ड्रग पैराशूट के अलावा तीन मुख्य पैराशूट होते हैं, ताकि लैंडिंग के दौरान क्रू मॉड्यूल की गति को सुरक्षित स्तर तक कम किया जा सके.

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इसरो ने कहा कि तीन मुख्य च्यूट में से दो अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर उतारने के लिए पर्याप्त हैं, और तीसरे की जरूरत नहीं है. IMAT परीक्षण ने इस मामले का अनुकरण किया जब एक मुख्य च्यूट नहीं खुल सका. IMAT परीक्षण एकीकृत पैराशूट एयरड्रॉप परीक्षणों की एक श्रृंखला में पहला है, जिसे पैराशूट प्रणाली की विभिन्न विफलता स्थितियों का अनुकरण करने के लिए पहले मानव अंतरिक्ष यान मिशन में उपयोग करने के लिए योग्य माना गया है.

इस परीक्षण में क्रू मॉड्यूल द्रव्यमान के बराबर पांच टन डमी द्रव्यमान को 2.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाया गया और भारतीय वायु सेना के आईएल-76 विमान का उपयोग करके गिराया गया. दो छोटे पायरो-आधारित मोर्टार-तैनात पायलट पैराशूट ने फिर मुख्य पैराशूट का इस्तेमाल किया. इसरो ने एक बयान में कहा कि पूरी तरह से फुलाए गए मुख्य पैराशूट ने पेलोड की गति को सुरक्षित लैंडिंग गति तक कम कर दिया. पूरा क्रम लगभग 2-3 मिनट तक चला. क्योंकि वैज्ञानिकों ने तैनाती क्रम के विभिन्न चरणों को सांस रोककर देखा. पैराशूट-आधारित अवत्‍वरण प्रणाली का डिजाइन और विकास इसरो और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) का एक संयुक्त उद्यम है.

पीटीआई-भाषा

Last Updated : Nov 26, 2022, 7:10 AM IST
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