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टाइटेनिक के मलबे को संजोने के लिए एक साथ आए अमेरिका-ब्रिटेन, जानें मकसद

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Published : Jan 22, 2020, 12:02 AM IST

Updated : Feb 17, 2020, 10:50 PM IST

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टाइटेनिक के मलबे को संजोने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन के बीच संधि

1912 में उत्तरी अटलांटिक महासागर में मशहूर जहाज टाइटेनिक दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसे लेकर अमेरिका और ब्रिटेन के बीच एक अहम समझौता हुआ है. इस समझौते का मकसद उन 1,500 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की यादों को संरक्षित रखना और उनका सम्मान करना है जो इस जहाज पर मारे गए थे. जानें समझौते के महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में...

लंदन : विश्वविख्यात जहाज टाइटेनिक के मलबे को सुरक्षित रखने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन के बीच एक 'महत्वपूर्ण' समझौता हुआ है.

गौरतलब है कि यह मशहूर जहाज 107 साल पहले 1912 में उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक विशाल हिमखंड से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. यह जहाज अपनी पहली यात्रा पर था.

इस अंतरराष्ट्रीय समझौते से दोनों देश की सरकारों को यह लाइसेंस जारी करने या उससे इंकार करने का अधिकार मिल सकता है कि जहाज पर किसे प्रवेश दिया जाएगा या वहां से कौन सी कलात्मक वस्तुएं हटायी जा सकती हैं.

इस समझौते का मकसद उन 1,500 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की यादों को संरक्षित रखना और उनका सम्मान करना है जो इस जहाज पर मारे गए थे.

इस मलबे को पहले सुरक्षित नहीं किया जा सका था, क्योंकि जहां यह जहाज डूबा था, वह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में आता है. इस मलबे का पता 1985 में चला था.

ब्रिटेन की जहाजरानी मंत्री नुसरत गनी ने इस समझौते को 'महत्वपूर्ण' करार दिया है.

बेलफास्ट की हार्लेन्ड एंड वोल्फ कंपनी द्वारा बनाया गया यह जहाज अपनी पहली ही यात्रा पर 15 अप्रैल 1912 को डूब गया था. टाइटैनिक की पहली यात्रा साउथैम्प्टन से न्यूयार्क के बीच थी. टाइटैनिक के बारे में यह कहा गया था कि यह जहाज कभी डूब नहीं सकेगा.

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टाइटेनिक के मलबे को संजोने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन के बीच संधि



लंदन, 21 जनवरी (भाषा) विश्वविख्यात जहाज टाइटेनिक के मलबे को सुरक्षित रखने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन के बीच एक 'महत्वपूर्ण' समझौता हुआ है.



यह मशहूर जहाज 107 साल पहले 1912 में उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक विशाल हिमखंड से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. यह जहाज अपनी पहली यात्रा पर था.



इस अंतरराष्ट्रीय समझौते से दोनों देश की सरकारों को यह लाइसेंस जारी करने या उससे इंकार करने का अधिकार मिल सकता है कि जहाज पर किसे प्रवेश दिया जाएगा या वहां से कौन सी कलात्मक वस्तुएं हटायी जा सकती हैं.



इस समझौते का मकसद उन 1,500 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की यादों को संरक्षित रखना और उनका सम्मान करना है जो इस जहाज पर मारे गए थे.



इस मलबे को पहले सुरक्षित नहीं किया जा सका था क्योंकि जहां यह जहाज डूबा था, वह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में आता है. इस मलबे का पता 1985 में चला था.



ब्रिटेन की जहाजरानी मंत्री नुसरत गनी ने इस समझौते को 'महत्वपूर्ण' करार दिया है.



बेलफास्ट की हार्लेन्ड एंड वोल्फ कंपनी द्वारा बनाया गया यह जहाज अपनी पहली ही यात्रा पर 15 अप्रैल 1912 को डूब गया था. टाइटैनिक की पहली यात्रा साउथैम्प्टन से न्यूयार्क के बीच थी. टाइटैनिक के बारे में यह कहा गया था कि यह जहाज कभी डूब नहीं सकेगा.


Conclusion:
Last Updated :Feb 17, 2020, 10:50 PM IST
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