नई दिल्ली: ऊपरी राज्यों में हुई बारिश के बाद हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से यमुना में छोड़े गए पानी से दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ गया था. जिसकी वजह से किसानों की सब्जी की फसल खराब हो गई है. हालांकि, खेतों में बाढ़ का पानी घुसने से धान की फसल को फायदा हुआ है.
दिल्ली में यमुना किनारे खेती करने वाले किसान उसैनदीन ने बताया कि 18 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं. करीब आठ एकड़ जमीन पर धान और बाकी पर सब्जी की खेती कर रहे हैं. यमुना में बाढ़ आने से खेतों में पानी घुस गया. धान की फसल को तो इससे फायदा हुआ, लेकिन सब्जी की फसल खराब हो गई. किसान फसलों की सिंचाई के लिए ट्यूबवेल का इस्तेमाल करते हैं. प्रति एकड़ करीब आठ से दस लीटर डीजल खर्च होता है. इस तरह से खेतों में पानी भरने से धान की फसल को फायदा हुआ है, लेकिन सब्जियों को नुकसान हुआ है. हालांकि, बाढ़ आने से हर बार भूजल स्तर बढ़ता है, जो किसानों के लिए लाभदायक है.
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दूसरे किसान विनोद त्यागी ने बताया कि उन्होंने खेतों में सब्जियां और गाय भैसों के लिए चारा उगाया था. अचानक से यमुना में बाढ़ आ गई, चारे को तो नुकसान नहीं हुआ, लेकिन सब्जी की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई. सब्जी की फसलों को काफी नुकसान हुआ है. एक अन्य किसान ने बताया कि उसने मेथी और दूसरी सब्जियां उगाई हुई थीं. बाढ़ में कटाव की वजह से खेती की जमीन यमुना नदी में चली गई. ज्यादातर मज़दूत किसान, जमींदार से जमीन उगाई (बटाई) पर लेकर खेती करते हैं. जमींदार को अपने पैसों से मतलब होता है. जबकि, मजदूर किसान को काफी नुकसान उठाना पड़ता है.
यमुना किनारे की जमीन उपजाऊ है. दिल्ली में हजारों किसान सब्जी सहित अन्य फसलों की खेती करते हैं. बाढ़ आने की सूरत में उन्हें फायदा और नुकसान दोनों होते हैं. बाढ़ की वजह से सब्जी की फसल में किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है, लेकिन दूसरी फसलों की खेती करने वाले किसानों को काफी फायदा होता है. बाढ़ आने से एक फसल भले ही खराब हो जाए, लेकिन अगली फसल काफी अच्छी होती है.
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