नई दिल्ली : दीवाली के तीसरे दिन भी दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर से ऊपर बना हुआ है. प्रदूषण को कम करने की कोशिश करने की बजाय सियासी दल इसे लेकर सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप की सियासत करते नजर आ रहे हैं. दिल्ली सरकार के मंत्री दिवाली पर हुई बेतहाशा आतिशबाजी और प्रदूषण के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रही है, तो दिल्ली प्रदेश कांग्रेस दिल्ली सरकार और और बीजेपी दोनों पर दिल्ली की हवा खराब करने को लेकर हमलावर है.
पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेता अनिल भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए कोई काम नहीं किया. जिसका नतीजा यह हुआ कि दिल्ली अब गैस चैंबर में तब्दील हो चुकी है. उन्होंने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि साल भर सर्दियों में होने वाले प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार कोई काम नहीं करती है. अलग-अलग योजनाओं को लेकर केवल प्रचार प्रसार किया जाता है. जिसके नतीजे में सर्दी आते ही दिल्ली पर प्रदूषण छा जाता है. जिसके लिए दिल्ली सरकार दूसरे राज्यों से आने वाले धुएं को जिम्मेदार ठहराती है. उन्होंने कहा कि पराली की समस्या खत्म करने के लिए डिकंपोस्ट घोल को लेकर ₹15 करोड़ का प्रचार प्रसार दिल्ली सरकार की ओर से किया गया, लेकिन घोल बनाने में केवल ₹40 हज़ार खर्च किए गए.
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अनिल भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में आने वाले वाहनों से दिल्ली सरकार प्रदूषण कम करने के लिए ग्रीन सेस नाम से टैक्स लेती है. जिसको लेकर दिल्ली सरकार ने 1400 करोड़ रुपए जुटाए हैं. अगर सरकार चाहती तो इन रुपयों से दिल्ली की 70 विधानसभाओं में 70 एंटी स्मॉग टावर लगा सकती थी. उन्होंने बताया कि जब एक एंटी स्मॉग टावर ₹20 करोड़ की लागत से बन रहा है, तो 1400 करोड़ रुपए में दिल्ली की सभी विधानसभाओं में एंटी स्मॉग टावर लगाए जा सकते थे.
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अनिल भारद्वाज ने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली में दीवाली की रात पटाखे जलाए गए. जिसको लेकर दिल्ली सरकार और बीजेपी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं. इसमें दिल्ली की जनता को पिसना पड़ रहा है. दिल्ली सरकार ने जब दिवाली पर पटाखों पर बैन लगाया, तो फिर कैसे पटाखे जलाए गए. इसके लिए दिल्ली सरकार अपनी जवाबदेही तय करे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली में होने वाले प्रदूषण के लिए 4 फीसदी दूसरे राज्यों से आने वाला पराली का धुआं जिम्मेदार है, जबकि 41 फीसदी वाहनों से निकलने वाला धुआं दिल्ली को प्रदूषित करता है. उसके लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? सरकार इस पर बात करे, केवल प्रचार प्रसार ना करे?