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पांच दशकों से पर्यावरण पर युवाओं की सक्रियता का परिणाम है- ग्रेटा थनबर्ग

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Published : Nov 7, 2021, 5:10 PM IST

युवाओं ने 18 महीने तक डिजिटल माध्यम से अभियान जारी रखने के बाद फिर से पर्यावरण को लेकर न्याय की मांग करते हुए सड़कों का रुख किया है, जिनका सारा ध्यान ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन पर केंद्रित है.

Greta Thunberg
Greta Thunberg

स्टॉकहोम : युवाओं ने 18 महीने तक डिजिटल माध्यम से अभियान जारी रखने के बाद फिर से पर्यावरण को लेकर न्याय की मांग करते हुए सड़कों का रुख किया है, जिनका सारा ध्यान ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन पर केंद्रित है.

जब 15 वर्षीय ग्रेटा थनबर्ग ने 2018 में स्वीडिश संसद के बाहर स्कोल्स्ट्रेज्क फॉर क्लिमेटेट (जलवायु के लिए स्कूल की हड़ताल) मुहिम शुरू की तो कुछ ही लोगों ने अनुमान लगाया होगा कि उनकी इस पहल से दुनिया भर में विरोध होगा. इसके तीव्र अंतरराष्ट्रीय प्रभाव के कारण इस आंदोलन को राजनीतिक लामबंदी के एक नए रूप के रूप में वर्णित किया गया है.

स्वीडन में ग्रेटा से पहले पर्यावरण पर युवाओं की सक्रियता को लेकर शोध करने वाले इतिहासकार तर्क देते हैं कि आज आप जो देखते हैं वह युवा सशक्तीकरण और वैश्विक जागरूकता की स्कैंडिनेवियाई परंपरा में निहित है. सबसे पहले यह उल्लेख करना जरूरी है कि सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों में बच्चों की भागीदारी को नॉर्डिक देशों में बचपन की विशिष्ट धारणाओं द्वारा सुगम बनाया गया है. स्वायत्त और समर्थ बच्चे के विचार को शोधकर्ताओं ने बचपन के नॉर्डिक मॉडल की एक विशेषता के रूप में वर्णित किया है, जो कई दशकों से बच्चों के लालन पालन और सार्वजनिक नीति को प्रभावित करता है.

इस मॉडल के तत्व क्षेत्र के लिए अद्वितीय नहीं हैं, लेकिन इस धारणा का स्वीडिश बच्चों की कई पीढ़ियों पर स्थायी प्रभाव पड़ा है, जिससे उन्हें स्वतंत्रता का मूल्य सिखाया गया और उनकी आवाज सुनी गई. युवा लोगों की वैश्विक चेतना को बढ़ावा देने के लिए स्वीडन में भी लंबे समय से एक महत्वाकांक्षा रही है.

उत्तरी यूरोप के अधिकांश देशों को नॉर्डिक और स्कैंडिनेवियाई देश कहा जाता है. स्कैंडिनेवियाई देशों में नॉर्वे, स्वीडन व फिनलैंड आते हैं. इनके अलावा फिनलैंड, आइसलैंड एवं फैरो द्वीपसमूह के संग ये नॉर्डिक देश भी कहलाते हैं.

आज, जलवायु परिवर्तन राजनीतिक एजेंडे पर हावी है लेकिन युवा लोगों को शामिल करने वाला यह पहला वैश्विक मुद्दा नहीं है. युद्ध के बाद के शुरुआती दौर में बच्चों और युवाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जब विकास सहायता स्वीडिश विदेश नीति का एक नया क्षेत्र बन गया. सर्वेक्षणों से पता चला है कि युवा लोग पुरानी पीढ़ियों की तुलना में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता के संदेश के प्रति अधिक संवेदनशील है.

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वर्ष 1970 के आसपास आधुनिक पर्यावरणवाद के उदय और पारिस्थितिकीय मोड़ के साथ जब एक वैश्विक पर्यावरणीय संकट का ज्ञान अधिक व्यापक हो गया, बच्चों और युवाओं को कार्रवाई करने के लिए लामबंद किया गया. स्वीडन की आरंभिक पहल में से एक अभियान फ्रंट अगेंस्ट एनवायरनमेंटल डिग्रेडेशन था, जिसे बीमा कंपनी फोल्क्सम द्वारा 1968 में शुरू किया गया था. निगम के सामाजिक लोकतांत्रिक सरकार के साथ मजबूत संबंध थे और एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता शुरू की जहां युवा लोगों को उनके स्थानीय समुदायों में पर्यावरणीय समस्याओं का दस्तावेजीकरण करने का कार्य दिया गया.

आधुनिक स्वीडिश इतिहास वैश्विक मुद्दों पर युवाओं के नेतृत्व वाली सक्रियता के कई उदाहरण प्रदान करता है. फोल्क्सम पहल वयस्क द्वारा आरंभ की गई थी जबकि अन्य अभियान और पहल युवा पीढ़ी द्वारा स्व-संगठन पर निर्भर थे. एक और उल्लेखनीय उदाहरण वार्षिक अभियान ऑपरेशन डैग्सवेर्के ऑपरेशन डे वर्क था, जो 1960 के दशक की शुरुआत में उभरा था.

ग्रेटा थनबर्ग द्वारा स्वीडिश संसद के बाहर प्रदर्शन शुरू करने के एक साल बाद विश्व स्तर पर जलवायु पर कार्य नहीं करने का विरोध हुआ और टाइम पत्रिका द्वारा उन्हें वर्ष का व्यक्ति नामित किया गया. यह प्रभाव डिजिटल प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया प्लेटफार्म द्वारा संभव बनाया गया, लेकिन इस आंदोलन की शुरुआत को पर्यावरण पर युवाओं की सक्रियता को 50 साल से अधिक पुरानी राजनीतिक संस्कृति की पृष्ठभूमि के खिलाफ भी समझा जाना चाहिए.

(द कन्वर्सेशन)

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