नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों गुरु तेग बहादुर अस्पताल और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कोविड डेडिकेटेड अस्पताल होने की वजह से पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्वामी दयानंद अस्पताल पर मरीजों का बहुत ज्यादा बोझ पड़ गया है. जिससे उबरने के लिए अब स्वामी दयानंद अस्पताल जीटीबी अस्पताल में नॉन कोविड सुविधाएं दोबारा शुरू करने की मांग करने लगा है.
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्वामी दयानंद अस्पताल पर बोझ बढ़ने कि वजह से अस्पताल की ओपीडी को दो शिफ्टों में चलाना पड़ रहा है. लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी इमरजेंसी और प्रसूति विभाग में है. जहां पहले से कई गुणा ज्यादा बोझ बढ़ गया है. अस्पताल की मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर रानी खेड़वाल बताती हैं कि पहले उनके यहां इमरजेंसी में दिन भर में औसतन 10 एमएलसी केस आते थे. लेकिन अब उन्हें प्रतिदिन औसतन 40 – 45 केस करने पड़ रहे हैं. वहीं प्रसूति विभाग की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है, जहां पहले प्रतिदिन 25 डिलेवरी केस करती थीं अब 40 से भी ज्यादा करना पड़ रहा है.
जीटीबी में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा बेड हैं खाली
अस्पताल में इस भीड़ की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी भी मरीजों को ही हो रही है. वहीं जिस 1500 बेडो वाले जीटीबी अस्पताल को कोरोना अस्पताल बनाया गया है. वहां कोरोना के केवल 137 मरीज ही भर्ती हैं. जिसमे से 24 आईसीयू में और 24 वेंटिलेटर पर हैं. जबकि यहां आईसीयू के 100 बेड और 76 वेंटिलेटर हैं, वहीं अगर इसी इलाके में दिल्ली सरकार के दूसरे कोविड डेडिकेटेड अस्पताल राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी की बात करें तो वो भी 500 बिस्तरों का अस्पताल है, जहां भर्ती मरीजों की संख्या 150 के करीब ही है. ऐसे में सरकार चाहे तो जीटीबी अस्पताल में नॉन कोविड सुविधाएं फिर से शुरू की जा सकती हैं. स्वामी दयानंद अस्पताल की एमएस डॉ. रानी भी मानती हैं कि इस स्थिति को देखते हुए जीटीबी में नॉन कोविड सुविधाएं दोबारा शुरू की जानी चाहिए.