नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के जरिए राज्य शिक्षक पुरस्कार समारोह दिल्ली सचिवालय में आयोजित किया गया. इसमें सरकारी और निजी स्कूलों के 98 शिक्षकों और प्रिंसिपलों को स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में उनके जरिए सराहनीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया. इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माण में सबसे बड़े भागीदार होते हैं. वह अपने काम से हजारों जिंदगियों को संवारते और प्रभावित करते हैं.
वहीं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई. स्कूल बंद होने के कारण किसी को नहीं पता था कि टीचिंग और लर्निंग प्रोसेस को कैसे आगे बढ़ाया जाए. ऐसे में हमारे स्कूलों के शिक्षक और प्रिंसिपल ने कठिन समय का डटकर मुकाबला किया.
शिक्षकों ने 'लर्निंग नेवर स्टॉप' का संदेश देते हुए सुनिश्चित किया कि कैसे नए माध्यमों और तकनीक के द्वारा छात्रों की पढ़ाई जारी रखी जा सके. शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिन शिक्षकों को स्मार्टफोन का प्रयोग कैसे करना है, यह नहीं पता था. उन्होंने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए इस स्मार्टफोन का प्रयोग करना सीखा और सुनिश्चित किया कि बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो.
शिक्षण पद्धति में बदलाव लाने की कोशिश
शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा को लेकर हमारा उद्देश्य स्कूलों की अच्छी इमारत खड़ा करना और अच्छे अंक प्राप्त करने तक नहीं है, बल्कि हमारे शिक्षण पद्धति में बदलाव लाना है. उन्होंने कहा कि हैप्पीनेस करिकुलम, एंटरप्रेन्योरशिप करिकुलम और देशभक्ति करिकुलम से इसकी शुरुआत हो चुकी है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि डिजिटल लर्निंग के लिए दिल्ली में पहले वर्चुअल स्कूल की शुरुआत करने जा रहे हैं, जहां कहीं भी रहो पढ़ाई और परीक्षा की सुविधा उपलब्ध होगी.
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महिला शिक्षकों की संख्या रही अधिक
बता दें कि सम्मानित होने वाले शिक्षकों और स्कूल प्रिंसिपलों में से 63 महिलाएं और 35 पुरुष शिक्षक शामिल थे. इनमें दिल्ली के सरकारी स्कूल से 69, प्राइवेट स्कूल से 18 और दिल्ली नगर निगम के स्कूलों से 11 शिक्षक शामिल थे. इसके अलावा दिल्ली सरकार ने 11 शिक्षकों और अधिकारियों को सेमी ऑनलाइन शिक्षण गतिविधियों और कोरोना काल में किए गए राहत कार्यों के लिए सम्मानित किया.