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बाइडेन ने चीन के प्रौद्योगिकी उद्योगों में अमेरिकी निवेश पर लगाया प्रतिबंध

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Published : Aug 10, 2023, 6:49 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रमुख प्रौद्योगिकी उद्योगों में अमेरिकी निवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसका उपयोग बीजिंग की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर...

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन

न्यूयॉर्क/वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए. इस आदेश के कारण अब कंप्यूटर चिप्स जैसी संवेदनशील प्रौद्योगिकियों में चीन में कुछ नए अमेरिकी निवेश पर प्रतिबंध लग जायेगा. जबकि अन्य तकनीकी क्षेत्रों में निवेश के लिए सरकारी मंजूरी की आवश्यकता होगी. इस तरह के आदेश की चर्चा अमेरिका के उद्योग जगत में लंबे समय समय से हो रही थी. आदेश के तहक अमेरिकी ट्रेजरी सचिव तीन क्षेत्रों में चीनी संस्थाओं में अमेरिकी निवेश को प्रतिबंधित करने के लिए अधिकृत करता है. ये तीन क्षेत्र हैं सेमी कंडक्टर और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, क्वांटम सूचना प्रौद्योगिकी और कुछ एआई प्रणाली.

अमेरिकी प्रशासन ने कहा कि प्रतिबंध तीन क्षेत्रों के 'संकीर्ण उपसमूहों' पर लागू होंगे. हालांकि, 'संकीर्ण उपसमूहों' को अभी परिभाषित नहीं किया गया है. साथ दी प्रस्ताव सार्वजनिक इनपुट के लिए खुला है. इस आदेश का उद्देश्य अमेरिकी पूंजी और विशेषज्ञता को चीन को ऐसी तकनीक विकसित करने में मदद करने से रोकना है जो उसके सैन्य आधुनिकीकरण का समर्थन कर सकती है और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर कर सकती है. इस आदेश के दायरे में निजी इक्विटी, उद्यम पूंजी, संयुक्त उद्यम और ग्रीनफील्ड निवेश आयेंगे.

डेमोक्रेट बाइडेन ने कांग्रेस को लिखे एक पत्र में कहा कि वह सैन्य, खुफिया, निगरानी या साइबर-सक्षम क्षमताओं के लिए महत्वपूर्ण संवेदनशील प्रौद्योगिकियों और उत्पादों में प्रगति से चीन में उत्पन्न खतरे से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर रहे हैं.

सेमी कंडक्टर एक प्राथमिकता : यह प्रस्ताव कंप्यूटर चिप्स और उनके निर्माण के लिए उपकरण डिजाइन करने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने वाली चीनी कंपनियों में निवेश पर केंद्रित है. अमेरिका, जापान और नीदरलैंड उन क्षेत्रों पर हावी हैं, और चीनी सरकार घरेलू विकल्प बनाने के लिए काम कर रही है. व्हाइट हाउस ने कहा कि बाइडेन ने योजना पर सहयोगियों से परामर्श किया और सात देशों के समूह से फीडबैक शामिल किया.

सीनेट डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर ने कहा कि बहुत लंबे समय से, अमेरिकी धन ने चीनी सेना के उत्थान में मदद की है. आज संयुक्त राज्य अमेरिका यह सुनिश्चित करने के लिए पहला रणनीतिक कदम उठा रहा है कि अमेरिकी निवेश चीनी सैन्य उन्नति को फंड ना करे. ट्रेजरी ने कहा कि नियम केवल भविष्य के निवेशों को प्रभावित करेंगे, मौजूदा निवेशों को नहीं, लेकिन यह पूर्व लेनदेन का खुलासा करने के लिए कह सकता है. इस कदम से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव बढ़ सकता है. वाशिंगटन में चीनी दूतावास ने कहा कि वह इस कदम से 'बहुत निराश' है.

अमेरिकी अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि निषेधों का उद्देश्य 'सबसे गंभीर' राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों को संबोधित करना था, न कि दोनों देशों की अत्यधिक अन्योन्याश्रित अर्थव्यवस्थाओं को अलग करना. रिपब्लिकन ने कहा कि यह आदेश खामियों से भरा था, जैसे कि केवल भविष्य के निवेश पर लागू करना, और पर्याप्त आक्रामक नहीं है.

रिपब्लिकन सांसदों को प्रस्ताव में नजर आई कई खामियां : रिपब्लिकन सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा कि बाइडेन प्रशासन की योजना 'लगभग हास्यास्पद' है. उन्होंने कहा कि यह खामियों से भरा है, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के दोहरे उपयोग की प्रकृति को स्पष्ट रूप से नजरअंदाज करता है. उन उद्योगों को शामिल करने में विफल रहता है जिन्हें चीन की सरकार महत्वपूर्ण मानती है. वाशिंगटन में चीनी दूतावास के एक प्रवक्ता ने कहा कि व्हाइट हाउस ने योजना के बारे में 'चीन की बार-बार व्यक्त की गई गहरी चिंताओं' पर ध्यान नहीं दिया.

प्रवक्ता ने कहा कि 70,000 से अधिक अमेरिकी कंपनियां चीन में कारोबार करती हैं. उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों से चीनी और अमेरिकी दोनों व्यवसायों को नुकसान होगा, सामान्य सहयोग में बाधा आएगी और अमेरिका में निवेशकों का विश्वास कम होगा.

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सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन ने कहा कि उसे उम्मीद है कि यह आदेश 'अमेरिकी चिप कंपनियों को समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और चीन सहित प्रमुख वैश्विक बाजारों तक पहुंच बनाने में सक्षम बनाएगा'. द्विदलीय नीति अनुसंधान संगठन, सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) की एमिली बेन्सन ने कहा कि मुख्य सवाल यह है कि योजना अमेरिकी सहयोगियों को कैसे प्रभावित करती है और चीन इसपर कैसे प्रतिक्रिया देता है.

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