नई दिल्ली : वेस्ट दिल्ली में इस बार रामलीला और रावण दहन जैसे धार्मिक परंपरागत कार्यक्रमों का आयोजन नहीं होगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि त्योहारों के मौसम में कोरोना को ध्यान में रखते हुए DDMA ने सख्त गाइडलाइंस जारी की है, जिसके चलते इन कार्यक्रमों के आयोजन में काफी दिक्कतें आएंगी.
रामलीला का आयोजन करने वाली कमेटी के सदस्यों ने बताया कि वे पिछले तीन दशकों से रामलीला का मंचन करते आ रहे हैं. साथ ही रामलीला के अंतिम दिन यानी दशहरे वाले दिन भी रावण दहन का कार्यक्रम करते हैं, जिसमें काफी बड़ी संख्या में लोग रामलीला और रावण दहन देखने आते हैं, लेकिन अब DDMA द्वारा जारी गाइडलाइंस के बाद रामलीला का मंचन करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है. साथ ही पटाखों पर रोक के चलते रावण दहन का कार्यक्रम भी रद्द कर दिया गया है.
इसके साथ ही कमेटी के सदस्यों का कहना है कि वर्षों से चली आ रही धार्मिक परंपराएं इस बार न होने के कारण लोग दुखी हैं. सरकार को वर्षों पुरानी परंपराओं का निर्वहन करने वाले इन कार्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना चाहिए. सदस्यों का कहना है कि क्या सिर्फ रावण जलाने से ही प्रदूषण होता है. साल भर सड़कों पर दौड़ने वाली गाड़ियों से क्या पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता. DDMA द्वारा जारी इन सख्त गाइडलाइंस के कारण आस्तिक लोगों की आस्था पर चोट आई है.
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गौरतलब है कि नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही राजधानी के अलग-अलग इलाकों में रामलीला का आयोजन प्रारंभ हो जाता है. जगह-जगह बड़े-छोटे स्तर पर कमेटियां रामलीला का मंचन करती हैं. सिर्फ वेस्ट दिल्ली में ही न्यूनतम 50 जगहों पर छोटी-बड़ी रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है. साथ ही इससे आधी जगहों पर दशहरे वाले दिन रावण दहन का आयोजन भी किया जाता है.