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Shukra Pradosh Vrat 2022: घर में नहीं होगी कभी धन की कमी, मां लक्ष्मी का होगा स्थायी वास

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Published : Oct 6, 2022, 6:25 PM IST

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शुक्र प्रदोष व्रत पर आचार्य शिव कुमार शर्मा की बातें

साल के हर महीने में दो प्रदोष पड़ते हैं. पहला कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में. प्रदोष व्रत का नाम वार यानी सप्ताह के दिन के अनुसार होता है. प्रदोष व्रत इस बार शुक्रवार को पड़ रहा है. इस वजह से इसे शुक्र प्रदोष व्रत (shukra pradosh vrat 2022) कहते हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र (Shiv Shankar Jyotish Evam Vastu Anusandhan Kendra) के आचार्य शिव कुमार शर्मा (Acharya Shiv Kumar Sharma) के मुताबिक शुक्रवार को पड़ने वाली त्रयोदशी को शुक्र प्रदोष कहते हैं. इस बार 7 अक्टूबर यानी शुक्रवार को शुक्र प्रदोष व्रत पड़ रहा है. ऐसी मान्यता है कि शुक्र प्रदोष का व्रत करने से घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है. घर में धन की स्थिरता आती है. लक्ष्मी और वैभव के लिए बहुत ही श्रेष्ठ है.

शुक्र प्रदोष का व्रत रख भगवान शिव की पूजा अर्चना करें. भगवान शिव की आरती करें और भोग लगाएं. गरीबों और विद्वानों को भोजन कराने और दक्षिणा देकर उनको प्रसन्न करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. प्रदोष व्रत रखने वाले साधक दिन में सूक्ष्म फलाहार कर सकते हैं. यदि निराहार व्रत रखें तो उत्तम होता है.

शुक्र प्रदोष व्रत पर आचार्य शिव कुमार शर्मा की बातें
व्रत में बरतें सावधानी

आचार्य शिव कुमार शर्मा (Acharya Shiv Kumar Sharma) बताते हैं कि भगवान शिव का नाम आशुतोष है. आशुतोष का अर्थ है शीघ्र प्रसन्न होने वाले, थोड़े से प्रयास से भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं. शुक्र प्रदोष के व्रत के दौरान सावधानी बरतनी बेहद जरूरी होती है, क्योंकि भगवान शिव निष्ठा, लगन और सत्यता को ग्रहण करते हैं, जो व्यक्ति निश्चल होता है. श्रद्धा के साथ शुक्र प्रदोष का व्रत रखता है. उसके व्रत फलीभूत होते हैं. प्रदोष व्रत बेहद महत्वपूर्ण व्रत है.

प्रदोष व्रत मुहूर्त: 7 अक्टूबर (शुक्रवार) को सुबह 07 बजकर 26 मिनट पर से शुरू होकर 08 अक्टूबर (शनिवार) को सुबह 05 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.

प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा का समय:- शाम 6 बजे से शुरू होकर रात 8 बजकर 28 मिनट तक रहेगा.

प्रदोष व्रत का महत्व:

रवि प्रदोष: रविवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं. इस व्रत के करने से यश, कीर्ति और आयु का लाभ होता है.

सोम प्रदोष: सोमवार को प्रदोष होने से सोम प्रदोष कहते हैं. यह भगवान शिव का प्रिय दिन है. इसलिए भगवान शंकर की कृपा के लिए, उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए सोम प्रदोष का व्रत उत्तम रहता है.

भौम प्रदोष: मंगलवार को प्रदोष होने से भौम प्रदोष कहलाता है. इसका व्रत करने से कर्ज से मुक्ति होती है. भूमि भवन का लाभ होता है और समाज में सम्मान मिलता है.

बुध प्रदोष: बुधवार को प्रदोष होने से बुध प्रदोष कहलाता है. यह व्रत करने से नौकरी, व्यापार, कीर्ति और स्वास्थ्य लाभ होता है.

गुरु प्रदोषः बृहस्पति वार को प्रदोष होने से गुरु प्रदोष व्रत होता है इसमें व्रत करने से आध्यात्मिक उन्नति, गुरु और ईश्वर कृपा मिलती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है.

शुक्र प्रदोषः शुक्रवार को प्रदोष होने से शुक्र प्रदोष कहलाता है इसे करने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है. परिवार के सदस्यों में संबंधों का लाभ होता है. और घर की महिला सदस्य स्वस्थ व प्रसन्न रहती है.

शनि प्रदोष: शनिवार को प्रदोष होने से शनि प्रदोष होता है. इसका व्रत करने से कार्य में सफलता और समाज के महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग मिलता है.

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प्रदोष व्रत करने से समाज में प्रतिष्ठा, धन की प्राप्ति मन की शांति मिलती हैं. इसके पीछे एक पौराणिक आख्यान है. एक बार चंद्रमा को तपेदिक रोग हो गया. रोग असाध्य था उनको मृत्यु तुल्य कष्ट हो रहा था. उन्होंने भगवान शिव की आराधना की. भगवान शिव ने उनको संजीवनी मंत्र से स्वस्थ किया. उस दिन सोमवार व त्रयोदशी तिथि थी. इसलिए प्रदोष व्रत को मुख्य रूप से स्वास्थ्य व संपत्ति के लिए शुभ मानते हैं. आरोग्य की प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

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