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सज्जन कुमार के खिलाफ सरस्वती विहार में सिख दंगों के मामले में दो गवाहों ने दर्ज कराए बयान

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Published : Apr 19, 2022, 9:19 PM IST

सिख विरोधी दंगों (sikh riots case) के आरोपी पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार के एक मामले में अभियोजन पक्ष के दो गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए.

सज्जन कुमार
सज्जन कुमार

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में आज पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार के एक मामले में अभियोजन पक्ष के दो गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए. स्पेशल जज एमके नागपाल ने सज्जन कुमार की जमानत याचिका पर 27 अप्रैल को सुनवाई करने का आदेश दिया.

मंगलवार को सुनवाई के दौरान सरबजीत सिंह बेदी और दिलीप कुमार ओहरी ने अपने बयान दर्ज कराया. कोर्ट में 93 वर्षीय गवाह डीके अग्रवाल के बयान की सीलबंद प्रति कोर्ट में पेश की गई. अग्रवाल का बयान कड़कड़डूमा कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किया गया था. 29 मार्च को कोर्ट ने डीके अग्रवाल की बीमारी और उनकी ज्यादा उम्र को देखते हुए उनके बयान उनके घर पर ही दर्ज कराने का आदेश दिया था.

आज सुनवाई के दौरान सज्जन कुमार कोर्ट में पेश हुए. सज्जन कुमार की जमानत याचिका पर एसआईटी ने जवाब दाखिल किया. उसके बाद कोर्ट ने सभी पक्षों को लिखित दलीलें 20 अप्रैल तक दाखिल करने का निर्देश दिया. 29 मार्च कोर्ट में दो गवाहों डॉ. पुनीत जैन और मनोज सिंह नेगी के बयान दर्ज किए गए. 23 दिसंबर 2021 को कोर्ट में दस्तावेजों का परीक्षण किया गया था. 16 दिसंबर 2021 को सज्जन कुमार ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही थी. पिछले 4 दिसंबर को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.


मामला एक नवंबर 1984 की है जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. शाम को करीब चार-साढ़े चार बजे दंगाईयों की भीड़ ने पीड़ितों के राज नगर इलाके स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया. शिकायतकर्ताओं के मुताबिक इस भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे.


शिकायत के मुताबिक सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया. भीड़ ने पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी को अंजाम दिया. शिकायतकर्ता की ओर से तत्कालीन रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाली जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई. एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147,148,149,395,397,302,307, 436 और 440 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए.

शिकायतकर्ता ने सज्जन कुमार की पहचान तब की जब उसने सज्जन कुमार की एक तस्वीर देखी. इस मामले को 1984 में बंद कर दिया गया था लेकिन जब एसआईटी ने इसे दोबारा खोलने का आदेश दिया तब राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आरोप तय किया. कोर्ट ने कहा कि इस बात के पर्याप्त तथ्य हैं कि आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए जाएं.

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