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दक्षिण पूर्वी जिले की साइबर थाना पुलिस ने किया नकली शिक्षा केंद्र चलानेवाले गिरोह का पर्दाफाश, छह गिरफ्तार

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Published : Aug 24, 2022, 1:20 PM IST

नकली शिक्षा केंद्र चलानेवाले गिरोह का पर्दाफाश
नकली शिक्षा केंद्र चलानेवाले गिरोह का पर्दाफाश

दक्षिण पूर्वी जिले की साइबर पुलिस ने नकली शिक्षा केंद्र चलानेवाले गिरोह का पर्दाफाश किया है और इसके छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इसमें चार महिलाएं शामिल हैं. सभी आरोपी किलोकरी गांव में माउंटेन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के नाम से फर्जी एजुकेशन सेंटर चलाते थे. Fake education center racket busted

नई दिल्लीः दक्षिण पूर्वी जिले के साइबर थाने की पुलिस ने नकली मार्कशीट और डिग्री देने का काम करनेवाले रैकेट का पर्दाफाश (Fake education center racket busted) किया है. इसके आरोप में पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया है. इसमें चार महिलाएं भी शामिल हैं. पुलिस ने इनके कब्जे से छह मोबाइल फोन, एक लैपटॉप और नकली मार्कशीट बनाने में इस्तेमाल होने वाली सील प्रिंटर, डिग्री और प्रमाण पत्र, बैकडेटेड डिग्रियां बरामद की गई है. गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान रेखा, दीपिका, पूनम, अमिता, रेहान और कैफ के तौर पर की गई है.

साउथ ईस्ट डीसीपी ईशा पांडे ने बुधवार को मामले की जानकारी देते हुए बताया कि जिले के साइबर थाने की पुलिस टीम ने इंस्पेक्टर मनोज भास्कर और एसएचओ कुलदीप शेखावत की टीम ने एसीपी मनोज सिन्हा और एडिशनल डीसीपी राजीव अंबस्ता के देखरेख में इस फर्जी एजुकेशन सेंटर का भंडाफोड़ किया है. टीम को सूचना मिली थी कि दिल्ली के सनलाइट कॉलोनी थाना क्षेत्र के किलोकरी गांव में माउंटेन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के नाम से फर्जी एजुकेशन सेंटर चल रहा है. उसके बाद सेंटर पर छापेमारी की गई. छापेमारी के वक्त सेंटर पर चार महिलाओं को फोन पर बातचीत करते हुए पाया गया. उससे पूछताछ करने पर एजुकेशन से संबंधित फर्जी दस्तावेज बरामद हुए और वे लोग डिग्री देने के नाम पर निर्दोष लोगों को धोखा देने में लिप्त पाए गए, जिसके बाद सभी को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद संस्थान के मालिक रेहान और कैफ को गिरफ्तार किया गया. रेहान तैमूर नगर का जबकि कैफ उत्तम नगर का रहने वाला है.

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आरोपियों ने बताया है कि वे जॉब देने वाली बेबसाइट से लोगों का डाटा एकत्र करते थे और उनको कॉल कर उनकी आवश्यकतानुसार नामी विश्वविद्यालय की डिग्री दिलाने का प्रलोभन देते थे. इसके बदले में लोगों से 10 हजार से 20 हजार रुपये लेते थे और उसके बाद उम्मीदवारों को मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय के फर्जी डिग्री प्रदान कर देते थे. इसका रिकॉर्ड उक्त विश्वविद्यालय में कभी अपडेट नहीं किया जाता था और वह डिग्रियां फर्जी होती थी. फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है.

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