नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत कोर्ट ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स (Hoarding of oxygen concentrator) की जमाखोरी के मामले में गिरफ्तार नवनीत कालरा की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित किया है. कोर्ट आज चार बजे इसपर फैसला सुनाएगी.
27999 की कीमत बताई और बेची 70 हजार में
दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने जमानत याचिका पर जवाब दाखिल कर दिया है. दिल्ली पुलिस की ओर से नवनीत कालरा का एक पर्सनल चैट दिखाया गया जिसमें उन्होंने ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर खरीदने के लिए लोगों को कहा था. ये चैट 27 अप्रैल का था. दिल्ली पुलिस ने एक्स फैक्टर ऐप का विज्ञापन दिखाया जिसमें प्रीमियम पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर खरीदने का विज्ञापन डाला था. विज्ञापन में उन्होंने कहा है कि जर्मन कंसेंट्रेटर हैं, लेकिन जो भी कंसेंट्रेटर जब्त किया गया वो जर्मनी का नहीं था. इसके अलावा ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की गुणवता के साथ भी समझौता किया गया. कीमत 27,999 कहा गया था. उन्होंने कहा कि कंसेंट्रेटर प्रीमियम क्वालिटी का नहीं था और ऑक्सीजन का फ्लो 35 फीसदी से नीचे था. प्रीमियम कंसेट्रेटर दो लोगों के लिए पर्याप्त है, लेकिन जो कंसेंट्रेटर्स कालरा बेच रहे थे वे एक व्यक्ति के लिए भी पर्याप्त नहीं थे. कालरा ने ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स 70 हजार रुपये तक में बेचा था.
लाभ कमा रहा था आरोपी
श्रीवास्तव ने कहा कि आरोपी की ओर से कहा गया कि जो कंसेंट्रेटर दिखाया गया है वो सलमान खान भी लोगों को बेच रहे हैं, लेकिन सलमान खान चैरिटी कर रहे हैं, धोखाधड़ी नहीं कर रहे हैं. अगर आपने खरीद की गई कीमत में बेचते तो वो चैरिटी होती लेकिन इस मामले में आरोपी ने खरीद रेट से दुगुनी कीमत पर बेचा है. उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों के साथ भी धोखाधड़ी की गई. पुलिस अधिकारियों ने इसकी सूचना मिलने पर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को सूचित किया था, तब पता चला कि कंसेंट्रेटर्स की क्वालिटी ठीक नहीं थी. उन्होंने कहा कि डीसीपी ने डीएम साहब को 13 मई को पत्र लिखकर श्रीराम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च की कंसेंट्रेटर के बारे में रिपोर्ट के बारे में बताया था, तब कोर्ट ने कहा कि हम इस रिपोर्ट पर बात नहीं कर सकते हैं, हम जानते हैं कि ऑक्सीजन लेवल 88 फीसदी कम होने पर उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
कालरा के कंसेंट्रेटर मौत को बुलावा देनेवाले थे
श्रीवास्तव ने एम्स की रिपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि कालरा की ओर से बेचा जा रहा ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर कोरोना मरीजों के उपयोग के लायक नहीं था. ये कंसेंट्रेटर्स विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानकों पर खरा नहीं उतरते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशक के दिशानिर्देशों के मुताबिक भी ये कंसेंट्रेटर्स कोरोना मरीजों के उपयोग के लायक नहीं थे. उन्होंने कहा कि कम लक्षणों वाले कोरोना मरीजों के लिए ये कंसेंट्रेटर्स नुकसान ही कर रहे थे, जो मरीज जीवन और मौत के बीच झूल रहे थे, उनके लिए ये नुकसानदेह था. उन्होंने कहा कि कालरा के कंसेंट्रेटर मौत को बुलावा देनेवाले थे.
जमानत याचिका खारिज करने की मांग
कोर्ट ने श्रीवास्तव से पूछा कि अगर आप एक बार कंसेंट्रेटर की कीमत तय कर देते और ये तय कर देते कि उसमें कितना मुनाफा लेना है तो बात ठीक थी. मुनाफा कमाना गलत कहां है, तब श्रीवास्तव ने कहा कि उनके विज्ञापन में 28 हजार रुपये कीमत बताई थी और बेची गई 70 हजार रुपये में (overpricing of oxygen concentrator). वे उन लोगों के साथ व्यापार कर रहे थे जो जीवन और मौत की लड़ाई लड़ रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकार ने जरुरतमंद लोगों के लिए ढील दी लालची लोगों के लिए नहीं. सलमान खान बेच नहीं रहे हैं, वे चैरिटी कर रहे हैं, लेकिन यहां आरोपी पैसे कमा रहे हैं. श्रीवास्तव ने मैट्रिक्स सेलुलर के जब्त ऑक्सीजन कंसेट्रेटर्स पर हाईकोर्ट के फैसले को उद्धृत करते हुए कहा जिसमें उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. उन्होंने कहा कि हाई पावर्ड कमेटी ने भी ऐसे मामलों में आरोपी को कोई राहत नहीं दी है. ये सफेदपोश अपराध है, उन्होंने नवनीत कालरा की जमानत याचिका खारिज करने की मांग की.
लेबोरेटरी की रिपोर्ट भ्रमपूर्ण है
नवनीत कालरा की ओर से वकील विकास पाहवा कार में थे इसलिए कोर्ट ने पाहवा को अपने दफ्तर में जाकर दलीलें रखने का आदेश दिया. 12 बजे जब विकास पाहवा कोर्ट में पेश हुए और कहा कि मैट्रिक्स ने जो विज्ञापन दिया था वो अगस्त 2020 का था, लेकिन हम 23 अप्रैल को बेच रहे थे. इसके लिए मैट्रिक्स जिम्मेदार है और उनके लोगों को जमानत मिल गई है. पाहवा ने कहा कि जो ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स कालरा से लेकर कोविड सेंटर दिए गए वे दिल्ली पुलिस ने वापस क्यों नहीं लिए. उन्होंने कहा कि श्रीराम लेबोरेटरी की रिपोर्ट काफी विस्तृत नहीं है. श्रीराम लेबोरेटरी की रिपोर्ट एम्स के रिपोर्ट (aiims report in navneet kalra case) के आधार पर है. अगर आप किसी को गलत रिपोर्ट देंगे तो वो भी गलत रिपोर्ट ही देगा. इससे कानून की व्याख्या नहीं होती है. यह रिपोर्ट भ्रम पैदा करने के लिए की गई है.
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अगर ये किसी उपयोग की नहीं है तो इसे बेच क्यों रहे हैं
पाहवा ने कहा कि न तो कालरा मेडिकल एक्सपर्ट हैं और न ही अभियोजक. कंसेंट्रेटर में नॉब था जो दो से नौ लीटर का था. ये अस्पतालों में इलाज के लिए नहीं था बल्कि घर पर इस्तेमाल के लिए था. अगर ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे जाता है, तब कंसेंट्रेटर की जरुरत होती है. उन्होंने कहा कि अगर हम दो लीटर का इस्तेमाल करते हैं और इससे ऑक्सीजन लेवल 90 तक जाती है. कंसेंट्रेटर एक सहयोगी है, तब कोर्ट ने कहा कि अगर नौ लीटर भी सप्लाई नहीं कर सकता तो आप बेच क्यों रहे हैं. अगर ये किसी उपयोग की नहीं है तो इसकी सप्लाई क्यों की जा रही थी.
420 का केस बनता है
पाहवा ने कहा कि जमानत का न्यायशास्त्र कहता है कि जमानत दी जाए और हिरासत की कोई जरुरत नहीं है. ट्रायल करने के बाद दोषी करार दें. पाहवा ने कहा कि अगर खरीदी की कीमत में अंतर है तो बेचने की कीमत में भी अंतर होगा. जो कीमत बताई गई थी उसमें जीएसटी को नहीं जोड़ा गया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (Indian Penal Code Section 420 on navneet kalra) का केस बनता है. हमें केवल यह देखना है कि केस बनता है कि नहीं. आवश्यक वस्तु अधिनियम का केस भी बनता है. हम केवल केस की गंभीरता को देख रहे हैं.
16 मई को किया गया था गिरफ्तार
पिछले 25 मई को कोर्ट ने कालरा की जमानत याचिका पर आज सुनवाई करने का आदेश दिया था. पिछले 22 मई को कोर्ट ने कालरा की पुलिस हिरासत की मांग को खारिज कर दिया था. पिछले 20 मई को कोर्ट ने कालरा को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आकांक्षा गर्ग ने दिल्ली पुलिस की हिरासत की मांग को खारिज करते हुए न्यायिक हिरासत (navneet kalra judicial custody) में भेजने का आदेश दिया था. पिछले 17 मई को कोर्ट ने कालरा को तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा था. पिछले 16 मई को दिल्ली पुलिस ने नवनीत कालरा को गुड़गांव से गिरफ्तार किया था (navneet kalra arrested). पिछले 13 मई को कोर्ट ने नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दिया था.
ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स बरामद किया था
दिल्ली पुलिस ने खान मार्केट के एक रेस्टोरेंट से ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बरामद किया था. उसके बाद पुलिस ने छतरपुर में छापा मारकर एक आरोपी को गिरफ्तार किया था. दिल्ली पुलिस ने 387 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर मैट्रिक्स सेलुलर कंपनी के वेयरहाउस से बरामद किया था. पिछले 6 मई को पुलिस ने लोधी कालोनी के एक रेस्टोरेंट से 419 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर जब्त किया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गौरव, सतीश सेठी, विक्रांत और हितेश को गिरफ्तार किया था. इन सभी को जमानत मिल चुकी है. पिछले 12 मई को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने इन सभी को जमानत दी थी.