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कृषि अध्यादेश पर सैलजा का बयान, 'किसान बर्बाद होगा और कालाबाजारी बढ़ेगी'

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Published : Sep 16, 2020, 10:38 PM IST

आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश के लोकसभा में पास होने पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार किसानों से बातचीत का ढोंग पीटती है और दूसरी तरफ इन अध्यादेशों को पास कराया जा रहा है.

kumari selja reaction on Essential Commodities Act
प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा

नई दिल्ली: हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने भाजपा सरकार पर जन विरोधी होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार लगातार किसान और जनविरोधी फैसले ले रही है. किसानों और कांग्रेस पार्टी के भारी विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश को लोकसभा में पास करवा लिया.

सुनिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा का बयान

उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार किसानों से बातचीत का ढोंग पीटती है और दूसरी तरफ इन अध्यादेशों को पास कराया जा रहा है. सरकार अपने चहेते कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है.

सैलजा ने कहा कि आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश को लोकसभा में पास करा दिया गया है. इस अध्यादेश के जरिए अनाज, दलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज को अनिवार्य वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया है. यानि अब इनका स्टोरेज किया जा सकेगा. उपज की स्टोरेज से कालाबाजारी भी बढ़ेगी और बड़े कारोबारी इसका लाभ उठाएंगे.

सैलजा का कहना है कि पहले किसानों की फसल को औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लिया जाता था और फिर जमकर कालाबाज़ारी होती थी. जिसे रोकने के लिए Essential Commodities Act 1955 बनाया गया था. जिसके तहत कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी.

अब नए विधेयक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को हटाने के लिए लाया गया. उन्होंने कहा कि अब इस नए कदम से इन वस्तुओं की फिर से कालाबाज़ारी बढ़ेगी और इसकी मार किसानों के साथ उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगी.

वहीं हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने किसानों और बेरोजगारों की आत्महत्याओं को लेकर भी सरकार की गलत और विफल नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार हर रोज 38 बेरोजगार और 28 विद्यार्थी आत्महत्या कर रहे हैं, जो कि एक खतरनाक संकेत है. वर्ष 2019 में कुल 1 लाख 39 हजार 123 लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें 14051 लोग ऐसे थे, जो बेरोजगार थे. वहीं आत्महत्या करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 10 हजार 295 थी.

कुमारी सैलजा ने कहा कि बेरोजगार लोगों की आत्महत्या का ये आंकड़ा पिछले 25 वर्षों में सबसे अधिक है और इन 25 वर्षों में पहली बार बेरोजगार लोगों की आत्महत्या का प्रतिशत दहाई अंकों (10.1%) में पहुंचा है. वर्ष 2018 में आत्महत्या करने वाले बेरोजगार लोगों की संख्या 12936 थी.

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किसानों की आत्महत्या से जुड़े हुए राज्यवार आंकड़े भी उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं. कर्ज में डूबे और दिवालियापन में कारण आत्महत्या करने वाले किसानों के आंकड़े वर्ष 2016 से केंद्र के पास उपलब्ध नहीं हैं. ये सरकार द्वारा अपनी विफलताओं को छुपाने का प्रयास है.

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