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पहले लाेग ससुर और पति के नाम से जानते थे, अब मिली खुद की पहचान

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Published : Feb 23, 2022, 4:53 PM IST

पहले गांव में ससुर और पति के नाम से जानते थे लोग
पहले गांव में ससुर और पति के नाम से जानते थे लोग

गाजियाबाद के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली दो महिलाओं की सहायता समूह ने कड़कनाथ मुर्गी पालन को रोजगार का जरिया बनाया है. इससे महिलाएं न सिर्फ अपने लिए रोजगार के अवसर ढूंढा बल्कि दूसरों को रोजगार भी उपलब्ध करा कर आत्मनिर्भर बना रही हैं.

नई दिल्ली: ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर ढूंढना एक बड़ी चुनौती होती है. गाजियाबाद के एक ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाएं न सिर्फ अपने लिए रोजगार के अवसर ढूंढा बल्कि दूसरों को रोजगार भी उपलब्ध करा कर आत्मनिर्भर बना रही हैं. ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले महिलाओं के एक सहायता समूह ने कड़कनाथ मुर्गी पालन को रोजगार का जरिया बनाया है.

आमतौर पर फार्म के अंडे की कीमत पांच रुपये होती है, जबकि कड़कनाथ का अंडा तकरीबन 30 से 50 रुपये तक बाजार में बिकता है. गाज़ियाबाद के डासना देहात स्थित भूरगढ़ी निवासी राजकुमारी प्रजापति और विमला पाल कामयाबी की एक नई इबारत लिख रही है. दोनों महिलाओं सहायता समूह से जुड़ी हुई है. राजकुमारी और विमल ने 100 कड़कनाथ की मुर्गियों का फार्म घर में ही तैयार किया है.

पहले गांव में ससुर और पति के नाम से जानते थे लोग
विमला पाल बताती है कड़कनाथ मुर्गी प्रत्येक 72 घंटे में एक अंडा देती है. 100 कड़कनाथ की मुर्गियां प्रतिदिन 30 से 40 अंडे दे रही हैं. जिसकी बाजार में कीमत 900 से 1200 रुपये है. हमने एक कंपनी से टाईअप किया है जो हर दिन अंडे खरीदती है. विमला बताती हैं कि गाजियाबाद की मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल समेत अन्य अधिकारियों के सहयोग से वह अपने पैरों पर खड़ी हो पाई हैं. कड़कनाथ के 100 मुर्गियों से फार्म की शुरुआत की गई है. शुरुआती दौर में फार्म से अच्छी खासी कमाई हो रही है. आने वाले समय में वह फार्म को बड़े स्तर पर लेकर जाना चाहती हैं.

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विमला बताती हैं कि कड़कनाथ का फार्म शुरू करने के बाद न सिर्फ कमाई हो रही है बल्कि आसपास के गांवों में एक अलग पहचान मिली है. आसपास के गांवों से महिलाएं उनके घर आती हैं और अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए राय मशवरा करती हैं. उन्होंने बताया कि पहले आसपास के गांवों में लोग हमें पति और ससुर के नाम से हमें पहचानते थे लेकिन मुर्गा फार्म शुरू करने के बाद हालात बदल चुके हैं. इलाके में अलग पहचान बन रही है.

विमला ने बताया कि नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन के तहत उन्हें एक लाख दस हज़ार का अनुदान मिला. जिससे उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू किया. शुरुआती दौर में व्यवसाय को लेकर काफी डर और चिंता थी, लेकिन कड़ी मेहनत के बाद व्यवसाय से अच्छी आमदनी होने लगी है. व्यवसाय अब आगे बढ़ रहा है और अपने ऊपर भरोसा भी बढ़ रहा है. जल्द कड़कनाथ के मुर्गी फार्म को बड़ा बनाया जाएगा और 1000 कड़कनाथ मुर्गियां और शामिल की जाएंगी.

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मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने बताया कि नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जा रहा है. महिलाओं को नए व्यवसायों के बारे में बताया जा रहा है साथ ही ट्रेनिंग भी दी जा रही है. प्रशासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में रह रही महिलाओं को सहयोग कर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में रह रही महिलाओं के एक सहायता समूह को कड़कनाथ मुर्गीया उपलब्ध कराई गई हैं जिससे कि वह अपना व्यवसाय कर सकें.

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