ETV Bharat / city

अब योग हॉस्पिटल बनाए सरकार, अच्छी सेहत व दीर्घायु जीवन सिर्फ योग से संभव : राम एस उपाध्याय

author img

By

Published : Jun 21, 2022, 6:00 AM IST

Updated : Jun 21, 2022, 6:56 AM IST

delhi update news
योग पर डॉक्टर राम एस उपाध्याय की राय

देश और दुनिया भर में आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है. कई देशों में मेडिकल साइंस के एक्स्पर्ट मानने लगे हैं कि कई गंभीर बीमारियों में दवाई से अधिक योग के प्रयोग से मरीज स्वस्थ हुए हैं. इस संबंध में हावर्ड मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिक डॉ राम एस उपाध्याय याेग की उपयाेगिता के बारे में क्या बता रहे हैं, पढ़िये ...

नई दिल्ली : आज पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही है. यह दिवस इसलिए भी खास है क्योंकि महज कुछ साल पहले तक जहां मॉडर्न मेडिकल साइंस योग को गंभीरता से नहीं लेता था, अब वह भी योग के प्रयोग का रिजल्ट देख हैरत है. योग का मरीजों पर प्रयोग करने से बड़ी सफलता हाथ लगी है. भारत ही नहीं, अमेरिका, यूरोप समेत तमाम देशों में मेडिकल साइंस के एक्स्पर्ट मानने लगे हैं कि कई गंभीर बीमारियों में दवाई से अधिक योग के प्रयोग से मरीज स्वस्थ हुए हैं. इतना ही नहीं, योग तन और मन दोनों को ठीक करता है.

स्वीडन में रह रहे ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर डॉ. राम एस. उपाध्याय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में मॉडर्न लाइफ़स्टाइल और मेडिकल साइंस में योग को लेकर कई बातें बताईं. डॉ. राम एस उपाध्याय को औषधीय रसायन विज्ञान और आणविक ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में शिक्षा और उद्योग में अनुसंधान एवं विकास का 20 वर्ष का अनुभव है. उपाध्याय इंस्टीट्यूट ऑफ सेल एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, उप्साला यूनिवर्सिटी, स्वीडन से भी जुड़े हैं.

योग पर डॉक्टर राम एस उपाध्याय से बातचीत

डॉ. राम एस. उपाध्याय ने कहा कि अब यह बात तो सभी मानने लगे हैं कि हेल्थ, हैप्पीनेस और लॉन्जेविटी यानी दीर्घायु सिर्फ योग से ही संभव है. इन तीन चीजों को योग के जरिये साध सकते हैं. मॉडर्न मेडिकल साइंस में योग के प्रयोग को देख अब सरकारों को शहरों में योग हॉस्पिटल की स्थापना के बारे में भी विचार करना चाहिए. जिनमें यह सुविधा हो कि अलग-अलग बीमारियों को योग के आसनों के जरिए ठीक किया जा सके.

delhi news
योग के फायदे

डॉक्टर राम एस. उपाध्याय ने कहा कि योग ने मेडिकल साइंस में अब अपना स्थान बना लिया है. योग के बारे में पहले सिर्फ बोला जाता था. लेकिन पिछले 10 साल में मेडिकल साइंस में योग को शामिल कर क्लीनिकल ट्रायल हुए हैं. इसके बेहतरीन नतीजे सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि पहले योग को सिर्फ शरीर को तोड़ने-मोड़ने का नाम दिया जाता था. लेकिन अब यह एविडेंस मिल चुका है कि योग का प्रयोग कर दवाइयों से छुटकारा मिल सकता है. उन्होंने कहा कि विदेश की बात करें तो अमेरिकी संस्था एन एच आई ने माना है कि योग सेफ है और यह पोटेंशियल इफेक्टिव थेरेपी का काम करती है. उन्होंने बताया कि योग को मेडिकल साइंस में इस्तेमाल से पहले जो क्लिनिकल ट्रायल किए गए उनमें बच्चे, युवा, बुजुर्ग सब अलग-अलग वर्ग को अलग-अलग ट्रायल किया गया. आज की दिनचर्या में अगर हम सप्ताह में 150 मिनट योग को शामिल करें तो हमारा तन और मन दोनों स्वस्थ रहेगा. हमें भावनात्मक व मानसिक शांति महसूस होगी. वयस्क और बच्चों के लिए इमोशनल मेंटल अवेयरनेस जरूरी है. योग इसमें काफी मदद करता है.

delhi update news
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर डॉ. राम एस. उपाध्याय

बच्चों को सेल्फ रेगुलेट करने में योग सहायक है. योगा डिसिप्लिन सिखाता है. बच्चे अगर देश का भविष्य हैं तो हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि उनकी दिनचर्या में योग जरूर शामिल करें. इससे 360 डिग्री पर उनका विकास होगा. वे सही निर्णय लेना, समय का महत्व सीख जाएंगे. बच्चों में योगा के और क्या फायदे हैं? इसके जवाब में डॉक्टर राम एस. उपाध्याय ने बताया कि यूरोप में वर्ष 2019 में बच्चों पर योग का क्लीनिकल ट्रायल किया गया. जिसमें 5 साल के बच्चे जो केजी में पढ़ते हैं, उनको स्कूल के अंदर दो सेक्शन में विभाजित कर एक के रूटीन में योगा को शामिल किया गया. दूसरे सेक्शन में सिर्फ फिजिकल ट्रेनिंग जो होती है, उसे बच्चों को कराया गया. देखने में आया कि जो बच्चे योगा करते हैं वह ज्यादा हेल्दी, स्फूर्ति से परिपूर्ण मिले, उनमें चिड़चिड़ापन कम हुआ. वह शांत व गंभीर होकर जल्दी से नई चीजें, नहीं बातों को सीख लेते हैं. जिसके बाद पूरी रिसर्च रिपोर्ट जारी की गई. आज कई तरह के क्लीनिकल ट्रायल होने के बाद ही मेडिकल साइंस के अंदर योग को पूर्ण रूप से शामिल करने की बात कही जा रही है. योग हमें बैठने का तरीका, प्राणायाम तथा ध्यान संयुक्त रूप से सिखाता है. नियमित रूप से अभ्यास करने वाले को असंख्य लाभ प्राप्त होते हैं. स्वास्थ में लाभ, मानसिक शक्ति, शारीरिक शक्ति, शरीर की टूट फूट से रक्षा और शरीर का शुद्ध होना, जैसे कई लाभ हमें योग से मिलते हैं.

delhi update news
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर डॉ. राम एस. उपाध्याय

डॉक्टर राम एस. उपाध्याय कहते हैं, भारत में हर तीसरा व्यक्ति ब्लड प्रेशर और हर चौथा व्यक्ति शुगर का मरीज है. वे इससे बचने के लिए दवाइयां लेते हैं. लेकिन बाद में किडनी, लीवर पर असर पड़ता है. इससे हमारे शरीर का वाइटल अंग प्रभावित होता है. जीवन अच्छा नहीं रहता। योगा में आज कई आसन हैं, जिन्हें कर व्यक्ति ब्लड प्रेशर व शुगर से निजात पा सकता है. इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, मीनोपॉज की समस्या दूर करने में मेडिकल साइंस की दवाइयों से अधिक योग कारगर साबित हुआ है.

डॉ उपाध्याय कहते हैं बुढापा अपने आप मे एक बीमारी है, लेकिन आज यह साबित हो चुका है कि योग के जरिये बुढ़ापे में शरीर की तकलीफें दूर की जा सकती है. बुजुर्गों में शरीर के अलग-अलग हिस्सों के दर्द होते हैं. इनको दूर करने में योग काफी कारगर साबित हुआ है. उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर की जो मांसपेशियां होती हैं, थक जाती हैं. कुछ नसें काम नहीं करतीं. बुजुर्ग व्यक्ति अपने जीवन में इतना कुछ देख चुके होते हैं कि कुछ बुरा हुआ तो अंदर ही अंदर उन्हें टीस होती है. वर्ष 2017 में यूरोप में क्लीनिकल ट्रायल में बताया गया कि योग के जरिए हम कैसे अवसाद दूर कर अपना मूड बेहतर कर सकते हैं. इसके लिए हमें किसी दवाई की जरूरत नहीं है. दवा लेने से हमारे शरीर के दूसरे अंगों को नुकसान पहुंचता है, जबकि योग से हमारा सटीक इलाज हो पता है.

ये भी पढ़ें : अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर डीयू में योग सप्ताह, 22 को स्वामी रामदेव मुख्य हाेंगे मुख्य अतिथि

डॉक्टर उपाध्याय ने कहा कि गंभीर बीमारियां, जिनके लिए पूरी जिंदगी दवाएं खानी होती हैं, योग को अपने जीवन में शामिल कर हम दवाइयों से छुटकारा पा सकते हैं. यह पूछे जाने पर कि व्यक्ति को कितना समय योग करना चाहिए? उन्होंने कहा कि जो अंतरराष्ट्रीय पैमाना है, उसके मुताबिक सप्ताह में कम से कम ढाई से तीन घंटे योग करना चाहिए. मेरा मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति जो स्वस्थ रहना चाहता है, अगर उसे अपनी जिंदगी से प्यार है, तो उसे 30 मिनट प्रतिदिन सैर करना चाहिए और सप्ताह में कम से कम 150 मिनट योग करना चाहिए. योग के आसन करते समय थोड़ी सावधानी बरतनी जरूरी होती है. सही तरीके से आसन करने पर वह अधिक कारगर साबित होता है. उन्होंने कहा कि अब वह समय आ गया है कि मॉडर्न मेडिकल साइंस और लाइफ स्टाइल में बिना योग को शामिल किए बिना कोई भी व्यक्ति स्वस्थ नहीं रह सकता. कोविड के दौरान सबसे अधिक लोगों के हर्ट और लंग्स प्रभावित हुए. उस दौरान भी दवाइयों के जरिए फौरी तौर पर ठीक हुए व्यक्ति ने जब योग को अपनाया तो वह जल्दी रिकवर हुआ, नहीं तो दोबारा वह अस्वस्थ हो गया.

अंतरर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 की थीम: भारतीय आयुष मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय योग के लिए इस बार 'योगा फॉर ह्यूमैनिटी' (Yoga for Humanity) थीम को चुना है, जिसका अर्थ मानवता के लिए योग होता है. यह थीम कोरोना जैसी महामारी को देखते हुए चुनी गई है.

Last Updated :Jun 21, 2022, 6:56 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.