नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की पंचायत (kisan panchayat) हुई, जिसमें राकेश टिकैत ने कहा कि कोरोनावायरस की तरह कृषि कानून (Agriculture Law) भी बीमारी की तरह आए थे, जिसका इलाज कर दिया गया है. दोनों बीमारियां एक ही तरह की थी. वहीं, उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों के खिलाफ नई साजिश शुरू हो गई है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि साल 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपनी रिपोर्ट में MSP पर गारंटी की मांग केंद्र के सामने रखी थी. उस मांग को तत्कालीन केंद्र सरकार ने अनसुना कर दिया था, लेकिन गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री अब प्रधानमंत्री हैं, तो अपनी ही मांग को क्यों नहीं सुन रहे. बॉर्डर पर हुई पंचायत में योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर भी मौजूद रहीं.
पंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि जैसे कोरोना बीमारी थी, वैसे ही तीनों कृषि कानून किसानों के लिए एक बीमारी थे. कोरोना को मार भगाने के लिए सरकार ने प्रयास किया, तो हमने तीनों कृषि कानून वापस भगाए हैं. हमें एमएसपी पर कानून चाहिए और मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए, इसके अलावा जो मुकदमे किसानों पर दर्ज किए गए हैं, वह वापस होने चाहिए.
उन्होंने पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि फिर से किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश शुरू कर दी गई है. हमारे लिए कहा जा रहा है कि तीनों कृषि कानून वापस हो गए, फिर भी किसान अपना आंदोलन खत्म नहीं कर रहे हैं. इसलिए हमसे बार-बार यही सवाल पूछा जा रहा है कि आंदोलन खत्म क्यों नहीं हो रहा. उन्होंने किसानों को बताया कि हमें हर बार यही जवाब देना है की एमएसपी हमारी मांग थी और रहेगी.
इसे भी पढे़ं: किसान आंदोलन का एक सालः राकेश टिकैत बोले- सरकार का रुख धोखेबाजी और जालसाजी का लग रहा
उन्होंने कहा कि 2011 में मौजूदा प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस समय एक कमेटी बनी हुई थी, जिसमें तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री कमेटी के अध्यक्ष थे. उस समय उन्होंने केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी थी कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनना चाहिए।, लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार ने भी एमएसपी पर कानून नहीं बनाया. तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री आज प्रधानमंत्री हैं, इसलिए उन्हें एमएससी पर कानून बनाने की मंजूरी देनी चाहिए.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप