नई दिल्ली: हिन्दू धर्म में महिलाओं के लिए विशेष महत्तव रखने वाला करवा चौथ का त्योहार आने वाला है. इसके मद्देनजर बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है. साथ ही महिलाओं में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत में मिट्टी के कलश, दीपक जैसे बर्तनों का प्रयोग किया जाता है. ऐसे में दो सालों से कोरोना महामारी के चलते भूखमरी की कगार पर आए कुम्हारों में भी खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है.
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मिट्टी के बर्तन तैयार करने वाले कुम्हार इस त्योहार को बड़ी उम्मीद की नजर से देख रहे हैं. कोरोना महामारी के कारण दो सालों से ये लोग मिट्टी के बर्तन नहीं बना पा रहे थे. ऐसे में इस साल करवा चौथ से पहले ही तमाम तैयारियां शुरू कर दी हैं. कुम्हार बड़े हर्ष के साथ मिट्टी के बर्तन को तैयार कर उसे सजा रहे हैं, ताकि ये मिट्टी के बर्तन लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बन सके.
कुछ ऐसा ही नजारा दिल्ली के सुल्तानपुरी में भी देखने को मिल रहा है. एक ही परिवार के कई सदस्य मिलकर मिट्टी के बर्तन तैयार कर रहे हैं और इन्हें अंतिम स्वरूप देने का काम किया जा रहा है. कुम्हारों का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद ये त्योहार उनके लिए किसी दिवाली से कम नहीं है, इसलिए पूरा परिवार मिलकर एक दूसरे का साथ देते हुए इस काम में लगा हुआ है.
करवा चौथ के दिन महिलाएं पूरा दिन निर्जला व्रत रख कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. (Karwa Chauth 2022) कहा जाता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से पति-पत्नी के बीच अच्छे सम्बन्ध बने रहते हैं. इस दिन सभी महिलाएं मिलकर पूजा करती है. व्रत की रात में छलनी की पूजा करके चांद को देखती हैं. और चांद को देखने के बाद अपनी पति के हाथ से पानी पीकर अपने व्रत को खोलती है.
इस दौरान महिलाएं विशेष तौर पर मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करती हैं. इसी के मद्देनजर मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों में खुशी का माहौल देखा जा रहा है. ऐसे में अब देखना यह होगा कि यह त्योहार इनके घर कितनी खुशी लेकर आता है.
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