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सलमान खान ने जिस काले हिरण का किया था शिकार, अब उसका बनने जा रहा स्टैचू

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Published : Aug 13, 2022, 3:20 PM IST

सलमान खान ने तीन दशक पहले जिस काले हिरण का शिकार किया था, उसकी अब उसी जगह पर मूर्ति स्थापित की जा रही है.

Etv Bharatसलमान खान
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हैदराबाद : बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान से जुड़े काला हिरण शिकार मामले (1998) में ताजा अपडेट सामने आई है. इस मामले में सलमान खान बीते तीन दशक से जोधपुर कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं. जोधपुर के काकाणी गांव में सलमान खान ने काले हिरण का शिकार किया था. अब यहां के बिश्नोई समाज काले हिरण का स्मारक बनाने का फैसला लिया है. यह स्मारक शिकार वाली जगह बनाया जाएगा.

7 बीघा जमीन पर तैयार हो रहा स्मारक

बता दें, इस गांव के लोग काले हिरण को अपनी पहचान और परंपरा में पूजा कर इसे मानते हैं और कहते हैं कि हिरण का जिंदा रहना जरूरी है. मीडिया की मानें तो जहां इस हिरण ने दम तोड़ा था वहां भव्य स्मारक और एक पशु बचाव केंद्र का निर्माण किया जा रहा है. स्मारक लगभग 7 बीघा जमीन पर कंकणी गांव में बनाया जाने का फैसला लिया गया है.

काले हिरण की 3 फुट की विशाल मूर्ती

इस स्मारक के लिए 800 किलो वजनी काले हिरण की 3 फुट की विशाल मूर्ती भी स्थापित की जाएगी. साथ ही पशु-पक्षियों के इलाज के लिए रेस्क्यू सेंटर भी खोला जाएगा. कंकणी गांव के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर पूरे मंदिर का निर्माण किया है.

तैयार हो चुकी है मृत हिरण की मूर्ति

बताया जा रहा है कि जोधपुर के सिवांची गेट पर एक स्थानीय मूर्तिकार ने 15 दिनों में इस हिरण की मूर्ति भी तैयार कर दी है. मूर्ती पर लगे सींग उसी मृत हिरण के हैं. वहीं, इस पूरे जंगल में मृत हिरणों के अवशेषों से सींग बनाए गये हैं. यहां के लोगों का कहना है कि ऐसा आने वाली पीढ़ियों को जागरुक करने के लिए जा रहा है.

जंगल में मृत हिरणों के अवशेषों से सींग बनाए गए हैं. ग्रामीणों के अनुसार आने वाली पीढ़ियों के लिए जानवरों की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. मंदिर उन्हें जानवरों की रक्षा करने की याद दिलाएगा.

बिश्नोई समाज के प्रतिनिधि क्या बोले

मीडिया से बात करते हुए पूर्व सांसद और बिश्नोई समाज के प्रतिनिधि जसवंत सिंह बिश्नोई ने कहा, 'हिरण हमारी पहचान है और उनका जीवित रहना जरूरी है. मंदिर के निर्माण के बाद, हम अगली पीढ़ी को गुरु जंभोजी महाराज की सीख देंगे. जांभोजी महाराज ने कहा था कि सर कटे रुख बचे तो भी सस्ता जान, जिसका मतलब है कि सिर काट भी दिया जाए, बिश्नोई समाज के युवाओं को हर कीमत पर पर्यावरण, पेड़ और जानवरों को बचाने के लिए खड़ा रहना होगा.

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