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गुरुग्राम के सरकारी अस्पताल में मरीजों को दिया जाता है पौष्टिक आहार, किचन में सीसीटीवी से रखी जाती है नजर

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Published : Mar 4, 2021, 10:41 PM IST

गुरुग्राम के सरकारी अस्पताल की रसोई में साफ-सफाई से लेकर स्वच्छता का बेहद ख्याल रखा जाता है. कोरोना को देखते हुए हाइपोक्लोराइट से दिन में 7-8 बार फर्श को साफ किया जाता है.

अस्पताल में मरीजों को दिया जाता है पौष्टिक आहार
अस्पताल में मरीजों को दिया जाता है पौष्टिक आहार

नई दिल्ली/गुरुग्राम: हमारे बेहतर स्वस्थ्य के लिए सबसे अहम होती है एक अच्छी खुराक, यानी साफ और स्वच्छ खाना. वहीं अगर किसी बीमार व्यक्ति जल्द से जल्द ठीक होना हो तो दवाइयों के साथ-साथ उसे दिए जाने वाले भोजन का भी काफी महत्व होता है. ऐसे में ईटीवी भारत ने पड़ताल की गुरुग्राम के सरकारी अस्पताल में मरीजों को दिए जाने वाले भोजन की.

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जांच के दौरान हमारी टीम ने सरकारी अस्पतालों में जाकर देखा कि आखिर यहां भर्ती मरीजों को किस प्रकार का खाना दिया जा रहा है और उन्हें पर्यापत मात्रा में खाना मिल भी रहा है या फिर नहीं.

किचन में सीसीटीवी से रखी जाती है नजर
किचन में सीसीटीवी से रखी जाती है नजर

हमने सेक्टर 10 में स्थित नागरिक अस्पताल के डिप्टी सिविल सर्जन नीरज यादव से बात की तो उन्होंने बताया कि गुरुग्राम के सरकारी अस्पतालों में CSR यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत किचेन चलाई जा रही है जो मरीजों को निशुल्क खाना उपलब्ध कराती है. बीते 3-4 साल से यहां मरीजों को खाना CSR के तहत ही दिया जाता है.

गुरुग्राम के सरकारी अस्पताल की रसोई में साफ-सफाई से लेकर स्वच्छता का बेहद ख्याल रखा जाता है. कोरोना को देखते हुए हाइपोक्लोराइट से दिन में 7-8 पर फर्श को साफ किया जाता है. रसोई में गुणवत्ता का ख्याल रखने के लिए डॉक्टर लगातार निरीक्षण करते हैं. सरकारी अस्पताल की रसोई में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. यानी रसोई में होने वाला हर कार्य 24 घंटे निगरानी में किया जाता है. इन कैमरों के एक्सेस कुछ डॉक्टर और जो संस्थान यहां भोजन की व्यवस्था करती है उसके पास है.

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गुरुग्राम के डिप्टी सिविल सर्जन नीरज की माने तो कोरोना से पहले जहां 150 से 180 लोगों का भोजन रोजाना बनता था, अब करीब 100 मरीजों के लिए यहां थाना बनता है. जिसमें सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का खाना भोजन शामिल है. खाने का हर महीने 8-9 हजार रुपये खर्च आता है. रसोई के मैनेजर की माने तो हर महीने ढाई से से 3 हजार मरीजों का खाना बनता है. जिसमें 8 से 9 हजार के तकरीबन का खर्च आता है.

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