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घंटाघर नरसंहार कांड : परिवार के 7 लोगों की हत्या के दोषी ड्राइवर को फांसी की सजा

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Published : Aug 1, 2022, 3:29 PM IST

Updated : Aug 1, 2022, 5:23 PM IST

घंटाघर नई बस्ती मोहल्ले में कारोबारी परिवार के 7 लोगों की हत्या करने के मामले में दोषी पूर्व ड्राइवर को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. जानें पूरा मामला...

घंटाघर नरसंहार कांड
घंटाघर नरसंहार कांड

नई दिल्ली/गाजियाबादः घंटाघर नई बस्ती मोहल्ले में कारोबारी सतीश चंद्र गोयल सहित परिवार के 7 लोगों की हत्या करने के मामले में दोषी पूर्व ड्राइवर को अदालत ने आज फांसी की सजा सुनाई है. शनिवार को अदालत ने आरोपी को इस मामले में दोषी ठहराया था. फैसला सुनाने के लिए अदालत ने एक अगस्त की तारीख मुकर्रर की थी.

घंटाघर कोतवाली क्षेत्र के नई बस्ती मोहल्ला इलाके में 21 मई 2013 की रात को सनसनीखेज घटना को अंजाम दिया गया था. नई बस्ती मोहल्ले में रहने वाले कारोबारी सतीश चंद्र गोयल समेत एक ही परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. मृतकों में परिवार के मुखिया सतीश चंद्र गोयल, पत्नी मंजू गोयल, पुत्र सचिन गोयल, पुत्र वधू रेखा गोयल, 14 वर्ष की पौत्री, और दो नाबालिग पौत्र शामिल थे. मामले को लेकर सतीश चंद्र गोयल के दामाद सचिन मित्तल ने कोतवाली थाने में अज्ञात बदमाशों के खिलाफ हत्याकांड का मुकदमा दर्ज कराया था.

घंटाघर नरसंहार कांड

जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश चंद्र शर्मा ने बताया कि न्यायालय द्वारा ड्राइवर राहूल वर्मा को IPC 302 के तहत मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है. IPC 394 के तहत 10 साल की सजा सुनाई गई है. IPC 411 के तहत तीन साल की सजा सुनाई गई है. आर्म्स एक्ट के तहत तीन साल की सजा सुनाई गई है. राहुल इस कारोबारी परिवार में ड्राइवर था. हत्या से 6 महीने पहले राहुल को ड्राइवर नियुक्त किया गया था. राजेश चंद्र शर्मा ने बताया कि मृतक सतीश चंद्र गोयल की किडनी ट्रांसप्लांट होनी थी. इसलिए घर में पैसा मौजूद था. इसकी जानकारी राहुल को थी. घटना से 15 दिन पहले 4.5 लाख चोरी हो गई थी. इसका शक राहुल पर था, इसलिए राहुल को नौकरी से हटा दिया गया था और घटना के दिन राहुल गायब हो गया था.

आरोपी ड्राइवर को फांसी की सजा

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मौके से फुटप्रिंट उठाए गए और एक सिगरेट का टुकड़ा मौके से मिला था. दीवार पर राहुल के हाथ का रक्तरंजित पंजे का निशान पाया गया था. सिगरेट पर लगी लार का मिलान राहुल की लार से हुआ. अभियुक्त से बरामद टी-शर्ट और अंगूठे पर लगे खून के निशान का डीएनए मृतका मंजू और सचिन के खून के समान था. सभी मृतकों पर एक ही तरीके से सांस की नली काटे जाने के घाव थे. मृतक सतीश चंद्र को एक इंजेक्शन प्रतिदिन लगता था. इसलिए घटना वाले दिन सर्वप्रथम कंपाउंडर घटनास्थल पर आया था और उसी ने दर्दनाक हादसे की सूचना सचिन मित्तल को दी थी.

Last Updated :Aug 1, 2022, 5:23 PM IST
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