हैदराबाद : कोरोना वायरस के उद्गम केंद्र चीन के साथ लम्बी सीमा साझा करने के बावजूद रूस ने कोरोना वायरस के 438 संक्रमित मामलों और एक मौत की बात कही है. इस आंकड़े से सवाल उठता है कि या तो मॉस्को महामारी से निबटने के लिए अच्छे तरीके से तैयार है या फिर आंकड़ों को छुपा रहा है.
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया है कि देश कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में कामयाब रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि मॉस्को ने इस वायरस को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है क्योंकि देश ने गत 30 जनवरी को ही चीन के साथ अपनी सीमाओं को सील कर दिया था और पहले ही संगरोध क्षेत्र (क्वारंटाइन जोन) तैयार किए थे.
मॉस्को ने अपनी विशाल परीक्षण सुविधाओं को भी विकसित किया, जो वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए जरूरी है.
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रूस के राज्य उपभोक्ता प्रहरी Rospotrebnadzor ने शनिवार को कहा कि उसने कुल 1,56,000 से अधिक कोरोना वायरस परीक्षण चलाए थे. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार तुलनात्मक रूप से रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के आंकड़ों पर गौर करें तो संयुक्त राज्य अमेरिका ने केवल मार्च की शुरुआत में परीक्षण की गति बढ़ाई जबकि रूस ने कहा कि वह फरवरी की शुरुआत से ही परीक्षण कर रहा है, जिसमें हवाईअड्डे भी शामिल हैं. इस दौरान ईरान, चीन व दक्षिण कोरिया से आने वाले यात्रियों पर विशेष नजर रखी.
लेकिन परीक्षण सुविधाओं की विश्वसनीयता और सूचनाओं को छिपाने (इंफार्मेशन लॉकडाउन) को लेकर संदेह भी गहराया है क्योंकि सोशल मीडिया पर रूसी नागरिकों ने सूचनाएं छिपाने के देश के इतिहास को लेकर चिंताएं जाहिर की हैं. इनमें 1986 की चेरनोबिल परमाणु तबाही, 1980 के दशक में एचआईवी / एड्स महामारी शामिल है.
पुतिन ने खुद बुधवार को यह कहते हुए आंकड़ों के बारे चिंता जाहिर की थी कि सरकार के पास पूरी तस्वीर नहीं भी हो सकती, लेकिन सरकार संख्या को कवर (छुपा) नहीं कर रही है क्योंकि लोग कभी-कभी इसकी सूचना नहीं देते कि वे बीमार हैं.